नए शीतयुद्ध के बीच रक्षामंत्री करेंगी रूस का दौरा, क्या होंगे कूटनीतिक परिणाम

वैश्विक कूटनीति के मंच पर शीतयुद्ध जैसे माहौल बन रहे हैं. रूस के पूर्व जासूस सर्गेई स्क्रिपल और उसकी बेटी को जहर देने के बाद से उपजा विवाद पूरी तरह से कूटनीतिक युद्ध में तब्दील हो चुका है. एक तरफ अमेरिका, ब्रिटेन व उनके मित्र देश रूस के राजनयिकों को निष्कासित कर रहे हैं तो जवाब में रूस भी इन देशों के राजनयिकों को वापस भेज रहा है. भारत ने इस विवाद पर अभी कोई बयान नहीं दिया है लेकिन जानकार मान रहे हैं कि ये हालात भारतीय कूटनीति के लिए ज्यादा चुनौतीपूर्ण हैं.

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भारत पर पड़ेगा दोहरा असर

विदेश मंत्रालय से आ रही ख़बरों के मुताबिक अगर यह विवाद गहराता है तो इसका भारतीय कूटनीति पर दोहरा असर होगा.

आर्थिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से फिलहाल भारत को दोनों खेमों की जरूरत है. रूस पर भारत अगर सामरिक जरूरतों की 70 फीसद आपूर्ति के लिए निर्भर है तो अमेरिका के साथ जिस तेजी से संबंध मजबूत हो रहे हैं उसे भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

भारत के लिए बड़ी चुनौती तब आएगी जब अमेरिकी दवाब के चलते रूस चीन के साथ अपने गठबंधन को और मजबूत करेगा. रूस और चीन के रिश्तों में आई गर्माहट को लेकर भारत पहले से ही चिंतित है.

क्या कहते हैं विचारक

देश के जाने-माने रणनीतिक विचारक ब्रह्मा चेलानी ने भी इस खतरे की तरफ इशारा किया है. उन्होंने कहा है, ‘ब्रिटेन ने जिस तरह से रूस के खिलाफ आक्रामक रवैया अख्तियार किया है उससे रूस को लेकर दूसरे पश्चिमी देशों में और आक्रामकता आएगी. पश्चिमी देश रूस को चीन के पाले में धकेल रहे हैं.’

यह विवाद तब उत्पन्न हुआ है जब इन दोनों देशों के साथ भारत की कुछ अहम बैठकों का दौर जल्द होने वाला है. भारत और अमेरिका के रणनीतिक रिश्तों की दिशा व दशा तय करने के लिए दोनो देशों के विदेश मंत्रियों व रक्षा मंत्रियों की अगुआई में पहली बैठक इस महीने के अंत तक हो सकती है.

अगले हफ्ते भारतीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण रूस की यात्रा पर जा रही हैं, जहां अहम रक्षा सौदों पर बात होनी है. जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की मुलाकात होगी.

क्या है मामला…

मार्च, 2018 के पहले हफ्ते में ब्रिटेन में रह रहे रूस के पूर्व जासूस सर्गेई स्क्रिपल व उसकी बेटी पर केमिकल अटैक का मामला सामने आया था. ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरीजा मे ने आरोप लगाया कि इसमें रूस का हाथ है. रूस सरकार ने इसका कड़ा प्रतिवाद किया.

अमेरिका, आस्ट्रेलिया समेत 23 देशों ने रूस के करीब 130 राजनयिकों का निष्कासन कर दिया. रूस ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिका के 60 राजनयिकों को निष्कासित किया है और ब्रिटेन से एक महीने में 50 राजनयिकों को वापस बुलाने को कहा है.