एनटी न्यूज डेस्क/ बनारस
यूनाइटेड नेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 20 करोड़ लोग हर रोज भूखे सोते हैं। ये आंकड़ा जितना ही बड़ा है, उतना ही एक सभ्य समाज के लिए शर्मनाक है। देश के आजादी के 70 साल बाद भी लोग भुखमरी के कगार पर खड़े हैं। आपके आस-पास, पास-पड़ोस में तमाम ऐसे लोग हैं ,जो एक वक्त का खाना खाकर ही अपनी जिंदगी का गुजारा करते हैं। देश में अन्न की बर्बादी का प्रतिशत भी बहुत अधिक है। देश में हर साल 50 हजार करोड़ रुपये का अन्न बर्बाद होता है।
अगर यहां आंकड़ों पर गौर करें तो ये निष्कर्ष निकलता है कि देश में भुखमरी का कारण अन्न की बर्बादी भी है। यदि बर्बाद हो रहा अन्न किसी जरूरतमंद के पास पहुंच जाए तो किसी का पेट भी भरेगा और हंगर इंडेक्स में देश के आंकड़ों में भी सुधार होगा। बस जरूरत है जागरूकता और संवेदनशीलता की और समाज एवं देश के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझने की।
ऐसी ही जागरूकता उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा में तैनात एक पुलिस अधिकारी की ओर से दिखाई गई है। 36वीं वाहिनी पीएससी, भुल्लनपुर, वाराणसी में कमांडेंट के रूप में तैनात आईपीएस विनोद कुमार मिश्रा की जागरूकता और संवेदनशीलता से बनारस में रोजाना 50 से 60 भूखे लोगों को भोजन मिल रहा है।
न्यूज टैंक्स से खास बातचीत में आईपीएस विनोद कुमार मिश्रा ने बताया कि उन्होंने बीते 2 अक्टूबर से थानों में बर्बाद हो रहा भोजन भूखों तक पहुंचाने के लिए काम शुरू किया। इसकी शुरुआत को लेकर विनोद कुमार मिश्रा ने बताया कि वह हर रोज सुबह टहलने के लिए निकलते थे तो उन्हें थाने के बाहर बचे हुए भोजन की सड़ांध आती थी। जिसे कुत्ते खाया करते थे। इसके बाद उन्होंने सोचा कि ये बचा हुआ भोजन किसी भूखे के पास पास पहुंच जाए तो इसका सदुपयोग होगा। जिसके बाद उन्होंने थानों से भोजन को भूखे लोगों तक भोजन पहुंचाने का बीड़ा उठाया।
आईपीएस विनोद कुमार मिश्रा ने बताया कि मथुरा एसएसपी रहते उन्होंने सभी थानों/चौकी में बचे हुए अन्न को लोगों तक पहुंचाने की व्यवस्था शुरू की। इसमें रोटी बैंक संस्था की ओर से मदद भी मिली। जब उनकी तैनाती बनारस पीएससी में हुई तो उन्होंने यहां भी ये काम शुरू किया।
आईपीएस ने बताया कि बनारस में सुबह और शाम दोनों टाइम बचे हुए खाने को जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाया जाता है। जिससे अभी गक 50 से 60 लोगों का पेट प्रतिदिन भर रहा है। साथ ही और लोगों को भी जागरूक किया जा रहा है, जिससे ये मुहिम बढ़ती रहे और जरूरतमंदों को भोजन मिलता रहे।
इसको लेकर आईपीएस विनोद कुमार मिश्रा ने अपनी फेसबुक आईडी पर एक संवेदनशील और जागरूक पोस्ट भी शेयर की है ..
“बिना कोई पैसा खर्च किए भूखे लोगों के पेट तक भोजन पहुँचाने का आन्दोलन।
यदि आप पुलिस विभाग में हैं तो मेरे परिवार के ही सदस्य हैं और यदि आप पुलिस विभाग में नहीं हैं तो मेरे संबंधियों में एक हैं। आज की पुलिस ब्रिटिश सरकार की पुलिस नहीं बल्कि हम भारतीयों की भारतीय पुलिस है, जिसका एक सामाजिक सरोकारों का भी चेहरा है।इसीलिए कहना चाहूँगा कि आप कोई भी हैं, मगर हैं तो आप मेरे अपने ही और आपको साथ लेकर मैं आज समाज में एक नया आन्दोलन ”सहयोग आन्दोलन ” प्रारंभ करने चला हूँ।
यह आन्दोलन इस मिथक को तोड़ देगा कि पुलिस के पास केवल दण्ड और कानून ही है । अब जब आप हमारे साथ धीरे-धीरे चलते हुए देखेंगे कि पुलिस के पास तो ऐसी व्यवस्था है जो संसार में किसी संस्था के पास नहीं है तो आपको हमारे साथ चलने में प्रसन्नता होगी।
मेरे सम्माननीय साथियों, पुलिस विभाग में प्रत्येक जनपद की पुलिस लाइन, पीएसी की प्रत्येक वाहिनी में और सभी थाने/ चौकी में जितना भोजन बनता है, उसका एक हिस्सा प्रतिदिन बच जाता है और ऐसे ही फेंक दिया जाता है। अतः मेरा सहयोग आन्दोलन आपसे यह अनुरोध करता है कि यदि आप पुलिस विभाग में हैं तो आप अपने घर, कार्यालय, थाना, सर्किल, जनपद अथवा किसी भी शाखा में जहाँ भी भोजन की व्यवस्था होती है वहां एक भी रोटी का टुकड़ा बेकार न जाने दीजिये।
यदि आप पुलिस विभाग में नहीं हैं तो भी अपने घर और अपने आसपास के लोगों के घर से भोजन सामग्री फेंक दिए जाने से पहले ही उसे एकत्रित करके स्वयं या अपने मित्रों के साथ या पास के थाने, चौकी के या पुलिस लाइन के अधिकारी/ कर्मचारी से संपर्क करके भूखे लोगों को वितरित कराने में सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं। किसी भी नेक काम के किसी संस्था की आवश्यकता नहीं होती बल्कि हम सभी अपने अपने स्तर से सहयोग कर सकते हैं।
आज भी मन्दिर में, रेलवे स्टेशन पर और कई धार्मिक स्थलों पर भूखे लोगों को देखा जा सकता है, यदि खाना फेंकने से पहले ही उसे एकत्रित करके इन भूखे लोगों को खिला दिया जाए तो कितना बड़ा कार्य होगा, कहने की आवश्यकता नहीं है। आप अपने नगर में संचालित संस्था ” रोटी ” की भी सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
आपको पता है न कि प्रतिदिन पुलिस विभाग के लिए बनने वाले भोजन में से बच जाने वाले भोजन से ही लगभग बीस से पच्चीस हजार लोगों को सुबह और शाम को भोजन मिल सकता है। तो आप आन्दोलन सहयोग में भाग लीजिए न । “