एनटी न्यूज़ डेस्क / जम्मू / श्रवण शर्मा
जम्मू-कश्मीर में गुरुवार शाम राइजिंग कश्मीर के संपादक शुजात बुखारी की गोली मारकर हत्या कर दी गई है. इस हमले में शुजात बुख़ारी के दो अंगरक्षकों की भी मौत हो गई है. हमलावर पुलिस की गिरफ़्त से दूर हैं। 48 साल के बुखारी श्रीनगर में लाल चौक सिटी सेंटर स्थित अपने ऑफिस प्रेस इनक्लेव से निकलकर एक इफ़्तार पार्टी में जा रहे थे. जम्मू-कश्मीर के डीजीपी एसपी वैद ने कहा है कि मोटरसाइकल सवार हमलावरों ने शाम के लगभग 7.15 बजे हमला किया था. मौके पर ही उनकी मौत हो चुकी थी.अभी तक किसी भी संगठन या गुट ने इस हमले की ज़िम्मेदारी नहीं ली है.
प्राप्त थी अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता फेलोशिप
शुजात बुखारी 1997 से 2012 तक कश्मीर में ‘द हिन्दू’ अख़बार के संवाददाता थे. उन्हें पत्रकारिता के लिए अंतरराष्ट्रीय फेलोशिप मिली थी. शुजात बुखारी को आतंकियों ने 1996 में और 2006 में भी अगवा कर लिया था. 1996 में 19 पत्रकारों के साथ अगवा बुखारी को सात घंटे तक बंधक बनाकर रखा गया था.
2006 में बंधक बनाकर उन्हें मारने की कोशिश की गई थी, लेकिन उनकी जान बच गई थी. जबकि वर्ष 2000 में उन पर हमला हुआ था. इसके बाद उन्हें सुरक्षा भी दी गई थी. शुजात बुखारी के बड़े भाई सईद बशारत बुखारी पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में कानून मंत्री हैं. शुजात बुखारी के परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं. कश्मीर में शांति बहाल करने को लेकर शुजात बुखारी लंबे समय से सक्रिय थे.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शुजात बुखारी के पास आंतकियों की काफी जानकारी इकट्ठी हो गई थी और वह उन जानकारियों को जनता के समक्ष पेश कर सकते थे. हालांकि जांच एजेंसियों ने अभी इस संबंध में कुछ भी बताने से इंकार किया है.
अखबार ने ऐसे दी श्रद्धांजलि
शुजात बुख़ारी की हत्या पर राइजिंग कश्मीर ने अपना विरोध जताते हुए शुक्रवार एडिशन के पहले पन्ने पर उनकी तस्वीर को ब्लैक बैकग्राउंड में प्रकाशित किया है। तस्वीर के साथ एक संदेश भी दिया गया है कि अखबार ऐसी घटनाओं से डरने वाला नहीं है। राइजिंग कश्मीर किसी भी हालत में हमेशा अपने उसूलों पर चलते हुए सच को सामने लाता रहेगा।
सुपुर्द-ए-खाक में उमड़ी भीड़
बेखौफ़ और शांति की कोशिश में लगे राइजिंग कश्मीर के संपादक शुजात बुख़ारी को गुरुवार की शाम उनके सुपुर्द-ए-खाक में भीड़ देखने को मिली. इस मौके पर काफी संख्या लोग में मुख्य मौजूद रहे लोगों ने उन्हें अंतिम विदाई दी. साथ ही उनकी मौत पर आतंकवाद को एक घिनौना चेहरा बताकर सरकार से जल्द ही कड़ी से कड़ी कार्यवाही करने की मांग की है.
आला मंत्रियों ने जताया शोक
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती व पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने घटना पर शोक जताते हुए ट्वीट कर दुख व्यक्त किया है.
वे पत्रकार जिनकी मौतें आज भी हैं रहस्य…
- 13 मई 2016 को सीवान में हिंदी दैनिक हिन्दुस्तान के पत्रकार राजदेव रंजन की गोली मारकर हत्या कर दी गई. ऑफिस से लौट रहे राजदेव को नजदीक से गोली मारी गई थी. इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है.
- मई 2015 में मध्य प्रदेश में व्यापम घोटाले की कवरेज करने गए आजतक के विशेष संवाददाता अक्षय सिंह की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. अक्षय सिंह की झाबुआ के पास मेघनगर में मौत हुई. मौत के कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है.
- जून 2015 में मध्य प्रदेश में बालाघाट जिले में अपहृत पत्रकार संदीप कोठारी को जिंदा जला दिया गया. महाराष्ट्र में वर्धा के करीब स्थित एक खेत में उनका शव पाया गया.
- साल 2015 में ही उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में पत्रकार जगेंद्र सिंह को जिंदा जला दिया गया. आरोप है कि जगेंद्र सिंह ने फेसबुक पर उत्तर प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री राममूर्ति वर्मा के खिलाफ खबरें लिखी थीं.
- साल 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान नेटवर्क18 के पत्रकार राजेश वर्मा की गोली लगने से मौत हो गई.
- आंध्रप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार एमवीएन शंकर की 26 नवंबर 2014 को हत्या कर दी गई. एमवीएन आंध्र में तेल माफिया के खिलाफ लगातार खबरें लिख रहे थे.
- 27 मई 2014 को ओडिसा के स्थानीय टीवी चैनल के लिए स्ट्रिंगर तरुण कुमार की बड़ी बेरहमी से हत्या कर दी गई.
- हिंदी दैनिक देशबंधु के पत्रकार साई रेड्डी की छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में संदिग्ध हथियारबंद लोगों ने हत्या कर दी थी.
- महाराष्ट्र के पत्रकार और लेखक नरेंद्र दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 को मंदिर के सामने उन्हें बदमाशों ने गोलियों से भून डाला.
- रीवा में मीडिया राज के रिपोर्टर राजेश मिश्रा की 1 मार्च 2012 को कुछ लोगों ने हत्या कर दी थी. राजेश का कसूर सिर्फ इतना था कि वो लोकल स्कूल में हो रही धांधली की कवरेज कर रहे थे.
- मिड डे के मशहूर क्राइम रिपोर्टर ज्योतिर्मय डे की 11 जून 2011 को हत्या कर दी गई. वे अंडरवर्ल्ड से जुड़ी कई जानकारी जानते थे.
- डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के खिलाख आवाज बुलंद करने वाले पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की सिरसा में हत्या कर दी गई. 21 नवंबर 2002 को उनके दफ्तर में घुसकर कुछ लोगों ने उनको गोलियों से भून डाला था.