सीखने की सच्ची लगन हो तो हर लक्ष्य हासिल किया जा सकता है, इसकी बानगी मप्र के खंडवा जिले के गांवों में देखने को मिल रही है. अपने बच्चों से प्रेरणा लेकर माताओं ने पढ़ाई की और अब वे साक्षर बन गई हैं. बोरगांव खुर्द की रेखा पटेल को बेटी भारती ने पढ़ाया. स्वसहायता समूह में खाना बनाने वाली रेखा अब मिड डे मील का मेन्यू पढ़ लेती है.
इसी तरह ग्राम रूधी में विमला हीरालाल को बेटे जितेंद्र और अंकित ने पढ़ाया. अब वह ईंट-भट्ठे का हिसाब करने लगी है. बुधवार को हुई साक्षर भारत परीक्षा में रूधी केंद्र पर 73 साल की लक्ष्मीबाई और 71 साल की नर्मदीबाई ने कांपते हाथों से अपना नाम लिखा.
साक्षर भारत परीक्षा में 7042 नवसाक्षर हुए शामिल
जिले के 254 केंद्रों पर हुई साक्षर भारत परीक्षा में 7042 नवसाक्षर शामिल हुए. पंधाना रोड के बोरगांव खुर्द के स्वसहायता समूह में खाना बनाने वाली रेखा पटेल को 12वीं तक पढ़ी बेटी भारती पटेल ने पढ़ने के लिए प्रेरित किया. घर और स्कूल के किचन में काम करने के दौरान बेटी ने मां को भाषा और अंक पढ़ना-लिखना सिखाया.
रेखा ने कहा कि पहले मुझे मेन्यू पढ़ने और भोजन करने वाले बच्चों की संख्या लिखने के लिए शिक्षकों को बुलाना पड़ता था. अब मैं मिड डे मील का मेन्यू पढ़ लेती हूं और विद्यार्थियों की संख्या भी लिख देती हूं.
इसी तरह रूधी की विमला पति हीरालाल को सातवीं में पढ़ रहे जितेंद्र और 5वीं में पढ़ रहे अंकित ने पढ़ाया. दोनों बेटों की मदद से अब विमला हिसाब-किताब सीख गई है. ईंट भट्टे से बेची गई ईंटों का हिसाब रख लेती है. दोनों बेटे बुधवार को रूधी मिडिल स्कूल में हुई परीक्षा में मां को छोड़ने आए.
आधार कार्ड लेकर किए पंजीयन
साक्षर भारत परीक्षा में कई ऐसे ग्रामीण भी आए जिनका नाम पहले से परीक्षा के लिए दर्ज नहीं था. ऐसे में इन ग्रामीणों का आधार कार्ड के जरिए पंजीयन कर उन्हें परीक्षा में शामिल किया गया.
साक्षर भारत अभियान : एक नजर
जिले में चार साल से चल रहा है अभियान.
424 पंचायतों के स्तर पर संचालित होती हैं कक्षाएं.
अब तक 85200 ग्रामीण बन चुके हैं नवसाक्षर.
सांसद नंदकुमार सिंह चौहान का आदर्श ग्राम आरूद पूर्ण साक्षर.
इस परीक्षा के बाद 10 से अधिक गांव के ओर पूर्ण साक्षर होने की उम्मीद.
इस परीक्षा के बाद दोबारा होगा निरक्षरों का सर्वे फिर लगेंगी कक्षाएं.