केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद (सीबीएसई) की 10वीं की गणित की परीक्षा में देरी पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई है. साथ ही दोबारा परीक्षा कराने के तरीके पर सवाल उठाते हुए पूछा, आखिर सीबीएसई कैसे जुलाई तक इंतजार कर सकता है और छात्रों को इसके लिए रोक सकता है. इससे न सिर्फ छात्रों का शैक्षणिक वर्ष बर्बाद होगा, बल्कि यह तो उन्हें लटकती तलवार के नीचे खड़े करने जैसा होगा. पीठ ने सीबीएसई और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर पक्ष रखने का आदेश दिया है.
एक एनजीओ की जनहित याचिका पर सुनवाई
सोशल जस्टिस नामक एनजीओ की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने सीबीएसई को आदेश दिया कि वह परीक्षा के बारे में फैसला कर 16 अप्रैल तक सूचित करे.
10वीं की परीक्षा नतीजे के आधार पर ही छात्र यह निर्णय करते हैं कि उन्हें 11वीं और 12वीं में किस विषय में प्रवेश लेना है.
सवालों का जवाब दिया सीबीएसई ने
पीठ के सवालों पर सीबीएसई ने कहा कि गणित की दोबारा परीक्षा कराने के संबंध में अभी कोई फैसला नहीं हुआ है, क्योंकि अब तक यह साफ नहीं हो सका है कि पेपर लीक पूरे देश में हुआ है या फिर इसका असर दिल्ली-हरियाणा तक ही है.
सीबीएसई ने कोर्ट को बताया कि 12वीं अर्थशास्त्र की परीक्षा 25 अप्रैल को आयोजित की जाएगी. याचिका में मांग की गई है कि गणित की परीक्षा जुलाई के बजाय अप्रैल में ही आयोजित की जाए.
उधर, वकील गौरव अग्रवाल ने याचिका दायर कर कहा कि छात्रों को 10वीं गणित व 12वीं अर्थशास्त्र के पेपर में ठीक नंबर दिए जाएं.