ह्रदय रोगियों की जान पर आफत, दवा दुकानों पर नहीं मिल रही ये दवा 

एनटी न्यूज डेस्क/ लखनऊ 
राजधानी लखनऊ सहित आसपास के जिलों के अतिगंभीर हृदय रोगियों पर जान का ख़तरा मंडरा रहा है।  दरअसल गंभीर हृदय रोगियों को दी जाने वाली पेनीब्योर एलए 12 (  Penibure LA 12 ) इंजेक्शन मार्केट से गायब है। जिससे मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
मरीजों के परिजन इस इंजेक्शन के लिए दवा-दुकानों पर भटक रहे हैं लेकिन इंजेक्शन नहीं मिल रहा है।  आलमबाग के रहने वाले निर्मल श्रीवास्तव की पत्नी प्रतिमा श्रीवास्तव (28) का इलाज एसजीपीजीआई के कार्डियोलॉजी  विभाग में डॉ. पीके गोयल के अंडर में चल रहा है। प्रतिमा श्रीवास्तव हृदय की गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं और उन्हें   पेनीब्योर एलए 12 (  Penibure LA 12 ) नाम का जीवनरक्षक इंजेक्शन हर 21 दिन में देना पड़ता है लेकिन अब दवा दुकानों पर ये इंजेक्शन उपलब्ध ही नहीं है।
निर्मल श्रीवास्तव ने बताया कि उन्होंने तमाम दवा दुकानों पर इंजेक्शन के बारे में पता लगाया लेकिन इंजेक्शन नहीं मिल रहा है। कारण पूछने  पर पता चला कि जबसे केंद्र सरकार की ओर से जीवनरक्षक दवाओं के दाम कम किये गए हैं, तब से दवा दुकानदारों ने ये दवाई लेना बंद कर दी है क्योंकि इस पर मार्जिन नाम मात्र है।  अब सवाल उठता है कि वह मरीज कहाँ जाएँ, जिनको इस दवा की सख्त जरूरत है, और ये दवा ही उनकी जान बचा सकती है।

सीएमओ को लिखा लेटर 

निर्मल श्रीवास्तव ने बताया कि इस समस्या को लेकर उन्होंने लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एसके बाजपेई को लेटर लिखा तो उन्होंने अमीनाबाद स्थित एक मेडिकल स्टोर पर दवा मिलने की बात कही लेकिन वहां सर्च करने पर भी दवाई नहीं मिली।

इसके अलावा निर्मल श्रीवास्तव ने रायबरेली सीएमओ को भी लेटर लिखा, जिस पर रायबरेली सीएमओ का जवाब था कि ये मामला चिकित्सा शिक्षा से सम्बंधित हैं।

एसजीपीजीआई में भी नहीं मिल रही दवा 

निर्मल श्रीवास्तव ने बताया कि  पेनीब्योर एलए 12 इंजेक्शन एसजीपीजीआई में भी उपलब्ध नहीं है। जब इस बारे में डॉ. पीके गोयल से बताया तो उन्होंने इसकी शिकायत सीएमओ से करने की बात कही। लेकिन वहां से भी कोई मदद नहीं मिली।

हर तीसरे हार्ट पेशेंट को लगता है इंजेक्शन 

आपको बता दें कि  पेनीब्योर एलए 12 इंजेक्शन हर तीसरे गंभीर हार्ट पेशेंट को लगाया  जाता है। ये इंजेक्शन 21 दिन के अंतराल पर दिया जाता है। वही इसकी तुलना में जो दवाएं दी जाती हैं, वह केवल 15 से 20 प्रतिशत ही काम करता है, जबकि इंजेक्शन 70 प्रतिशत काम करता है। इसलिए इस इंजेक्शन के न मिलने से हृदय के गंभीर रोगियों की जान खतरे में है।