एनटी न्यूज़ डेस्क/ बैंक डिफॉल्टर/ योगेन्द्र त्रिपाठी
सबसे पहले विजय माल्या, फिर नीरव मोदी और अब रोटोमैक के मालिक विक्रम कोठारी. इन तीन लोगों ने सरकार से लेकर सीबीआई तक की नाक में दम करके रखा है. ये सारे देश के बैंकों के ऐसे डिफॉल्टर हैं, जिनके ऊपर हजारों करोड़ रूपये डकार जाने का आरोप है. खैर, मामला सामने आने के बाद सरकार से लेकर प्रशासन तक सब हरकत में आ गये हैं. सीबीआई ने रोटोमैक कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी के तीन ठिकानों पर आज यानि सोमवार सुबह छापेमारी की. इसके साथ ही सीबीआई ने विक्रम कोठारी को गिरफ्तार कर लिया है और इसके साथ ही इनकी पत्नी और बेटे से पूछताछ हो रही है. हम आपको बता दें कि लोन डिफॉल्ट के मामले में बैंक ऑफ बडौदा ने कंपनी के मालिक के खिलाफ सीबाआई में शिकायत दर्ज की थी.
न दिया मूलधन न चुकाया ब्याज
खबरों के मुताबिक विक्रम कोठारी ने जिन बैंकों से कर्ज लिया है. उनमें बैंक ऑफ इंडिया, इलाहबाद बैंक और यूनियन बैंक जैसे बड़े बैंक हैं. कोठारी ने ये कर्ज 5 से ज्यादा सरकारी बैंकों से हासिल किया.
बैंकों ने नियमों की अनदेखी कर कंपनी को यह कर्ज दिया है. कोठारी ने मुंबई के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से 485 करोड़ रुपए और इलाहबाद बैंक ने 352 करोड़ रुपए का कर्ज ले रखा है. बैंक ऑफ बडौदा ने असल में कोठारी के ऊपर यह मामला इसलिए दर्ज करवाया है क्योंकि उन्होंने न तो एक साल बाद कर्ज पर लगे ब्याज को भरा और न ही मूलधन चुकाया.
कोठारी ने किया था अफवाहों का खंडन
लोन डिफॉल्टर घोषित होने के बाद खबरें आ रही थी कि विक्रम कोठारी देश छोड़ जा चुके हैं. इस खबर का विक्रम कोठारी ने खुद खंडन किया था और कहा था मैं कानपुर का हूँ और यहीं रहूँगा. मेरा देश महान है और मुझे क़ानून पर भरोसा है.
Yes I took a loan from the bank, but its wrong to say I am not paying it back. I live in Kanpur and will continue to live here, I am not running away anywhere, no country better than India: Vikram Kothari, #Rotomac owner (16.2.18) pic.twitter.com/YVdiibchj1
— ANI (@ANI) February 19, 2018
इसके साथ ही विक्रम कोठारी ने कहा था कि हालांकि मुझे कारोबारी कामकामज के लिहाज से कभी कभी विदेश जाना पड़ता है.
Rotomac Pens owner #VikramKothari seen at the wedding of Jagran group owner Sanjeev Gupta's daughter's wedding in Kanpur yesterday pic.twitter.com/QiYgL02Giq
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) February 19, 2018
विल्फुल डिफॉल्टर का केस भी था
बीते साल बैंक ऑफ बड़ौदा (जो लोन देने वाले बैंकों के कन्सोर्टियम का हिस्सा है) ने पेन निर्माता कंपनी रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड को विलफुल डिफॉल्टर घोषित किया. इन आरोपों पर कंपनी इलाहबाद हाइकोर्ट गई. जहाँ कम्पनी के पक्ष में फैसला किया गया.
मुख्य न्यायाधीश डीबी भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की बेंच ने कम्पनी की याचिका पर फैसला सुनाया कि बैंक ने कंपनी का नाम गलत तरीके से विल्फुल डिफॉल्टर की लिस्ट में डाला है. ऐसा इसलिए क्योंकि डिफॉल्ट के बाद कंपनी की ओर 300 करोड़ की संपत्तियों की पेशकश बैंक के लिए की गई.
हम यहाँ आपको बता दें कि 27 फरवरी 2017 के ऑर्डर में रोटोमैक को विलफुल डिफॉल्टर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिशानिर्देशों के बाद एक अधिकृत कमेटी के द्वारा किया गया था.
