…और ये लगा बांग्लादेशी क्रिकेट टीम पर एक और ‘दाग’

एनटी न्यूज़ डेस्क/ खेल

खेल में हार-जीत लगी रहती है लेकिन अगर किसी टीम का कप्तान अपने खिलाडियों को प्रोत्साहित करने के लिए मैंदान के सीमा रेखा तक पहुंचकर कुछ ऐसा करे, जो खेल नियमों के खिलाफ तो कैसा लगेगा. असल में हुआ ही कुछ ऐसा, जिसने बांग्लादेशी कप्तान सहित पूरे टीम को शर्मिंदा करके रख दिया.

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असल में, निदहास ट्रॉफी के बांग्लादेश-श्रीलंका के बीच आखिरी राउंड रॉबिन मुकाबले के दौरान अंतिम ओवर में ‘मैदानी ड्रामा’ से क्रिकेट एक बार फिर कलंकित हुआ.

इस टीम के खिलाड़ी अपनी भावनाओं पर काबू नहीं पा सके. ‘करिए या मरिए’ के मुकाबले के दौरान बांग्लादेश ने श्रीलंका पर जरूर दिलचस्प जीत हासिल कर ली, लेकिन मैच के आखिरी लम्हों में जो कुछ भी हुआ उससे ‘खेल भावना’ दरकती हुई नजर आई.

इस टीम के खिलाड़ी मेजबान टीम से मैदान पर तो भिड़े ही, साथ में जश्न में ऐसे डूबे कि ड्रेसिंग रूम के दरवाजे के शीशे भी टूटे गये. हालांकि इस बात का पता नहीं चल पाया है कि इसके पीछे कौन है. सीसीटीवी फुटेज की जांच की बात सामने आ रही है.

मैच का नतीजा आते ही बांग्लादेश के ड्रेसिंग रूम के दरवाजे के शीशे तोड़ दिए गए. इस घटना की शिकयत ग्राउंड स्टाफ ने क्रिकेट बोर्ड से की है.

इसकी जाँच रिपोर्ट मैच रेफरी को शनिवार इसकी रिपोर्ट सौपी जाएगी. अंपायर खेल के अंतिम क्षणों के वीडियो फुटेज भी खंगालेंगे, जिसके बाद वे इस निर्णय पर पहुंच पाएंगे कि कोई खिलाड़ी इसके लिए कितना दोषी है.

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क्या हुआ मामला और किसका है दोष…?

कोलंबो केआर प्रेमदासा स्टेडियम में बैठे हजारों दर्शक उस वक्त हैरान रह गए, जब बांग्लादेशी कप्तान शाकिब अल हसन अचानक अपने खिलाड़ियों को वापस पवेलियन बुलाने लगे.

इस दौरान मैदान पर बांग्लादेशी और श्रीलंकाई क्रिकेटरों के बीच गर्मागर्म बहस भी हुई. श्रीलंकाई खिलाड़ियों का कहना था कि आखिरी ओवर की शुरुआती दोनों गेंदें कंधे से ऊपर थीं और फील्ड अंपायर ने नो-बॉल नहीं दिया.

बाद में कमेंट्री कर रहे सुनील गावस्कर ने कहा कि गेंद जरूर कंधे से ऊपर थी, लेकिन बल्लेबाज के हेलमेट से नीचे होकर निकली. संजय मांजरेकर ने भी बांग्लादेश के कप्तान शाकिब अल हसन के आचरण को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की है.

आखिरकार पांच मिनट तक चले इस घटनाक्रम को खत्म करने में अहम भूमिका बांग्लादेश के टीम मैनेजर खालिद महमूद ने निभाई.

उनके समझाने के बाद शाकिब ने अपने खिलाड़ियों को खेलने के लिए भेजा. अगर बांग्लादेशी बल्लेबाज बैटिंग के लिए नहीं जाते, तो टीम को टूर्नामेंट से डिस्क्वालिफाई कर दिया जाता और श्रीलंका फाइनल में पहुंच जाता.

अभी भी नहीं थमा विवाद…?

लेकिन, मैच खत्म होने के बाद भी विवाद थमता नजर नहीं आया. खिलाड़ियों ने ऐसा माहौल बना दिया, मानो स्कूली क्रिकेट में जीत या हार हुई हो.

बांग्लादेश के कोच कर्टने वॉल्श को भी अपने खिलाड़ियों को समझाने के लिए मैदान पर उतरना पड़ा.

इतना ही नहीं, बांग्लादेश के खिलाड़ियों ने नागिन डांस करने से भी खुद को रोक नहीं पाए. दुनिया भर में मैदान पर हुए इस विवाद की आलोचना हो रही है.