एनटी न्यूज़ डेस्क / मथुरा / ग्राउंड रिपोर्ट / बादल शर्मा
उत्तर प्रदेश में पिछले 15 साल से हर पांच वर्ष में प्रदेश की सरकार तो बदलती है लेकिन जनता की किस्मत नहीं, बसपा की मायावती सरकार में यूपी का कायाकल्प होने, सपा अखिलेश सरकार में ‘उत्तर प्रदेश के उत्तम प्रदेश’ बनने और अब सीएम योगी आदित्यनाथ की भाजपा सरकार में ‘बदल रहा है उत्तर प्रदेश’ जैसे नारों से जनता को दिवास्वप्न दिखाने का कुचक्र चल गया है. यूपी के गाँवों की हकीकत इन सरकारी नारों को बेपर्दा कर रही है. हमारी टीम ने जब यूपी के मथुरा जनपद के ग्रामीण इलाकों में जाकर सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की पड़ताल की तो सरकारी अफसरों और मंत्रियों की जुबानी और हकीकत की कहानी उलट मिली.
सीएचसी के हाल बेहाल…
मथुरा के बलदेव ब्लाक के गाँवों में सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में एक दर्जन से अधिक स्वास्थ्य केंद्र ऐसे मिले जिनका विगत दस साल से ताला ही नहीं खुला है, तो कई स्वास्थ्य केंद्रो को ग्रामीणों ने पशुओं का तबेला बना दिया है.
हालात बद से बदतर..
गांवों में स्वास्थ्य केंद्रों की हालत बदतर मिली. यहां तक कि कई सीएच में तो ग्रामीणों ने कब्जा कर रहना शुरू कर दिया है. ग्रामीण स्वास्थ्य सेवओं के विस्तार की बात करने वाली सरकार उस ढाँचे को भी बरकरार रखने में कामयाब नहीं रही हैं जो पहले से मौजूद था.
घूम रहे कुत्ते, और मुर्गे…
इस ब्लॉक के सीएचसी में कई जगह तो कुत्ते आराम फरमाते नजर आए तो कहीं मुर्गे… नजर नहीं आए तो सिर्फ सफ़ेद कोट पहने डॉक्टर.
कौन ज़िम्मेदार…
इसके लिए कोई एक सरकार नहीं बल्कि प्रदेश की बसपा, सपा और भाजपा तीनों सरकारें ही जिम्मेदार है. इसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है. सकरारी स्वास्थ्य सेवाओं की बतदर स्थिति का लाभ फर्जी चिकित्सकों को मिल रहा है, आलम यह है कि सीएमओ आफिस में बाकायदा एक विभाग बना हुआ है जो झोलाछाप चिकित्सकों की मॉनिटरिंग के नाम पर लाखों रुपये महीने की उगाही कर रहा है.
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