“किसान की बेटी” ने रचा इतिहास, स्वर्ण पदक जीतने वाली “हिमा दास” पहली भारतीय महिला

एनटीन्यूज डेस्क/दिल्ली/श्रवण शर्मा

भारत की किसी भी महिला ने विश्व चैंपियनशिप के किसी भी स्तर पर स्वर्ण पदक नहीं जीता था। वह विश्व स्तर पर ट्रैक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय खिलड़ी हैं। खिताब की प्रबल दावेदार 18 साल की हिमा दास ने 51.13  सेकेंड के समय के साथ स्वर्ण पदक जीता है।

रच दिया इतिहास

चौथे नंबर की लेन में दौड़ रही हिमा दास अंतिम मोड़ के बाद रोमानिया की आंद्रिया मिकलोस से पिछड़ रही थी लेकिन अंत में काफी तेजी दिखाते हुए वह बाकी धावकों से काफी आगे रही। अपने इस प्रदर्शन के साथ हिमा दास  भाला फेंक के स्टार खिलाड़ी नीरज चोपड़ा की सूची में शामिल हो गई जिन्होंने 2016 में पिछली प्रतियोगिता में विश्व रिकार्ड प्रयास के साथ  गोल्‍ड जीता था। विश्व जूनियर चैंपियनशिप में भारत के लिए इससे पहले सीमा पूनिया (2002 में चक्का फेंक में कांस्य) और नवजीत कौर ढिल्लो (2014 में चक्का फेंक में कांस्य) पदक जीत चुके हैं।

लक्ष्य हासिल किया

रिकार्ड इससे पहले का

वह अप्रैल में गोल्ड कोस्ट में हुए राष्ट्रमंडल खेलों की 400 मीटर स्पर्धा में तत्कालीन भारतीय अंडर 20 रिकार्ड 51. 32 सेकेंड के समय के साथ छठे स्थान पर रही थी। इसके बाद गुवाहाटी में हाल में राष्ट्रीय अंतर राज्य चैंपियनशिप में उन्होंने 51.13 सेकेंड के साथ अपने इस रिकार्ड में सुधार किया।

स्वर्ण पदक हिमा दास

खेत में काम करते हैं पिता

हिमा एक संयुक्त परिवार से हैं. उनके घर में कुल 16 सदस्य हैं। घर की आर्थिक स्थिति ऐसी है कि बस अपने खाने-पीने की व्यवस्था हो जाती है। हिमा के घर की आर्थिक स्थिति बहुत ज़्यादा अच्छी भी नहीं है। उनके पिता किसान हैं, खेती-बाड़ी करते हैं, जबकि मां घर संभालती हैं। हिमा जिस जगह से आती हैं, वहां अक्सर बाढ़ भी आती रहती है, इस वजह से भी परिवार को कई बार आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है।

बधाइयों की बहार

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