सुप्रीम कोर्ट में यूआइडीएआई ने कहा- कोई नहीं कर सकता आधार डाटा डिकोड

एनटी न्यूज़ डेस्क/ आधार

आधार की कार्यशैली और तकनीकी पहलुओं के साथ लाभ समझा रहे यूआइडीएआई के सीईओ अजय भूषण पाण्डेय से सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या सरकार के पास ऐसा आंकड़ा है जिससे पता चल सके कि आधार के कारण कितने लोग लाभ से वंचित रहे.

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क्या कहा यूआइडीएआई के सीईओ ने

यूआइडीएआई के सीईओ अजय भूषण पाण्डेय ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, आधार का बायोमीटिक ऑथेंटिकेशन (प्रमाणीकरण) न होने के बावजूद किसी को भी लाभ से वंचित नहीं किया जाता और इसे सुनिश्चित करने के संबंधित विभागों और मंत्रलयों को निर्देश हैं. हालांकि इस बारे में कोई आंकड़ा नहीं है.

उन्होंने आगे कहा कि आधार में सौ फीसद बायोमीटिक ऑथेंटिकेशन संभव नहीं. इसमें आधा फीसद की कहीं कोई कमी रह सकती है लेकिन इसके लिए वैकल्पिक ऑथेंटिकेशन व्यवस्था है, जैसे मोबाइल पर ओटीपी और ई-केवाईसी ऑथेंटिकेशन.

पेश किया ‘पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन’

यूआइडीएआई के सीईओ अजय भूषण पाण्डेय ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में ‘पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन’ पेश करते हुए ये बात कही. कोर्ट की इजाजत से पाण्डेय ने डेढ़ घंटे का प्रजेंटेशन दिया जो शुक्रवार को भी जारी रहेगा.

पाण्डेय ने कहा, आधार न होने पर किसी को लाभ से वंचित नहीं किया जाता. हर चीज आधार से जुड़ी नहीं है. बाकी चीजें सरकार देख रही है. इस बीच, एएसजी तुषार मेहता ने धीरे से पाण्डेय को समझाया कि वे कोर्ट से कहें-‘आधार इज राइट, मैन इज रांग.’

सिस्टम डीकोड करने में लगेगा अनंत समय

पाण्डेय ने आधार के डाटा और पूरे सिस्टम की सिक्योरिटी का हवाला देते हुए कहा, तीन अंकों का लॉक सिस्टम होता है और उसे ब्रेक करने में धरती पर उपलब्ध तीन सुपर कंप्यूटरों को भी अनंत काल लगेंगे.

आधार का डाटा साझा नहीं होता

आधार का डाटा सीआइडीआर के पास उसके सर्वर पर रहता है. ये किसी से साझा नहीं किया जाता. बायोमीटिक ऑथेंटिकेशन में भी अंतिम छोर पर सरकारी एजेंसी ही काम करती है.

यूआइडीएआई को पता नहीं होता कि कहां से किसने ऑथेंटीकेशन कराया है.

भ्रष्टाचार में बंद किए 49,000 केंद्र

आधार में सरकार जीरो टालरेंस पर चल रही है. 49,000 पंजीकरण केंद्रों को भ्रष्टाचार और लोगों को सताने की शिकायतों पर बंद किया गया है. आधार मुफ्त बनता है.

कुछ लोग 300 रुपये ले रहे थे. कुछ लोग गलत प्रविष्टियां लापरवाही या लोगों को परेशान करने के लिए करते थे. उन्होंने कहा,आधार के पहले व्यक्ति के पास राष्ट्रीय स्तर पर पहचान साबित करने का संख्या संबंधी कोई पहचान पत्र नहीं था.

एक जुलाई से आधार में चेहरा भी होगा पहचान

आधार में जो लोग बायोमीटिक देने में बीमारी या किसी अन्य कारण से असमर्थ हैं उनका नाम और ब्योरा दर्ज कर उन्हें अपवाद में शामिल किया जाता है.

आधार कार्ड पर एक क्यूआर कोड होता है, उससे भी पहचान साबित होती है. एक जुलाई से ऑथेंटिकेशन में चेहरा भी शामिल होगा.

नहीं लीक हो सकता बायोमीटिक डाटा

बायोमीटिक डाटा लीक होने की कोई गुंजाइश नहीं है. सॉफ्टवेयर सरकार का है और उसी के सर्वर पर काम होता है. सिर्फ बायोमीटिक मैचिंग सॉफ्टवेयर बाहर से खरीदा गया है, लेकिन मैचिंग के लिए ब्योरा भेजे जाते समय व्यक्ति का नाम व अन्य पहचान नहीं बताई जाती.

बायोमीटिक डाटा रिफरेंस नंबर के साथ भेजा जाता है. वापस आने पर उसका मैनुअली कोडीफिकेशन होता है. सरकार के सर्वर को इंटरनेट से भी नहीं जोड़ा गया है ताकि हैकिंग की गुंजाइश न रहे.