आंतों को पॉलीथिन से बांधे, मौत से बदतर जिंदगी जी रहा जवान

एनटी न्यूज़ डेस्क / मध्य प्रदेश / मुरैना

देश की रक्षा करने वाले जवान अपने अन्दर देश भक्ति का जूनून लेकर बिना किसी डर के अपने प्राणों की आहुति तक दे देते है. उनकी इसी शहादत पर देश में राजनीति तक हो जाती है. लेकिन कोई भी यह नहीं सोचता की यह वो जवान है जो राजनीति के दलदल से दूर रहकर इन्ही राजनीतिज्ञों की सुरक्षा भी करते है. आज ऐसा ही एक मामला सामने आया जिसमे एक जवान जीते-जी शहीद हो रहा है.

जवान
फोटो साभार : जागरण

ग्यारह शहीद हुए 12वां जवान ये…

सच्चाई कड़वी होती है और इस सच्चाई से आपको रु-ब-रु होना पड़ेगा. मध्यप्रदेश, मुरैना के तरसमा गांव निवासी सीआरपीएफ जवान मनोज तोमर आज जीते-जी शहीद हो गया है. इस जवान की जिंदगी मौत से भी बदतर हो गई है.

आपको बता दें चार साल पहले मार्च 2014 में अपने 11 साथियों के साथ छत्तीसगढ़ की झीरम घाटी में सर्च पर निकले थे. इसके बाद तीन सौ से ज्यादा नक्सलीयों ने इनपर हमला बोल दिया. जिसमें 12 जवानों की बटालियन में इस जवान के ग्यारह साथी शहीद हो गये जबकि अपने पेट में सात गोलियां खाने के बाद भी मनोज जिंदा बच गये.

ऐसी जिंदगी जो मौत से बदतर है…

तीन सौ से ज्यादा नक्सलियों ने जब इनपर हमला किया तब इनके पेट में सात गोलियां लगी. कहते है ‘जाको राखे साइयां मार सके ना कोई’ सो मनोज तो बच गये. इलाज हुआ लेकिन इलाज ऐसा नहीं हुआ जैसा एक नेता के साथ अगर ऐसा होता तब किया जाता.

आज बेहतर इलाज के अभाव में मनोज पेट से बाहर निकली आंत को पॉलीथिन में लपेटकर जीवन बिताने को मजबूर हैं.

एक आँख की रोशनी और शरीर की दशा…

मनोज जब गंभीर रूप से घायल हो गये उस समय इनकी आंतो को पेट में नहीं रखा जा सकता था. और इसका ऑपरेशन संभव नही था. इसी मुठभेड़ में इस जवान ने अपनी एक आँख की रोशनी भी खो दी.

आज मनोज को सिस्टम से बहुत दुःख है. अपनी आंत को पॉलीथिन में लपेट कर जीवन बिता रहे इस जवान की दिलेरी आज भी इसे सलाम करने के लिए मजबूर कर रही है. और इनकी यह दशा उन लोगों के मुहं में तमाचा मार रही है जो देश के रक्षकों के नाम पर भद्दी राजनीति करते चले आए है.

आश्वासन मिला, इलाज नहीं…

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सुरक्षा दल में रह चुके जवान मनोज तोमर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मिल चुके है. राजनाथ सिंह ने जब उनके पेट से बंधी पॉलीथिन में रखी आंतों को देखा तो चौंक गए.

मनोज के मुताबिक गृह मंत्री ने उनसे कहा था कि वे अपनी सांसद निधि से पांच लाख रुपए का चेक देंगे. लेकिन अभी तक मदद नहीं मिली है. मनोज के मुताबिक वे केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से भी मिले, जिनकी सिफारिश के बावजूद एम्स में इलाज नहीं हो सका.

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