एनटी न्यूज़ डेस्क / हरदोई / आशीष सिंह
बीजेपी सरकार के विकास के दावों पर अब तो सरकार के मंत्रियों से सवाल पूछना आसान नहीं रह गया है. वहीं पत्रकारों की सुरक्षा की बात तो दूर की बात गरीब मज़लूम की आवाज़ उठाना भी एक पत्रकार के लिए अब सुरक्षित नहीं है. संविधान में दी गयी अभिव्यक्ति की आजादी पर पुलिस के अफसर चोट करने पर तुले है.
चाटुकारिता कर सिखाया पत्रकारिता का पाठ…
मामला हरदोई का है जहां जिले के प्रभारी मंत्री से जब पत्रकार ने चंद सवाल पूछ लिए तो मंत्री जी सवाल का जवाब न दे सके. मंत्री कैमरे से भागते नज़र आये. वहीं मंत्री के गाड़ी में बैठते ही एसपी हरदोई ने सवाल पूछने वाले पत्रकार को धमकाना शुरू कर दिया. अब सवाल उठता है. भारतीय संविधान का आर्टिक्ल 19 (ए) जहाँ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और बोलने की आज़ादी देता है तो क्या अब ये पुलिसिया अफसर उस स्वतंत्रता पर लगाम लगाएंगे. क्या यह संविधान के इस आर्टिकल हनन नहीं !
पहले सांसद को देखिये, कैसे नहीं दे पा रहे जवाब….
यहाँ की गयी चापलूसी…
दरअसल जिला कार्य योजना समिति की बैठक में प्रस्ताव लिए जा रहे थे. जिसमे जिले के प्रभारी मंत्री अनिल राजभर, सांसद और विधायक समेत जिले के आला अफसर मौजूद थे. प्रभारी मंत्री से जब पिछले साल हुई जिला योजना की बैठक में पास हुए प्रस्तावों पर कितना काम हुआ ये पूछा गया तो वो बगले झाँकने लगे.
साल भर में जिन कार्यो को लेकर करोड़ो रुपया खर्च हुआ वो धरातल पर नहीं है ऐसे सवालों और फिर प्रशासन द्वारा सैकड़ो गरीब लोगों के आशियाने उजाड़ देने वाले सवाल पर मंत्री जी कुछ भी न बोल सके. हालांकि सांसद अंशुल वर्मा ने मंत्री जी को जिले की जानकारी न होने की बात भी बताई. जो की बड़ा सवाल पैदा करती है.
पत्रकार से बोले यह दर्द तुम्हे क्यों…
मंत्री के जाते ही एसपी हरदोई विपिन कुमार मिश्रा पत्रकार को धमकाने में जुट गए. जिसकी कुछ फुटेज कैमरे में कैद हुई है जिसमे गरीब के आशियाने उजाड़ने के सवाल मंत्री से पूछने पर एसपी बोले आप ऐसे परेशान है जैसे आपका मकान गिराया हो वो सब अय्याश है. पत्रकारिता तरीका का आपको नहीं पता है .
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