एनटी न्यूज / विज्ञान-तकनीक
इसरो ने सोमवार को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान (डीआरडीओ) की मदद से विकसित किए गए सैन्य सैटेलाइट एमिसैट को अंतरिक्ष में स्थापित कर एक बड़ी कामयाबी हासिल की. ये सैटेलाइट दुश्मन के इलाकों में रडार का पता कर लड़ाकू विमानों व अंतरिक्ष यान की रक्षा करेगा.
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सैकड़ों किलोमीटर दूर रहते हुए भी….
इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक इंटेलिजेंस सैटेलाइट (एमिसैट) ये पता लगाएगा कि रडार किस जगह मौजूद है और किस तरह का है. केवल इतना ही नहीं इसमें जमीन से सैकड़ों किलोमीटर की ऊंचाई पर रहते हुए जमीन पर संचार प्रणालियों, इलेक्ट्रानिक उपकरणों से निकलने वाले सिग्नल को पकड़ने की क्षमता भी है.
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प्रोजेक्ट ‘कौटिल्य’ के तहत विकसित
एमिसैट जमीन पर स्थित बर्फीली घाटियों, बारिश, तटीय इलाकों, जंगल और समुद्र की लहरों को बहुत आसानी नापने की क्षमता रखता है. इस सैटेलाइट में रडार की ऊंचाई मापने वाला डिवाइस एल्टिका लगा है. इसे डीआरडीओ के प्रोजेक्ट ‘कौटिल्य’ के तहत विकसित किया गया है.
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डीआरडीओ के वैज्ञानिक के अनुसार ‘यह हमें बताएगा कि दूसरी तरफ किस तरह का रडार काम कर रहा है और हम रडार एवं अपने लड़कू विमान आदि की दूरी का पता लगा सकेंगे.’ बेहद कम समय में भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में दो बड़ी कामियाबी हासिल की हैं.
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एक और ताकत हुई भारत के नाम
एमिसैट सैटेलाइट के जरिए भारत ने और ताकत हासिल कर ली है. युद्ध में दुश्मन देश के रडार को खोजकर उसे नष्ट करना बहुत जरूरी होता है जिससे कि हवाई हमले के वक्त एयर डिफेंस सिस्टम उसके विमानों को निशाना न बना सकें. एमिसैट इस काम को बखूबी अंजाम दे सकता है. यह चीन और पाकिस्तान में चल रही गतिविधियों पर भी निगरानी रखने में सक्षम है. साथ ही तटीय क्षेत्रों में नजर रखना पहले से और आसान हो जाएगा.