भारत और चीन के बीच फिर तेज हुआ ‘डोकलाम मसले’ पर तकरार

एनटी न्यूज़ डेस्क/ विदेश

डोकलाम को लेकर भारत और चीन के बीच फिर बहस तेज हो गई है. चीन का कहना है कि डोकलाम उसके अधिकार वाला क्षेत्र है और दोनों देशों के बीच 2017 में बने गतिरोध से भारत को सबक लेना चाहिए. चीन ने यह बात भारतीय राजदूत गौतम बंबावले के उस बयान के बाद कही है जिसमें इलाके में यथास्थिति बदलने की कोशिश के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया गया था. रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को देहरादून में सेना के हर परिस्थिति के लिए तैयार होने की बात कही थी.

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डोकलाम ऐतिहासिक रूप से हमारा है : चीन

चीनी विदेश मंत्रलय की प्रवक्ता हुआ चुनिइंग ने कहा, डोंगलोंग (डोकलाम) ऐतिहासिक रूप से हमारा है. वहां पर चीन की गतिविधियां उसकी संप्रभुता के अधिकार का हिस्सा हैं. वहां ऐसा कुछ नहीं किया गया है जिसे स्थिति में बदलाव कहा जाए.

उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष दोनों देश के बुद्धिमत्ता पूर्ण प्रयास से बना गतिरोध दूर कर लिया गया था. भारत सरकार ने उस घटना से सबक लिया होगा और वह ऐतिहासिक समझौतों व मान्यताओं का पालन करेगी.

प्रवक्ता ने कहा कि हमारा मानना है कि भारत चीन संग मिलकर सीमा पर सकारात्मक माहौल बनाएगा, जो द्विपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने में सहायक साबित होगा.

चुनिइंग ने कहा, चीन और भारत प्रतिस्पद्र्धी या दुश्मन नहीं परस्पर विकास के सहयोगी हैं. दोनों देश तेजी से विकास कर रहे हैं. दोनों का साथ होना दुनिया के लिए उपलब्धि होगा.

यह है पहले का विवाद

ज्ञात हो, 2017 में भारत को उसके उत्तर-पूर्वी राज्यों से जोड़ने वाले संकरे गलियारे के नजदीक चीन ने सड़क निर्माण की कोशिश की थी. वहां पर भूटान का क्षेत्र भी शुरू होता है.

इसके बाद भारतीय सैनिकों ने चीन का काम रुकवा दिया. दोनों देशों की सेनाएं 73 दिन तक आमने-सामने डटी रही थीं और युद्ध से हालात बन गए थे.

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फिर पैदा हो सकती है डोकलाम जैसी स्थिति

हाल ही में चीन में भारत के राजदूत बंबावले ने हांगकांग के अखबार चाइना मॉर्निग पोस्ट को दिए इंटरव्यू में कहा था कि चीन डोकलाम की जमीनी स्थिति बदलने की कोशिश कर रहा था.

भारत-चीन सीमा पर ऐसे बदलाव की कोई कोशिश डोकलाम गतिरोध जैसे हालात फिर पैदा करेगी. हालांकि डोकलाम में फिर से हालात को बदलने की कोशिश नहीं हुई. वहां की सेना संवेदनशील इलाके से दूर है.

बातचीत से विवाद सुलझाए जाएंगे

बातचीत से विवाद सुलझाए जाएंगे बंबावले के इस बयान पर कि चीन से लगने वाली भारत की सीमा (3,488 किलोमीटर) का चिह्नांकन हो चुका है. यह वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के नाम से जानी जाती है.

चीनी प्रवक्ता ने कहा,पूर्वी, मध्य और पश्चिमी सीमा पर कोई विवाद नहीं है. वहां चिह्नांकन हो चुका है. चीन बातचीत से हर विवाद सुलझाने को तैयार है. आशा है कि दोनों देश वार्ता के जरिये मान्य हल तक पहुंच जाएंगे.

प्रवक्ता ने दोनों देशों के बीच सीमा विवाद पर 20 चरणों की वार्ता होने का भी उल्लेख किया.

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