एनटी न्यूज डेस्क/ लखनऊ
समाजवादी पार्टी के नेता पवन पांडेय की ओर से अभी हाल ही में सेक्युलर मोर्चा का गठन किये जाने पर शिवपाल सिंह यादव को बीजेपी एजेंट बताये जाने के जवाब में सेक्युलर मोर्चा के प्रवक्ता दीपक मिश्रा ने पवन पांडेय पर जोरदार हमला बोला है।
दीपक मिश्रा ने कहा कि टोंटी, बंगले और होटल वाले हम पर सवाल न उठाये।
उन्होंने कहा कि साम्प्रदायिक ताकतों को रोकने के लिए समाजवादी सेक्युलर मोर्चा शिवपाल सिंह यादव के नेतृत्व में काफी आगे बढ़ चुका है। मिल रहे व्यापक जनसमर्थन से विपक्षियों में बौखलाहट होना स्वभाविक है, इसलिए ऐसा प्रतीत होता है कि शिवपाल यादव व मोर्चा की छवि धूमिल करने का कुत्सित कुप्रयास सपा शीर्ष नेतृत्व द्वारा शुरू हो चुका है लेकिन जनता को सारी सच्चाई पता है।
सर्वविदित है कि शिवपाल यादव के ही भागीरथ प्रयासों से भाजपा को रोकने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन बन चुका था जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा जी, शरद यादव, लालू यादव, अजीत सिंह सदृश नेताओं ने नेताजी को अपना अध्यक्ष मान लिया था। जिसकी झांकी नेताजी व शिवपाल जी के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी के रजत जयंती समारोह में पूरे देश ने देखा था। तब किसने महागठबंधन को तोड़ा था और क्यों?
वही ताकतें फिर सक्रिय हो गई हैं। उस समय यादव सिंह प्रकरण भी काफी सुर्खियों में था, महागठबंधन टूटते ही सब यथावत् हो गया। समाजवादी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी बनने के मुहाने से लौट आई और शिवपाल यादव का नेताजी को प्रधानमंत्री बनाने का स्वप्न भी अधूरा रह गया जो उन्हें जनेश्वर जी, मोहन सिंह, बृजभूषण तिवारी और रामशरण दास सदृश समाजवादी नेताओं से विरासत में मिला था। किसने यादव सिंह मामले में खुद की फंसी गर्दन को बचाने के लिए भाजपा के एजेण्ट के रूप में समाजवादियों के बढ़ते कदम रोका था, वही ताकतें फिर उभर रहीं हैं, उनसे सावधान रहने की जरूरत है।
दीपक मिश्रा ने कहा कि भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त हो चुके फैजाबाद के एक स्थानीय नेता व सपा प्रवक्ता ने शिवपाल जी पर अनर्गल व तथ्यहीन आरोप लगाये हैं। सपा वाले यदि बंगले, टोटी व होटलों की बात न करें तो बेहतर होगा। अनुज पवन सरीखे नेता जब समाजवाद की दोहाई देते हैं तो हंसी भी आती है और रोना भी। “उनका लहजा बता रहा है, उनकी दौलत नई-नई है।“ ऐसे लोगों को कारण ही सपा आज पतनोन्मुख और रसातल की ओर द्रुतगति से अग्रसर है। इन्हीं तत्वों के कारण सपा को भयावह हार का अवांछनीय मुंह देखना पड़ा।
ये खुद तो हारे ही और इनकी बदौलत सपा के सोशलिस्ट कैरेक्टर पर भी सवालिया निशान लगने लगा। ये समाजवाद के आंतरिक शत्रु हैं, मैं “दीमक“ शब्द का प्रयोग नहीं करना चाहता। जिस शिवपाल जी को “द्वारिकाधीश“ कहकर “चरण-रज“ को माथे पर लगाकर स्वयं को धन्य कहते थे, उन पर इस तरह के अनर्गल आरोप लगाने वाले लोगों का, दरअसल अपना जनाधार व साख खोने से मानसिक संतुलन बिगड़ गया है।
फैजाबाद सभा में उमड़ा जन-सैलाब देखकर भाई पवन का हताश होना स्वभाविक है। शिवपाल जी ने हमेशा समावेशी विकास पर जोर दिया है। अयोध्या ही नहीं पूरे उत्तर प्रदेश में जो विकास कार्य हुए हैं उसकी धुरी शिवपाल जी थे। इनके ऊपर भ्रष्टाचार का कोई आरोप विरोधी तक नहीं लगा सके, जो महोदय भ्रष्टाचार की बात कर रहे हैं, वे स्वयं भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त हो चुके हैं। अखिलेश यादव ने ही उन्हें बर्खास्त किया था और पुनः क्यों बहाल किया, यह तथ्य पूरा फैजाबाद जानता है। पूरी दुनिया जानती है कि नेताजी के “लक्ष्मण“ व “हनुमान“ के रूप में किसका नाम लिया जाता है। जो फर्जी व झूठा होता है उसे हर कोई फर्जी व झूठा लगता है। “जाकि रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।“
सभी जानते हैं कि सेक्युलर मोर्चा का गठन नेताजी के आशीर्वाद से उन्हीं की उपेक्षा से व्यथित होकर शिवपाल जी ने किया है। समाजवादी सेक्युलर मोर्चा शीघ्र ही समाजवादी मूल्यों को बचाने के लिए व्यापक अभियान का सूत्रपात करेगी।
समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के अब सपा से रास्ते अलग हैं एवं समाजवादी सेक्युलर मोर्चा समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को यह सलाह देता है कि अपने बचे-खुचे जनाधार एवं अपनी ऊर्जा साम्प्रदायिक ताकतों को देश में राज करने से रोकने के लिए समाजवादी सेक्युलर मोर्चा का सहयोग करें।