एनटी न्यूज़ डेस्क / लखनऊ / शिवम् बाजपेई
देश के अन्नदाता किसानों की समस्याओं को लेकर राष्ट्रीय किसान मंच ने अधिवेशन कर किसान हित की मांगों का आव्हान किया. मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष शेखर दीक्षित की मौजूदगी में यह अधिवेशन किसानों की आवाज बुलंद करने के लिए रखा गया था. वहीं किसानों की आवाज दबाने के लिए प्रशासन ने कार्यक्रम की परमिशन ही नहीं भिजवाई.
आवाज दबाने के लिए प्रशासन की करतूत…
किसानों की आवाज बुलंद करने के लिए शनिवार को राजधानी लखनऊ के चारबाग स्थित रवीन्द्रालय में राष्ट्रीय किसान मंच की तरफ से एक अधिवेशन का आयोजन किया गया. इस अधिवेशन शामिल होने के लिए प्रदेश के कोने कोने से सैकड़ों की संख्या में किसान लखनऊ पहुंचे. जिसमें महिला, बुजुर्ग और नौजवान शामिल थे.
किसानों की आवाज दबाने के लिए प्रशासन ने अनुमति प्रदान नहीं की. वहीं मंच के अध्यक्ष शेखर दीक्षित ने बताया कि उन्होंने एक महीने पहले ही इस अधिवेशन को कराने के लिए प्रशासन को लिखित में लिख कर परमिशन मांगी थी. इसके बावजूद किसानों की आवाज दबाने के लिए प्रशासन ने अनुमति नहीं दी.
अधिवेशन स्थल की बत्ती काट दी गयी…
सुबह ग्यारह बजे से आयोजित हुए इस अधिवेशन में प्रशासन ने किसानों की आवाज़ दबाने के लिए रवीन्द्रालय की बिजली को कटवा दिया. यही नहीं रवीन्द्रालय में उपस्थित कर्मचारियों ने किसानों से बदतमीजी की. रवीन्द्रालय के सभागार से निकलने का फरमान सुना दिया गया.
ऐसे जागा प्रशासन,ऐसे मिली परमिशन…
अधिवेशन में शामिल होने आये किसानों ने अपनी आवाज ना दबने की मुहीम उस समय छेड़ दी गयी जब उन्होंने डीएम आवास घेरने का निश्चय कर लिया. जब तक किसान रवीन्द्रालय के बाहर निकलते प्रशासन को इस बात की भनक लग गयी. महज पंद्रह मिनट के अन्दर रवीन्द्रालय के सभागार की बिजली चालू हो गयी और लगभग आधे घंटे बाद अनुमति पत्र मंच के पास पहुँच गया.
उठाये गये ये मुद्दे…
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राष्ट्रीय किसान मंच के बैनर तले हुए किसान अधिवेशन में किसानों ने सरकारों के खिलाफ हुंकार भरते हुए केन्द्र व राज्य सरकारों को दो टूक चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों को स्वीकार नहीं किया गया तो किसान आने वाले चुनाव में देश की सत्ता को बदलने का काम करेगा.
सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय किसान मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष शेखर दीक्षित ने कहा कि सरकारों ने किसानों को अपनी नीतियों के चलते बद से बदतर हालत में ला दिया है. आज किसान आत्म हत्या करने को मजबूर हो रहा है. ऐसे में सरकारों को सोचना चाहिए कि जब किसान ही नही रहेगा तो लोगों के लिए अन्न कौन पैदा करेगा?
शेखर दीक्षित ने कहा कि किसानों के हालात सुधारने के लिए किसानों को निर्णय लेने की प्रक्रिया में भागीदार बनाए जाने की जरूरत है. इसके लिए संवैधानिक किसान आयोग का गठन किया जाना चाहिए तथा किसानों को उसका सदस्य बनाया जाना चाहिए.
जब आयोग संवैधानिक रूप से गठित होगा तो उसके निर्णय भी सरकार के लिए बाध्यकारी होंगे तथा यह किसानों के बेहतर भविष्य के द्वार खोलेगा. उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों के भविष्य को सुरक्षित बनाने का भी इंतजाम करना चाहिए. जीवन भर खेत में विपरीत परिस्थतियों में लोगों के लिए मेहनत करके अन्न उगाने वाले किसान के पेंशन की व्यवस्था की जानी चाहिए. जिससे कि उम्र के उस पड़ाव में किसान को मदद मिल सके जब वह खेत में काम करने में असमर्थ हो.
