जूते की अभिलाषा [व्यंग्य]: अलंकार रस्तोगी

एनटी न्यूज / लखनऊ डेस्क

एक आलीशान जूते का शोरूम. अपने देश में सरकारी अस्पताल भले ही जर्जर हालत में हों लेकिन जूतों के शोरूम का आलीशान होना अब वांछनीय योग्यता की श्रेणी में आ चुका है. तो ऐसे ही किसी एयर कंडीशंड शो रूम के किसी डिब्बे में कैद जूतों की एक जोड़ी अपने उद्धारक यानी ग्राहक का इंतज़ार कर रही थी.

व्यंग्यकार अलंकार रस्तोगी

फैशन और वैरायटी के इस युग में जूतों के लिए ग्राहक का इंतज़ार पंद्रह अगस्त की बम्पर सेल के बिना लम्बा ही खिच जाता है. इसी दौराने इंतजार में एक जूतों की जोड़ी टाइम पास के लिए आपस में बतियाने लगी.

‘….तो मेरे भोले भाई जब कोई नेता किसी दूसरे नेता को अपने जूतों से मारता है तब वह जनहित का ही तो काम कर रहा होता है. वह जनाकांक्षा का ही तो ध्यान रख रहा होता है.’

 

पहले जूते ने दूसरे जूते से अपनी मन की बात करते हुए कहा – ‘मुझे तो इंतज़ार है ऐसे किसी ग्राहक का जो आदर्श की पराकाष्ठा को छूता हो. वह व्यक्ति ऐसा हो जिसके अंदर सदाचार , विनम्रता , त्याग वाले गुण समाये हों. वह जिधर चले उसके कदम को लोग अपनी मंजिल बना लें. उसके लाखों समर्थक हों जो उसके क़दमों में सर झुकाते हों. वह मुझे महज पैरों की जूती ही न समझे बल्कि मुझसे वैसा ही लगाव करे जैसे वह अपनी हर प्यारी चीज़ को करता हो. वह जनहित का कार्यों में मेरा सदुपयोग करे न कि महज पैरों को ढकने वाली निरीह वस्तु मानकर चले.

‘तो सीधे से कहो न तुम्हे किसी नेता की तलाश है. तुम्हारी यह मनोकामना कोई प्रजातंत्र का झंडाबरदार श्वेत वस्त्रधारी व्यक्ति ही पूर्ण कर सकता है.’ दूसरे जूते ने आत्मविश्वास के साथ उसके आदर्श का परिचय यथार्थ से करवा दिया. उसके इस कटु सत्य से आत्मसात करने का पहले जूते के पास कतई विकल्प नहीं था. उसने मुंह बनाते हुए कहा –‘क्या इस दुनिया में मेरी अभिलाषा पूरी करने वाले अन्य प्राणी नहीं रह गए है ? जिस देश में महानता और योग्यता लोगों में कूट –कूट कर भरी हो उसमें मुझे अपने हितैषी के लिए किसी नेता से ही समझौता क्यों करना पड़े ?’ उसकी सतयुगीन मासूमियत को सुनकर दूसरा जूता ठहाके मारकर हसंने लगा.

फिर अपनी हंसी पर काबू पाते हुए बोला –‘ भाई मेरे ! तुमने कहा मुझे आदर्श की पराकाष्ठा वाला को छूने वाला इंसान चाहिए तो बताओं जो मंत्री बनने के लिए झूठी शपथ खाता हो उससे बड़ा आदर्शवादी और कोई होगा भला. तुमने आज तक किसी डाक्टर ,इंजीनयर और यहां तक टीचर को शपथ खाते हुए देखा है? तुमने कहा कि वह सदाचारी हो तो कोई ऐसा नेता देखा है जो चुनाव के समय आपके पैर छुए बिना वोट मांगता हो. तुमने कहा वह विनम्र हो तो बताओ कि वह नेता ही तो होता है जो विनम्रता के कारण किसी अल्पमत की सरकार को समर्थन देकर लोकतंत्र की रक्षा करने का दावा करता है. तुमने कहा वह त्यागी हो तो भला बताओ जो महज एक मंत्री पद के लिए अपनी पार्टी का त्याग कर देता हो उस जैसा दल त्यागी कोई और होगा भला.

तुमने कहा वह जिधर चले उधर लोग अपनी मंजिल बना लें तो भाई मेरे यह आदर्श व्यक्तित्व सिर्फ और सिर्फ एक नेता का ही होता है. लगता है तुमने उसकी रैलियों में होने वाली भीड़ नहीं देखी . और अगर तुम्हें ऐसे किसी व्यक्ति की तलाश है जिसके लाखों समर्थक हों तो कभी किसी नेता का फेसबुक पेज पर फेक लाइक्स देख लेना उसकी समर्थकों की संख्या का एहसास हो जायेगा.

तुमने कहा कि वह तुमसे वैसा ही लगाव करे जैसा उसे अपनी हर प्यारी चीज़ के साथ होता है तो लगता है तुमने किसी बाढ़ ग्रस्त एरिया में नेता को अपने सुरक्षा कर्मी के कन्धों पर चढ़ कर भ्रमण करते नहीं देखा है. वह ऐसा इसीलिए तो करता है कि उसे अपनी जनता से ज्यादा जूतों से लगाव होता है. तुमने कहा कि वह तुम्हारा उपयोग जनहित के कार्यों में करें . तो मेरे भोले भाई जब कोई नेता किसी दूसरे नेता को अपने जूतों से मारता है तब वह जनहित का ही तो काम कर रहा होता है. वह जनाकांक्षा का ही तो ध्यान रख रहा होता है.’

यह व्यंग्य जाने-माने व्यंगकार अलंकार रस्तोगी द्वारा लिखित है. हाल ही में इनकी पुस्तक ‘डंके की चोट पर’ का विमोचन हुआ है.

आम चुनाव की तारीखों का ऐलान, आपके यहां इस दिन पड़ेंगे वोट

प्रेम संबंध के चलते चार परिवार तबाह, बहन की हत्या कर भाई ने किया सरेंडर

AAP ने लगाया चुनाव आयोग पर आरोप, कहा बीजेपी कार्यालय से हो रहा संचालित

इटावा से अशोक सिंह हो सकते हैं कांग्रेस उम्मीदवार

Advertisements