Saturday , 20 April 2024

पब्लिक ब्लॉग: न्याय की कुर्सी और लखनऊ की शोले- अजय शुक्ला

न्यूज़ टैंक्स/ पब्लिक ब्लॉग

भारत के संविधान में चाहे वो राष्ट्रपति हों या प्रधानमंत्री या न्यायाधीश या कोई भी ज़िम्मेदार अधिकारी सभीको अपने कार्यालय के कर्तव्यों के पालन के लिए तीन बिंदुओं का पालन करना अनिवार्य है।

• भारत के संविधान और क़ानून के प्रति पूर्ण निष्ठा
• भली-भाँति अपने ज्ञान,क्षमता और निर्णय का प्रयोग
• बिना किसी डर या पक्ष, स्नेह या दुर्भावना के

अलगू चौधरी और जुम्मन सेख, दो एक दम पक्के मित्र जब अलग अलग मौक़ों में न्यायाधीश की गद्दी पर बैठते हैं तो एक दूसरे के प्रति अपने राग द्वेष को भूल कर न्याय का साथ देते हैं क्योंकि व्यक्तिगत लगाव और मतभेदों का असर आप कर्तव्य पर नही पड़ना चाहिए। प्रेमचंद्र जी की अमर कहानी पंच परमेश्वर आप ज़रूर पढ़ें। मैं इसे इसलिए सुना रहा हूँ। की एक शिक्षक जब किसी विद्यार्थी की परीक्षा लेता है तो वो न्याय की गद्दी पर बैठा होता है उसे सिर्फ़ न्याय करना चाहिए। यह नही देखना चाहिए की पिछले तीन सालों में किसने उनकी चमचागिरी की कौन उनको पसंद आया या नही आया।

क्योंकि हर व्यक्ति को कम या ज़्यादा संख्या में अगर कुछ लोग पसंद करते हैं तो कुछ नापसंद, पर यह कभी न्याय का आधार नही हो सकता। सोचिए आप न्यायाधीश के सामने खड़े हों और न्यायाधीश आप से दोस्ती दुश्मनी को ध्यान में रखकर निर्णय दे तो क्या यह न्याय होगा। कोरवों की सभा में पांडवों और द्रौपदी के साथ हुआ ऐसा अन्याय ही महाभारत का कारण बनता है जँहा ना चाह कर भी शिष्यों को गुरुओं के ख़िलाफ़ लड़ना पड़ता है।

लखनऊ की शोले

दिन रात गाने की प्रैक्टिस के बाद लाखों लोगों के बीच हुई प्रतियोगिता से कई कलाकार चुने जाते हैं। साढ़े छः वर्षों तक सैकड़ों प्रकार की लिखित और प्रैक्टिकल परीक्षाओं से गुजर कर ये डिग्री प्राप्त करते हैं अब ये कला के किसी भी क्षेत्र में कार्य करने का अधिकार रखते थे। लेकिन इनमे से कुछ ने अभी और सीखने के सोचा क्योंकि ज्ञान की कोई सीमा नही होती।

पुनः एक देशव्यापी गाने की प्रतियोगिता हुई जिसमें सिर्फ़ डिग्री प्राप्त कलाकार ही भाग ले सकते थे। इन सबमें जो लोग विजेता हुए उन सब को देश की एक श्रेस्ठ म्यूज़िक कम्पनी ने अपने साथ गाने के लिए बुलाया। तीन साल ये गायक रोज़ नए नए तरह के गाने में अपने हुनर दिखाते। दिन रात पूरी तरह से १२ से १८ घंटे रोज़ाना काम किया।

रोज़ अपने वरिष्ठ सहयोगियों के साथ सीखते थे किसी ने इनके ज्ञान गायन कार्य पर प्रश्न नही उठाया, इनके नाम पर खूब मुनाफ़ा भी हुआ।तीन साल बाद एक परीक्षा हुई। इन सभी ने पूरे मन से सैधान्तिक परीक्षा दी। उसके बाद प्रैक्टिकल इग्ज़ैम के तिथि घोषित होती है ये नवयुवक प्रतिभावान गायक उसकी तैयारी में जी जान से जुटते हैं।

प्रैक्टिकल के दिन जब ये इग्ज़ैम हाल में पहुँचते हैं तो एक गायक को उसके गुरु कहते हैं की आप डीन ऑफ़िस में जा कर अपनी सैधन्तिक परीक्षा का रिज़ल्ट ले आएँ। वो नवयुवक परीक्षा के उस तनाव भरे माहौल के बीच पैदल धूप में चलता हुआ डीन ऑफ़िस पहुँचता है। उसके खुलने का इंतज़ार करता है। वंहा उसे बताया जाता है की वो फेल है इसलिए प्रैक्टिकल इग्ज़ैम नही दे सकता।

आप सोचो जिन लोगों के साथ आप दिन रात काम करो वो अगर आपके साथ ऐसा व्यवहार करें तो व्यक्ति क्या करे।जिस छात्र को फेल किया गया उसका थिरी पेपर सबसे अच्छा हुआ था ये उसके साथी गायक भी मानते हैं।

बेचारा क्या करे कैसे न्याय पाए,या फिर खुद को ही कोसे।उसने इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई गांधी जी के मार्ग पर चलकर भूँखा रहा। माँग की की उसकी उत्तर पुस्तिका पुनः चेक कराई जाए। बवाल होता देखकर सभी लोगों ने उसे यह भरोसा दिया की न्याय होगा। महीने भर गुजर गए इसकी पुस्तिका नही चेक की गयी। साथ ही अन्य साथी छात्रों को प्रैक्टिकल में फेल कर दिया गया।

जैसा फ़िल्मों में होता है जैसा शोले में हुआ था की गब्बर सिंह सिर्फ़ ठाकुर के हाँथ नही काटता बल्कि उसके परिवार को भी मारता है जिससे की उसकी दहशत बनी रहे और पचास कोस दूर जब बच्चा रोए तो माँ कहे की चुप हो जाओ नही तो गब्बर आ जाएगा।

सच यह भी है की इन छात्रों की अपनी विधा में इनके जैसे पारंगत गायक पूरे देश में २०० भी नही हैं। देश के पाँच सौ जे ज़्यादा ज़िलों में इनकी विधा का एक भी गायक नही है प्रश्न यह भी है की जब किसी व्यक्ति को गाना आता है और उसने इतनी पढ़ाई भी की है तो उसका इसप्रकार अपमान क्या सही है जब आज की तारीख़ में हर कोई गाने का दावा करता है बिना सीखे बिना गाने के बारे में जाने तब क्या ऐसे होनहार गायकों के साथ यह व्यवहार सही है। हंसने वाली बात यह है की फेल करने के बाद भी इनका शोषण जारी है और इनसे दिन रात काम कराया जा रहा है और आज भी यही फेल हुए गायक ही पूरी व्यवस्था चला रहें हैं।

यः पश्यति स पश्यति
अजय शुक्ला

यह भी पढ़ें:

पब्लिक ब्लॉग: खतरनाक है तापमान में वृद्धि- अरविंद जयतिलक

Hajj 2020: इस साल 20 लाख लोग करने वाले थे हज यात्रा, लेकिन अब…!

Jai Jagannth Verdict: भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकलेगी लेकिन…!

देश-दुनिया की लेटेस्ट ख़बरों से जुड़ें रहने के लिए हमें FacebookWhatsAppTwitter और YouTubeपर फॉलो करें।