ट्रम्प ने भारत समेत पूरी दुनिया से छेड़ा ‘ट्रेड वार’ | जानिए, क्या पड़ेगा प्रभाव

एनटी न्यूज़ डेस्क/ कारो-वार

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आखिरकार अमेरिका में स्टील पर 25 फीसद और एल्यूमीनियम पर 10 फीसद आयात शुल्क लगाने वाले कानून पर हस्ताक्षर कर ग्लोबल ट्रेड वार की औपचारिक शुरुआत कर दी. कनाडा और मैक्सिको को नए कानून के दायरे से बाहर रखा गया है.

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अमेरिका ने भारत और चीन समेत अन्य देशों को यह भी धमकी दी है कि अगर किसी ने अमेरिकी कदम का जवाब देने की जुर्रत की, तो उस पर ‘वास्तविक कर’ यानी उस देश में अमेरिकी स्टील उत्पादों पर लगने वाले आयात शुल्क के बराबर शुल्क लगाया जाएगा.

इसलिए उठाया ट्रंप ने कदम

ट्रंप ने कहा है कि घरेलू उद्योग जगत पिछले कई वर्षो से ‘अनुचित’ कारोबारी गतिविधियों का सामना कर रहा है और उसे बचाने के लिए यह कदम जरूरी है.

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा, ‘अगर स्टील नहीं होगा, तो देश नहीं बचेगा. वर्षो से हमारे उद्योगों को निशाना बनाया जाता रहा है. हमारे यहां मिलें बंद हो रही हैं और कामगार बेरोजगार हो रहे हैं. हमें अपने उद्योगों को बचाना होगा.’

यह है अमेरिका की तिलमिलाहट

वर्तमान में दुनियाभर से अमेरिका को किए जा रहे स्टील और एल्यूमीनियम निर्यात पर अमेरिका में नाम मात्र को आयात शुल्क लगता है, जिसकी मात्र ज्यादातर मामलों में पांच फीसद से भी कम है.

दूसरी तरफ भारत, चीन और कई अन्य देशों में अमेरिकी स्टील और एल्यूमीनियम उत्पादों पर 75 फीसद तक आयात शुल्क लगाए जा रहे हैं.

जवाबी कर की चेतावनी

अमेरिका ने कहा है कि अगर भारत ने अमेरिकी हार्ले डेविडसन बाइक पर 50 फीसद आयात शुल्क लगाया, तो अमेरिका भी भारत से आयातित बाइक पर आयात शुल्क बढ़ाकर 50 फीसद कर देगा, जो अभी बिलकुल फ्री है.

अमेरिका से आयातित कारों पर चीन 25 फीसद टैक्स लगाता रहा है, जबकि अमेरिका सिर्फ 2.5 फीसद आयात शुल्क लगाता है.

हालांकि ट्रंप ने मित्र देशों से कहा है कि जो देश इस कानून के दायरे बाहर रहना चाहते हैं, उन्हें अमेरिकी कारोबार प्रतिनिधियों के साथ सौदेबाजी करनी होगी.

भारत पर संभावित असर

भारत पर इस फैसले का एक सीधा असर यह होगा कि अमेरिका में आयात शुल्क बढ़ने के बाद स्टील और एल्यूमीनियम उत्पादों के सभी निर्यातक देश अब अमेरिका के बदले भारतीय बाजार का रुख करेंगे.

इससे भारतीय स्टील कंपनियों पर बुरा असर पड़ने की आशंका है. भारतीय स्टील कंपनियां पहले से ही मांग से ज्यादा उत्पादन कर रही हैं.

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