ये छः कारण, जिनके चलते उदित राज का टिकट कटना लगभग तय था

एनटी न्यूज / डेस्क

भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर-पश्चिमी दिल्ली से सांसद उदित राज का नाम काटते हुए गायक हंस राज हंस को टिकट दे दिया है. एससी-एसटी एक्ट में बदलाव के मुद्दे पर उदित राज कई बार खिलाफ जाकर बोलते नजर आए थे इसलिए उनका टिकट कटने के कयास पहले से ही लगाए जा रहे थे. अब आगे पढ़िए वो बयान कौन से हैं, जिनसे उदित राज का टिकट कटना तय माना जा रहा था-

सांसद उदित राज

एससी-एसटी एक्ट के बारे में बोले-

एससी-एसटी एक्ट में बदलाव को लेकर पूरे देश में पिछले वर्ष 2 अप्रैल को दलित संगठनों ने बंद बुलाया था. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट में एससी-एसटी अधिनियम को लेकर सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी. उस समय उदित राज दलित मसलों पर सरकार की लाइन के विरुद्ध जाकर बोलते नजर आए थे. उन्होंने कहा था कि अनुसूचित जाति और जनजाति को संविधान में मिला आरक्षण खतरे में है. उदित राज के अनुसार उन्होंने ये बात बार-बार भाजपा के फोरम पर उठाई लेकिन पार्टी ने उनकी बात अनसुनी कर दी.

जजों की नियुक्ति में की थी आरक्षण की मांग

जुलाई 2018 में लोकसभा में शून्यकाल के दौरान उन्होंने भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर को रिहा करने की मांग उठाई थी. वो जस्टिस एके गोयल की एनजीटी चेयरमैन के तौर पर नियुक्ति की आलोचना कर रहे थे. न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति में आरक्षण की मांग करते हुए उन्होंने कहा था कि 20 मार्च 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट को खत्म कर दिया था लेकिन उसके बाद इसे संसद से लाकर मजबूत किया गया. इसी तरीके से विश्वविद्यालय और कॉलेजों में आरक्षण होता था. उसे भी न्यायपालिका ने खत्म कर दिया. हम इस न्यायपालिका को भेदभाव वाला मानते हैं.

बोले थे, भाजपा में हूं पर आरएसएस में नहीं

उदित राज ने दिल्ली में ‘सेव रिजर्वेशन’ नाम से एक विशाल रैली निकाली थी. आरक्षण पर भाजपा में उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लेने की बात करते हुए कहा था कि मैं भाजपा के साथ राजनीतिक रूप से हूं, सैद्धांतिक रूप से नहीं. मैं आंबेडकरवादी हूं. मैं बौद्धिस्ट हूं. मैं भाजपा में हूं पर आरएसएस में नहीं हूं.

:सुप्रीम कोर्ट ने दलितों को भड़काया

अप्रैल को बुलाए गए भारत बंद का समर्थन करते हुए उदित राज ने कहा था कि दलितों का भारत बंद का आह्वान हैरान करने वाला है, क्योंकि इसके पीछे कोई बड़ा नेता नहीं है. दलित खुद एकजुट होकर भारत बंद में जुटे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को इस गुस्से को समझने की जरूरत है और इसके बारे में कदम उठाना चाहिए. रोजगार नहीं मिलने और दलितों के खिलाफ हिंसा के मामलों को लेकर उनके मन में असंतोष है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने दलितों को और भड़का दिया है.

दलितों ने नेता बनाया, पार्टी ने नहीं

इससे पहले भी नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान उदित राज पार्टी के खिलाफ बोलते नजर आए थे. उन्होंने कहा था कि मैं दलितों की आवाज उठाता हूं इसलिए मोदी सरकार में मुझे मंत्री नहीं बनाया गया है. उन्होंने कहा था कि मुझसे ज्यादा पढ़ा-लिखा कौन है? क्या कमी है मेरे अंदर? मुझे मंत्री नहीं बनाए जाने के पीछे दलितों की आवाज उठाना भी एक कारण हो सकता है. मुझे दलितों ने नेता बनाया है, पार्टी ने नहीं.

फलतः कट गया टिकट

इन तमाम पार्टी विरोधी बयानों के कारण यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि इस बार उदित राज का टिकट कट सकता है. जो कयास लगाए जा रहे थे, हुआ भी वही उनकी जगह पार्टी ने गायक हंस राज हंस को मैदान में उतार दिया. हालांकि वो भी टिकट नहीं मिलने पर पार्टी से इस्तीफा देने की धमकी दे चुके हैं.

साभारः अमर उजाला