जान लीजिए कौन हैं ये महाशय
विक्रम कोठारी भारत की सुप्रसिद्ध पेन निर्माता कंपनी रोटोमैक के मालिक हैं, जिसका संबंध पान पराग से है. कोठारी के पिता मनसुख भाई कोठारी गुजराती परिवार से ताल्लुक रखते थे. मतलब ये भाईसाब भी मूल रूप से गुजराती ही हैं.
मनसुख भाई कोठारी ने अगस्त 1973 में पान मसाले का धंधा शुरू किया और जिसे ‘पान पराग’ का नाम दिया. साल 1983 से 1987 के बीच पान पराग देश की टीवी इंडस्ट्री को विज्ञापन देने वाली सबसे बड़ी कंपनी के रूप में सामने आई.
इसी कम्पनी के एक विज्ञापन में उस दौरे के बड़े कलाकारों में शुमार शम्मी कपूर के ‘बारातियों का स्वागत पान पराग से कीजिएगा’ वाले विज्ञापन ने इसे न भूलने वाला प्रॉडक्ट बना दिया और हर आदमी के जुबान पर रटवा दिया.
मनसुख भाई अपनी कई सालों की मेहनत बाद देशभर में पान मसाले के कारोबार के किंग बन गये. इनके दो बेटे हुए. दीपक और विक्रम कोठारी. पिता का धंधा इन्हीं दोनों के बीच बंटा.
पान पराग बड़े बेटे दीपक के हिस्से में आया और छोटे बेटे विक्रम कोठारी के हिस्से में पेन कंपनी रोटोमैक आई. विक्रम ने इसे चमकाने की खूब कोशिश की और चमकाया भी लेकिन चमक ज्यादा दिन नहीं रही.
इस कम्पनी ने अपने प्रोडक्टस बेचने के लिए सलमान खान जैसे स्टार को ब्रांड एंबैस्डर बनाकर प्रचार करवाया. इसी कंपनी के विस्तार के लिए कोठारी ने बैंकों से लोन लिया, लेकिन धंधा नहीं चला, तो वो बैंकों का पैसा नहीं चुका पाए.
कोठारी ने कानपुर में बैंकों से खूब कर्ज लिया, जिनपर खूब ब्याज चढ़ा, लेकिन अब बैंकों के पास कॉलर पकड़ने के लिए कोई नहीं है.
कोठारी ने किससे कितना कर्ज लिया
विक्रम कोठारी कानपुर में ही रहते हैं, यहीं इनके कई घर हैं और ऑफिस है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कोठारी पर पांच सरकारी बैंकों का कुल 5,000 करोड़ रुपए बकाया है.
इन्होंने ये कर्ज 2010 में लेना शुरू किया था. यूनियन बैंक के स्थानीय मैनेजर की जुबानी अगर मानें तो कोठारी ने पांच बैंकों से करीब तीन हज़ार करोड़ रुपए का लोन लिया था, जो 2018 तक ब्याज लगने के बाद 5,000 करोड़ रुपए हो गया.
रिपोर्ट्स के मुताबिक कोठारी पर अलग-अलग बैंकों का इतना बकाया है:
इंडियन ओवरसीज़ बैंक: 1400 करोड़
बैंक ऑफ इंडिया: 1395 करोड़
बैंक ऑफ बड़ौदा: 600 करोड़
यूनियन बैंक: 485 करोड़
इलाहाबाद बैंक: 352 करोड़
इसके अलावा कोठारी पर 600 करोड़ रुपए का एक चेक बाउंस होने का भी मामला है, जिसमें पुलिस इनकी तलाश कर रही है.
कोठारी को इतना पैसा मिल कैसे गया
अभी तक की रिपोर्ट्स के मुताबित बैंकों ने कोठारी की संपत्ति को ज़्यादा करके आंका, जिससे उन्हें ज़्यादा लोन मिल सका.
यानी कोठारी ने अपनी संपत्ति जितनी कीमत की दिखाई थी, वो उससे कहीं कम कीमत की है. कोठारी को अपने दिवंगत पिता मनसुख भाई कोठारी की साख का भी खूब फायदा हुआ. इसी सब के कारण उन्हें आसानी से लोन मिलता चला गया.
खैर, अब पूरा मामला सामने आ चुका है. सीबीआई में दर्ज हुई आधिकारिक एफआईआर के मुताबिक कोठारी पर महज 800 करोड़ के कर्ज का मामला ही है. जाँच चल रही है. ईडी और सीबीआई छापेमारी में जुटी है. आगे देखने वाली बात यह होगी कि देश को बैंकों का एनपीए बढ़ा कर बड़े पैमाने पर चूना लगा रहे लोगों को सरकार कैसे काबू में लाती है और बैंकों को कैसे इस जंजाल से बाहर लाया जा सकता है.