सम्मेलन में आए किसानों से मुखातिब होते हुए उन्होंने पूछा कि क्या वे मनमाने जमीन अधिग्रहण से नाराज हैं तो? तो किसानों ने गगनभेदी सरकार विरोधी नारों से जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया का विरोध किया. शेखर दीक्षित ने कहा कि किसान, विकास विरोधी नहीं है पर अधिग्रहण की प्रक्रिया तर्कसंगत होनी चाहिए तथा किसान को नुकसान नहीं होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि उद्योगपतियों के लिए पलक पांवडे बिछाने वाली सरकारों ने व्यापार के लिए तो सिंगल विन्डो की व्यवस्था कर दी पर किसान को नलकूप के कनेक्शन के लिए दर-दर भटकने को छोड़ दिया है. उन्होंने मांग कि उद्यमियों की तर्ज पर ही किसानों के लिए भी सिंगल विन्डो की व्यवस्था की जाए.
महाराष्ट्र से आये प्रमुख किसान नेता श्री राजीव द्विवेदी ने कहा पूरे देश मे किसान परेशान है क़र्ज़ मे डूबा हुआ है. फ़सल का सही मूल्य न मिलने के कारण आत्महत्या को मजबूर हो जाता है. सरकारों को सब पता है फिर भी वो पूँजीपतियों के दबाव मे चुप हैं, देश का किसान अपने हक़ की लड़ाई के लिए तैयार है, बस संगठित होने की ज़रूरत है.
दिल्ली से आए किसान नेता अवनीश सलूजा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसानों की आय दोगुनी करने की बात करते हैं लेकिन तत्काल समस्याएं, उनकी आत्महत्याएं, उनका दुख क्या उन्हें नहीं दिखता? नीरव मोदी जैसे लूटखोर देश को लूटकर भाग रहे हैं, उनसे मोदी सरकार पैसा वसूल नहीं पा रही हैं लेकिन गरीब किसानों का कर्जा माफ करने के बजाय उनसे पैसा वसूल रही है.
राष्ट्रीय कवि और किसानो की आवाज़ बुलन्द करने वाले मध्य-प्रदेश मे किसानो के हक़ के लिए लड़ने वाले वेदव्रत वाजपेयी जी ने कहा अब वह दिन दूर नहीं जब अपने हक़ के लिए किसान भी हथियार उठाने को विवश होंगे, फिर देश मे भयावह संकट उत्पन्न होगा. कॉर्पोरेट की दलाली करते-करते सरकारें देश हित की बातें भूल गयी हैं. किसान हित कहाँ से याद रहेगा? सरकारें बस धर्म के नाम पर लड़ना और लड़ाना जानती हैं.
अधिवेशन में उठाये गये प्रमुख मुद्दे…
- किसानों से किए गए वायदे पूरे करे सरकार
- फसली ऋण पर जमीन बंधक कानून तत्काल हो निरस्त
- कृषि योग्य भूमि के अधिग्रहण पर लगे रोक
- किसानों को विद्युत कनेक्शन के लिए सरकार सिंगल विंडो की व्यवस्था करें
- किसानों की न्यूनतम आय सुनिश्चित हो
इस मौके पर किसान नेता संजय द्विवेदी, किसान नेता वेदव्रत वाजेपेयी, किसान नेता अवनीश सलूजा, किसान नेता प्रशांत तिवारी, किसान नेता संजय कुमार, किसान नेत्री कुमारी ऋचा, किसान नेता मोहित मिश्र, किसान नेता वेदप्रकाश मिश्र, किसान नेत्री अल्पना सिंह, किसान नेत्री गरिमा वर्मा, किसान नेता शैलेन्द्र कुमार मिश्र, किसान नेता सर्वेश पाल, किसान नेता शिवप्रकाश सिंह, किसान नेता आलोक कुमार, किसान नेता सादिक सहित देश भर से आये किसान संगठनों के अधिकारी, पदाधिकारी गण मौजूद रहे . सबने एक सुर में किसानों की समस्याओं को लेकर लामबंद होने की बात कही .
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