जापान के अंतरिक्ष वैज्ञानिक 2030 तक अंतरिक्ष में बनाएंगे कॉलोनियां

किसी को अच्छा घर नहीं मिल रहा तो कोई ट्रैफिक की समस्या से परेशान है. लेकिन जापान की पहली अंतरिक्ष यात्री चिआकी मुकाई की मानें तो अब यह समस्या बस कुछ दिनों की है. अपनी जिंदगी के 500 घंटे अंतरिक्ष में बिता चुकी 66 वर्षीय चिआकी मुकाई स्पेस कॉलोनी के अपने नए प्रोजेक्ट में जी-जान से लगी हुई हैं. इनकी 30 सदस्यों वाली रिसर्च टीम टोक्यो यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस की हाई-टेक लैब में दिन-रात इस स्ट्डी में जुटी है कि कैसे भविष्य में इंसान को चांद और मंगल पर जिंदा रखा जाए.

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जापान की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री हैं मुकाई

जापान की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री मुकाई कहती हैं, हमारा काम संभावनाओं को तलाशना है और मुझे लगता है कि हम सब के लिए अब धरती छोटी पड़ने लगी है.

उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष में संभावनाओं को खंगालने का चरण अब नए दौर में पहुंच चुका है.

मुकाई का दावा है कि 2030 तक चंद्रमा पर कॉलोनी स्थापित की जा सकेगी. उनकी टीम ने अंतरिक्ष में भोजन पैदा करने का खास तरीका निकाला है.

वह कहती हैं कि इस प्रक्रिया में एक खारे सोल्यूशन में हाई वोल्टेज बिजली सप्लाई कर तरल प्लाज्मा तैयार किया जाएगा जिसका इस्तेमाल भोजन उत्पादन में किया जाएगा. नई तकनीक से आलू भी जल्द पैदा हो सकेंगे.

इनका मानना है कि इस कॉलोनी में घरों के भीतर सामान्य तापमान बना कर रखा जा सकेगा, लेकिन बाहरी तापमान दिन में 130 डिग्री सेल्सियस और रात में -230 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है.

धरती के लिए साबित हो सकता है उपयोगी

मुकाई बताती है कि वे कई ऐसी तकनीकों पर भी काम कर रहीं हैं जिनके एप्लिकेशन धरती पर भी संभव है.

उन्होंने कहा कि हम चंद्रमा के लिए ही तकनीक नहीं बना रहे हैं लेकिन हम ऐसे मसलों पर काम कर रहे हैं जिन्हें कॉलोनी बसाने से पहले धरती पर सुलझाया जा सकता है.

वह आगे कहती हैं कि साथ ही भविष्य में ये धरती के लिए भी उपयोगी साबित हो सकते हैं. मसलन रिसर्चर खाद्य उत्पादन की ऐसी तकनीक पर काम कर रहे हैं जिसमें मिट्टी की आवश्यकता नहीं होगी.

मुकाई कहती हैं कि अगर वाकई यह फॉर्मूला काम कर जाता है तो अफ्रीका के कई ऐसे देश जो संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं भोजन पैदा कर सकेंगे.

मुकाई की इच्छा है कि वह चंद्रमा पर बनने वाली इस कॉलोनी को अपनी जिंदगी में बनते देख लें और एक बार फिर अंतरिक्ष में घूम आएं.