एनटी न्यूज़ //राज़ी सिद्दीकी// बाराबंकी-
बाराबंकी जिले के तराई इलाकों में बाढ़ और कटान से होने वाली तबाही बदस्तूर जारी है। घाघरा नदी का जलस्तर घटने पर सूरतगंज, रामनगर और सिरौलीगौसपुर तहसील के कई गांवों पर कटान का खतरा गहराने लगा है। गांव के लोगों के आशियाने कटान की जद में आने से जमींदोज होना शुरू हो गए हैं। ऐसे में बाढ़ पीड़ित अपनी गृहस्थी का सामान लेकर सुरक्षित ठिकानों की ओर पलायन कर रहे हैं। लेकिन चारों तरफ बाढ़ ने ऐसा हाहाकार मचा रखा है कि कई गावों में तो लोग नांव पर ही अपनी जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं। हालात ऐसे हैं कि महिलाएं नांव के ऊपर ही किसी तरह चूल्हा जलाकर अपना और अपने परिवार का पेट भर रही हैं।
जाने क्या है पूरा मामला –
नांव पर कर रहे दो रोटी का जुगाड़ –
तिलवारी गांव की एक महिला का कहना है कि 20 से 25 लोगों के परिवार को लेकर वह यहां पड़ी हैं और लगभग महीने भर से ज्यादा समय हो गया है जबसे वह नांव पर ही खाना बनाने को मजबूर हैं। महिला ने बताया कि चारों तरफ पानी ही पानी है जिसके चलते उनको नांव पर ही खाना बनाना पड़ रहा है। महिला ने बताया कि कभी-कभी तो नांव नहीं आती तो हम लोग खाना भी नहीं बना पाते। बच्चे भीख से बिलबिलाया करते हैं। महिला ने मांग कि सरकार को हम लोगों के लिए कोई स्थायी विकल्प निकालना चाहिए। इतना बड़ा परिवार है और राशन अगर एक-दो लोगों के लिए ही दिया जाएगा तो हम लोगों का गुजर-बसर कैसे है
खौफ में है पूरा गाँव-
बाढ़ के चलते पूरा गाँव मे खौफ का माहौल है और पानी कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है बाढ़ की मौजूदी स्थिति पर बाराबंकी के एडीएम संदीप कुमार गुप्ता का कहना है कि नदी का जलस्तर अभी भी खतरे के निशान से करीब 68 सेंटीमीटर ऊपर है। एडीएम ने बताया कि बाढ़ पीड़ितों में समय-समय पर राहत सामग्री का वितरण कराया जाता है। मवेशियों के लिए चारे की भी व्यवस्था कराई गई है। बाढ़ पीड़ितों को हर संभव मदद की जा रही है।
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