अपने देश से करीब दो हजार किलोमीटर दूर जम्मू में पैर जमा रहे हैं रोहिंग्या

एनटी न्यूज़ डेस्क/ घुसपैठ

हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद सुर्खियों में आए सेना के सुंजवां ब्रिगेड के आसपास रोहिंग्याओं व बांग्लादेशियों की घनी आबादी कई सवाल खड़े कर रही है। यह सवाल तो कायम है ही कि बांग्लादेश अथवा म्यांमार से पलायन कर उत्तर-पूर्वी राज्यों में घुसपैठ करने के बाद रोंहिग्या करीब दो हजार किलोमीटर दूर जम्मू तक कैसे पहुंच गए और अब यह भी सामने आ रहा है कि सरकारी मिलीभगत के कारण अवैध रूप से बसे रोहिंग्याओं ने कालोनियां तक बना ली हैं।

                                                           अपने देश म्यामार  से पलायन करती रोहिंग्या लोग…

इसके अलावा वे राशन कार्ड, वोटर कार्ड के अलावा आधार कार्ड तक बनाकर सरकारी सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। महत्वपूर्ण दस्तावेजों की सुविधा इन्हें कैसे मिली, इस बारे में भी सरकार के पास कोई स्पष्ट उत्तर नहीं है। इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं ने बिजली-पानी की सुविधा ले रखी है। इससे भलीभांति परिचित होने के बावजूद सरकार अब तक सख्त कार्रवाई करने के बजाय दोहरी नीति अपना रही है।

एक अखबार ने किया बड़ा दावा

बिजली विभाग ने इन्हें स्थायी कनेक्शन दे रखे हैं, जबकि कुछ कनेक्शन फर्जी चल रहे हैं। एक समाचार पत्र  के सूत्र के अनुसार 2008 से 2017 तक 7273 बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिमों को बिजली कनेक्शन दिए गए। यही नहीं बिजली बिल के रूप में 142.53 लाख वसूले गए।

पॉवर डेवलपमेंट डिपार्टमेंट का दावा है कि बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिमों को दिए ये कनेक्शन अस्थायी हैं।

अखबार के सूत्रों ने यह भी जानकारी दी है कि बिजली विभाग के पास कई बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिमों ने स्थायी कनेक्शन के लिए भी आवेदन किए हैं।

इनमें कुछ परिवारों ने कॉलोनी में जमीन भी खरीद रखी है। बिजली कनेक्शन के लिए आधार कार्ड व राशन कार्ड जैसे जरूरी दस्तावेज भी दिए हैं।

आतंकी हमले

                                                                          सेना के सुंजवां ब्रिगेड पर जब हमला हुआ था…

केवल अस्थाई कनेक्शन दिए गए हैं

डिवीजन-दो के एग्जिक्यूटिव इंजीनियर पदम देव सिंह ने कहा कि बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं को नियमों के तहत अस्थायी बिजली कनेक्शन दिए गए हैं।

वह कहते हैं कि नियमों के अनुसार कोई भी उपभोक्ता शपथ पत्र के जरिये यहां कनेक्शन प्राप्त कर सकते हैं। यदि किसी ने स्थायी कनेक्शन के लिए भूमि दस्तावेज के साथ आधार कार्ड या फिर राशन कार्ड लगाए भी होंगे तो विभाग इसमें कुछ नहीं कर सकता। बांग्लादेशी व रोहिंग्याओं की शिनाख्त करने का उनके पास कोई जरिया नहीं है।

सदन में उठ चुका है मामला

इस मामले पर एमएलसी विक्रम रंधावा कई बार आवाज़ उठा चुके हैं. वह विधानसभा में भी रोहिंग्याओं को मिल रही सरकारी सुविधाओं पर सरकार को कई बार घेर भी चुके हैं।

10 फरवरी सुंजवां में जिस जगह आतंकवादियों ने सेना के शिविर पर हमला किया वह जम्मू के रिहायशी इलाके में है। सेना शिविर के पास ही छन्नी हिम्मत, त्रिकुटा नगर जैसे घनी आबादी वाले इलाके भी हैं।

यही नहीं राष्ट्रीय राजमार्ग-चार के पास बने सैन्य शिविर से जम्मू यूनिवर्सिटी की दूरी भी सात किलोमीटर से कम है।

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