देश के 10 में से चार सबसे पिछड़े जिले यूपी के, नीति आयोग ने जारी किया आकड़ा

देश की राजधानी दिल्ली से महज चंद मील की दूर बसा हरियाणा का नूंह (मेवात) देश का सबसे पिछड़ा जिला है. विकास के दावों की हकीकत बयां करने वाली यह जानकारी सरकार के शीर्ष थिंक टैंक नीति आयोग ने बुधवार को दी है. आयोग ने शिक्षा, स्वास्थ्य व पोषण जैसे पांच क्षेत्रों के विकास के 49 मानकों पर देश के 101 पिछड़े जिलों की रैंकिंग की है. रैंकिंग में नूंह का स्कोर 26 फीसद है. अर्थात शिक्षा, स्वास्थ्य व बुनियादी सुविधाओं के मामले में जिले की स्थिति बहुत खराब है.

सबसे पिछड़ा जिला, राजधानी दिल्ली, नूंह (मेवात), हरियाणा, उत्तर प्रदेश

हालांकि सूची में झारखंड के 21,बिहार के 12 जिले शामिल हैं, लेकिन सर्वाधिक पिछड़े 10 जिलों में से चार उत्तर प्रदेश के हैं.

इनकी कायापलट के लिए की गयी पहचान

नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा,सरकार ने पिछड़े जिलों की कायापलट के लिए 101 जिलों की पहचान की है. हालांकि सरकार ने इन्हें‘आस्पिरेशनल डिस्टिक्ट’ नाम दिया है.

उन्होंने कहा कि इनमें केंद्र व राज्य की योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए प्रभारी संयुक्त सचिव व अतिरिक्त सचिव स्तर के अधिकारी नियुक्त किए हैं. इन जिलों में प्रगति का जायजा लेने को आयोग ने यह रैंकिंग जारी की है. एक अप्रैल से यह रैंकिंग रियल टाइम ऑनलाइन देखी जा सकेगी.

कांत ने कहा कि मई से पता चल सकेगा कि किस जिले में कितनी तरक्की हुई. उन्होंने कहा, इन जिलों का पिछड़ापन शासन की विफलता का परिणाम है. इसके लिए मुख्यमंत्री, स्थानीय सांसद और विधायकों को सोचना चाहिए.

नीति आयोग की सूची में वैसे तो यूपी के आठ जिले हैं लेकिन श्रवस्ती, बहराइच, सिद्धार्थनगर और बलरामपुर विकास की दृष्टि से सर्वाधिक पिछड़े 10 जिलों में हैं.

सबसे पिछड़ा जिला, राजधानी दिल्ली, नूंह (मेवात), हरियाणा, उत्तर प्रदेश

पांच क्षेत्रों के 49 विकास संकेतकों पर रैंकिंग

आयोग ने शिक्षा, स्वास्थ्य व पोषण, कृषि व जल संसाधन, बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर, फाइनेंशियल इन्क्लूजन और कौशल विकास जैसे क्षेत्रों के 49 विकास संकेतकों पर इन 101 जिलों की रैंकिंग की है.

इसके लिए किसी जिले में कितने फीसद बच्चे कुपोषित हैं. टीकाकरण हुआ है या नहीं. बच्चों के गणित और भाषा ज्ञान कैसा है. इसआधार पर मूल्यांकन हुआ है.

सभी जिलों में विकास कार्यो के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए नीति आयोग, गृह मंत्रालय व अन्य मंत्रलयों के बीच जिले बांट दिए गए हैं.

कांत ने कहा,‘चैम्पियंस ऑफ चेंज’ नाम से ऑनलाइन डेशबोर्ड तैयार किया गया है जिसके जरिए इन जिलों की रैंकिंग में उतार-चढ़ाव की ऑनलाइन निगरानी की जाएगी. इससे जिलों में विकास के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी.