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मर्चेंन्ट नेवी: 11 राज्यों के 16 नागरिक 25 महीनों से फसें हैं सात समुंदर पार, जिम्मेदार हैं कि पसीजते नहीं

मुंबई/ कुवैत/मर्चेंन्ट नेवी 

रोहित रमावापुरी

लगभग दो साल से अधिक का समय बीत गया, हम सबने अपने छोटे भाई को नही देखा। मम्मी-पापा बहुत परेशान रहते हैं। अकसर आकाश को याद करके फफक पड़ते हैं। यह कहना है हरियाणा के फरीदाबाद निवासी आकाश के भाई अभिषेक का। न्यूज़ टैंक्स से बात करते हुए अभिषेक ने बताया कि मेरे भाई आकाश 6 फरवरी 2019 को एक शिप पर 11 महीने के अनुबंध पर गया था, लेकिन दो साल से अधिक समय बीत गया अभी तक वह वापस नही आया। हम लोग सरकार से इसको लेकर कई बार गुहार लगा चुके लेकिन अभी तक कोई सहायता नही मिली। वहीं उत्तरप्रदेश के गोण्डा जनपद की निवासी बिमला (परिवर्तित नाम) का भी दर्द कुछ ऐसा ही है। विमला बताती हैं कि मेरे बेटे राकेश (परिवर्तित नाम) को जहाज पर गए दो साल होने को है, लेकिन वह कब तक आएगा यह नहीं पता है। यह दर्द सिर्फ दो भारतीय नाविकों का नहीं है, ऐसे लगभग एक दर्जन से अधिक नाविक हैं जो आरपीएसएल (Recruitment and Placement Services License) कंपनी के लापरवाही का अंजाम भुगत रहे हैं। Chahar and chahar shipping co. Pvt. Ltd.
RPSL- Mum 281 सहित 3 से 4 आरपीएसएल द्वारा भेजे गए नाविक जहाज पर हैं।

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मर्चेंट नेवी में होने वाले कारनामो से आप सबको रूबरू करवाते रहते हैं। बीते कई महीनों से सात समुंदर पार कुवैत में एक दर्जन से अधिक भारतीय नाविक वतन वापसी की बाट जोह रहे हैं। वह कब तक स्वदेश आएंगे अभी कुछ पता नहीं है। परिवार जिम्मेदारों से लगातार गुहार लगा रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नही हो रही है। यह दर्द सिर्फ आकाश और राकेश के ही परिवार का ही नहीं है बल्कि देश के 11 राज्यों के 16 परिवारों की व्यथा है यह। कुवैत में फसे नाविकों ने न्यूज़ टैंक्स को भेजे संदेश में कुछ इस तरह से अपनी बात कही है।

प्रदर्शन में शामिल नागरिक

हम लोग कुल 18 क्रू के सदस्य जहाज में शामिल हुए, जिसमें से 16 सदस्य भारतीय, 1 सदस्य तुर्की और 1 सदस्य अजरबैजान से है। ये सभी 27 अक्टूबर 2019 को Sohar Inner Anchorage में हैं। जहाज़ पर स्वच्छ और पीने योग्य पानी का अभाव है जिसके कारण सितंबर 2019 के महीने में 25 क्रू सदस्य कुछ गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे और किसी भी तरह की दवा और उपचार की भी व्यवस्था का भी अभाव है। इन सभी असुविधाओं के कारण और किसी भी प्रावधान के अभाव में क्रू के सदस्यों को 3 सप्ताह तक बहुत ही तकलीफ़ों से गुजरना पड़ा। 10 क्रू सदस्यों को इस आश्वासन पत्र के साथ वापस भेजा गया कि उन्हें उनका रुका हुआ वेतन दे दिया जाएगा। 31 अक्टूबर को हम फुजैराह ओपीएल के लिए रवाना हुए और वहाँ से हमें दबाव बनाकर अजमान एंकरेज के लिए रवाना किया गया और उसके बाद हम अबू मूसा एंकरेज पहुँचे।

दिसंबर माह के पहले सप्ताह में क्रू के सदस्यों को वेतन, प्रावधान, स्वच्छ और पीने योग्य पानी और ईंधन की कमी जैसी बहुत सारी गम्भीर समस्याओं का सामना करना पड़ा।
इन सभी ज़रूरी वस्तुओं के अधिग्रहण में असवान शिपिंग नाम की एक कम्पनी ने उस वक़्त हमारी सहायता की।

जनवरी 2020 में हमारे एक क्रू सदस्य रतन सिंह (रैंक- oiler) के पिता जी का निधन हुआ और उसे बिना किसी वेतन के घर जाना पड़ा। 20 जनवरी 2020 को सभी क्रू सदस्यों ने आधिकारिक पत्र भेजें जिसमें वेतन ना मिलने पर काम रोक देने का निर्देश दिया गया था।

