एनटी न्यूज़ डेस्क/ भारत-ईरान
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी के तीन दिवसीय ऐतिहासिक भारत दौरे का आज यानि शनिवार को आखिरी दिन है. आज सुबह ही ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक-दूसरे से मुलाकात की. जब दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्ष मिले तो लगा कि ये दो नेताओं का नहीं दुनिया की दो सबसे पुरानी सभ्यताओं का मिलन है. दोनों नेताओं ने एक दूसरे को गले लगाकर अपने रिश्तों को और आगे बढ़ाते हुए बातचीत शुरू की.
इससे पहले भारत के राष्ट्रपति भवन में उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया. उन्हें गार्ड ऑफ़ ऑनर देकर उनका सम्मान किया गया. इसके बाद दोनों देशों के बीच नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में एक द्विपक्षीय वार्ता का आयोजन किया गया.
इस सब के इतर, एक चीज़ बहुत ख़ास हुई
असल में दोनों नेताओं ने एक दूसरे को कुछ उपहार दिए. जो दोनों देशों की साझा सभ्यता को दिखाते हैं. प्रधानमंत्री मोदी की ओर से जब राष्ट्रपति हसन रूहानी को रामायण भेंट किया गया तो उन्होंने भी प्रधानमंत्री मोदी को फारसी में पंचतंत्र की कहानियों का एक ग्राफ़िकल अनुवाद और महाभारत का फारसी में अनुवाद भेट किया.
In a warm gesture, Iranian President Dr. Rouhani gifted an animated version of Kalila Wa Demna (Farsi translation of the Panchtantra) and a copy of the Mahabharat in Farsi to PM @narendramodi. #DustemanIran pic.twitter.com/5VjZmI3cEu
— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) February 17, 2018
दोनों नेताओं की यह किताब डिप्लोमेसी केवल यही तक नहीं सीमित है. भारत और ईरान का बहुत पुराना रिश्ता है. दोनों देशों ने अपनी-अपनी सभ्यताएं एक दूसरे से साझा की हैं. ईरान को पहले परसिया के नाम से जाना जाता था और यही पारसी धर्म का उदय स्थान. आज पूरी दुनिया में महज 2 लाख पारसी आबादी है. भारत का सनातन धर्म और पारस का पारसी धर्म, दोनों में बहुत सारी समानताएं हैं. दोनों में अग्नि की पूजा की जाती है और इन्हें पवित्र माना जाता है.
कभी भारत और ईरान एक-दूसरे से अपनी सीमाएं साझा करते थे. महाभारत काल में देश का कुछ हिस्सा ईरान के कुछ इलाकों में भी था. ये उस समय की बात है, जब हमारा शासन गांधार (अफगानिस्तान) के आगे तक था. दोनों देश बहुत ही पुराने मित्र राष्ट्र हैं. आपको पोरस और सिकंदर की लड़ाई अगर याद हो तो यह आपके लिए दोनों देशों के रिश्तों का एक बेहतर उदहारण हो सकता है.
Civilizational connect, contemporary context! PM @narendramodi welcomed President of Iran Dr. Rouhani to India. Both leaders held substantive & productive discussion on cooperation in trade & investment, energy, connectivity, defence & security & regional issues. #DustemanIran pic.twitter.com/LICDykC5F6
— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) February 17, 2018
खैर, ये तो रही दोनों देशों के रिश्तों की बात हुई. अब आइए जानें राष्ट्रपति हसन रूहानी से जुड़ी खास बातें…
दोबारा चुने गए राष्ट्रपति पर
हसन रूहानी एक ईरानी राजनीतिज्ञ, वक़ील, धार्मिक विद्वान व कूटनीतिज्ञ हैं. ईरान की जनता ने बीते साल एक बार फिर हसन रूहानी पर विश्वास जताया था और उन्हें दोबारा वहां का राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी सौंपी. रूहानी पहली बार 2013 में राष्ट्रपति चुने गए थे. यह वह दौर था जब ईरान कई मुश्किलों से गुजर रहा था.
कई बड़ी उपलब्धियां हासिल हुई
ईरान की जनता हसन रूहानी को उदारवादी मानती है. हसन रूहानी के शासनकाल को कई बड़ी उपलब्धियां हासिल हुई. ईरान का पश्चिमी देशों के साथ परमाणु समझौता होना इनमें से एक है.
भारत और ईरान चर्चा में रहा
भारत और ईरान अपने रिश्तों के लिए साल 2001 में पूरी दुनिया में चर्चा में रहा. भारत के गुजरात में आए विनाशकारी भूकंप में ईरान ने मदद के लिए सबसे पहले मदद का हाथ बढ़ाया था.
रूहानी के लिए मिर्जा गालिब के शेर
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब 2016 में ईरान गए थे. उस समय राष्ट्रपति हसन रूहानी ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया था. इस दौरान मोदी ने उनके लिए मिर्जा गालिब के शेर पढ़े थे.
एक शानदार तोहफा भी दिया था
इतना ही नहीं इस मौके पर पीएम ने उन्हें एक शानदार तोहफा भी दिया था. उन्होंने राष्ट्रपति रूहानी रामायण की प्रति भी भेंट की थी. यह को 1715 सुमैर चंद की फ़ारसी में अनुवादित रामायण थी.