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18 फरवरी को हमें वेतन मिला और हमें कार्गो के निर्वहन के लिए कुवैत ओपीएल में शुएबा बंदरगाह भेजा गया, लेकिन क्रू सदस्यों ने सभी को (सिवाय कुवैती अधिकारियों के) ईमेल भेज दिया था जिसमें provision की कमी के बारे में बताया गया था और इस कारण अगले ही दिन सुबह क्रू में बदलाव और प्रावधानों के बारे में कंपनी से हमें ईमेल प्राप्त हुआ। 17 मार्च को क्रू सदस्यों को वेतन मिला लेकिन 8 क्रू सदस्यों को कोई वेतन नहीं मिला। 5 मार्च को कंपनी ने 16 क्रू मेंबर्स को रवाना करने की योजना बनाई थी लेकिन कोरोना महामारी के कारण क्रू साइन ऑफ नहीं कर पा रहा था। 7 मार्च को क्रू सदस्य रोहिताश कुम्हार (रैंक -Bosun) की मां का देहान्त हो गया लेकिन वह जा नहीं सके।
हमें बहुत ही कम मात्रा में provision प्राप्त हुआ जो केवल एक वक़्त के भोजन के लिए पर्याप्त था।

1 अप्रैल को हम जेटटी के साथ कुवैत के शुएबा बंदरगाह पहुँचे। मई माह में वेतन, साइन ऑफ, दवाओं और डीजल तेल (ईंधन) के मुद्दों पर कई ईमेल फिर से भेजे गए थे। जून में कंपनी ने आधिकारिक तौर पर जहाज और क्रू सदस्यों को निकाल दिया और कम्पनी को दिवालिया घोषित कर दिया। उस समय से हम कुवैती अधिकारियों से  पेयजल और बिजली की आपूर्ति का प्रावधान प्राप्त कर रहे थे।

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शाहीन सैय्यद सामाजिक कार्यकर्ता से जुलाई 2020 में ISWAN के माध्यम से संपर्क किया गया था और जहाज पर 1 क्रू सदस्य भी उनके संपर्क में था। बाद में एसयूआई (सेलर्स यूनियन ऑफ इंडिया) ने आधिकारिक तौर पर यह मामला उनको सौंप दिया और तब से हम अपने रुके हुए वेतन और वापस जाने के लिए लड़ रहे हैं। 8 अक्टूबर 2020 को जहाज से Onboard किए गए 25 क्रू सदस्यों में 6 क्रू सदस्यों को व्यक्तिगत समस्याओं के कारण रवाना कर दिया गया। 7 जनवरी 2021 को क्रू के सभी सदस्यों को जब सारी उम्मीदें समाप्त हो गयीं तो उन्होंने रुके हुए वेतन और वापस जाने के लिए भूख हड़ताल शुरू कर दी। आज तक हम सभी भूख हड़ताल पर हैं और जब तक हम अपना रुका हुआ वेतन प्राप्त नहीं करेंगे, तब तक यह जारी रहेंगे और उसके बाद ही हम वापस जाएँगे।

जहाज पर धरना करते नाविक

उक्त जहाज पर सवार भारतीयों का विवरण कुछ इस प्रकार से है

अशफाक – मुम्बई
विंस्टन नॉरिस -केरला
नीलम कुमार – हिमांचल
भानु शंकर पांडा- उड़ीसा
रोहिताशु कुमार- राजस्थान
आकाश कुमार-हरियाणा
सूरज चैत्री-बेस्ट बंगाल
जगदीश जीतू- आंध्रप्रदेश
विजय सिंह शेखावत-राजस्थान
मोहसिन नाजिर फ़ाकिर- महाराष्ट्र
किशन सिंह- जौनपुर
उज्जवल-हरियाणा
नवीन बोरा- उत्तराखंड
नवीन कुमार सिंह- बिहार
हरिगोपाल- उत्तरप्रदेश
राकेश (परिवर्तित नाम)उत्तरप्रदेश।  जानकारी के मुताबिक जहाज का कैप्टन तुर्की से है व एक बांग्लादेशी और अजरबैजान का नागरिक भी मौजूद है।

देवदूत बनकर आईं सैयद शाहीन

मानवाधिकार कार्यकर्ता सैयद शाहीन भले ही पिछले दो दशक से कुवैत में रह रही हों लेकिन उनके सीने में आज भी हिंदुस्तान ही धड़कता है। देश के बाहर कहीं भी किसी हिंदुस्तानी को कोई तकलीफ हुई तो शाहीन बेहिचक मदद करती हैं। शाहीन के द्वारा किये गए मदद की फेरहिस्त बहुत लंबी और चर्चित भी है। इन नाविकों की व्यथा को जब सैयद शाहीन ने सुना तो वह फौरन मदद के लिए पहुचीं और केपीए (Kuwait Ports Authority) व एमओसी ( Ministry of communication) से मिलकर नाविकों की समस्या को बताया।

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वहीं इस मामले पर जब न्यूज़ टैंक्स की टीम ने जहाजरानी मंत्रालय के अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन बात नहीं हो पाई। यह नाविक अपने वेतन भुगतान के लिए लंबे समय से मांग कर रहे हैं, जो कि उनका हक। जानकारों की मानें तो कुछ आरपीएसएल कंपनी अपने निजी स्वार्थों के कारण नाविकों के हित से सौदा कर लेते हैं, जिससे नाविकों को भारी संकट का सामना करना पड़ता है। वहीं यह नाविक कब तक स्वदेश लौटेंगे अभी कुछ कह पाना मुश्किल है।

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