न्यूज़ टैंक्स-डेस्क
नई दिल्ली। हैदराबाद गैंगरेप के चारों आरोपियों को पुलिस शुक्रवार तड़के मुठभेड़ में मार गिराया. पुलिस का दावा है कि ये सभी आरोपी भागने की कोशिश कर रहे थे और इस दौरान पुलिस की ओर से हुई फायरिंग में सभी आरोपी मारे गए है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार अदालत में चार्जशीट दाखिल करने के बाद पुलिस इन चारों आरोपियों को घटनास्थल पर ले गई जिससे ‘सीन ऑफ क्राइम’ (रिक्रिएशन) की पड़ताल की जा सके। लेकिन उनमें से एक आरोपी ने पुलिसकर्मी का हथियार छीन कर भागने की कोशिश करने लगा। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि अगर यह आरोपी भाग जाते तो बड़ा हंगामा खड़ा हो जाता इसलिए पुलिस के पास दूसरा कोई रास्ता नहीं था और जवाबी फायरिंग में चारों आरोपी मारे गए। इस मुठभेड़ के बाद से स्थानीय लोगों ने घटना स्थल पर पहुंच कर पुलिस पर फूलों की बारिश करने लगी. लोगों में इसको लेकर खासा उत्साह दिख रह. सोशल मीडिया पर मुठभेड़ में शामिल पुलिस कर्मियों की लोग हर तरफ प्रशंसा कर रहे हैं.
साइबराबाद पुलिस आयुक्त वी सी सज्जनर ने कहा, ‘चारों आरोपी पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गए। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मुठभेड़ के दौरान दो पुलिसकर्मी भी घायल हो गए।
वहीँ इस घटना के बाद से कोई इसको सही ठहरा रहा तो कोई गलत.निर्भया के पिता ने भी मुठभेड़ का स्वागत करते हुए कहा कि परिवार का न्याय के लिए इंतजार जल्दी खत्म हो गया। उन्होंने कहा, ‘हैदराबाद की चिकित्सक के परिवार को हमारी तरह न्याय के लिए सात वर्ष का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। पुलिस ने सही किया। वहीं, कांग्रेस नेता एवं लोकसभा सांसद शशि थरूर ने कहा कि न्यायेतर हत्याएं स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘सैद्धांतिक रूप से सहमत हूं। हमें और जानने की जरूरत है, उदाहरण के लिए अगर आरोपियों के पास हथियार थे तो पुलिस का गोली चलाना सही था। विस्तृत जानकारी मिलने तक इसकी निंदा करना सही नहीं है, लेकिन कानून के समाज में न्यायेतर हत्याएं स्वीकार्य नहीं है।
सोशल मीडिया पर कुछ इस तरह से लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी-
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्विटर पर लिखा-
आख़िर क़ानून से भागनेवाले… इंसाफ़ से कितनी दूर भागते.
ख़ुशी है कि इससे किसी को न्याय मिला है लेकिन असली ख़ुशी तब होगी जब ऐसी कारगर निवारक सुरक्षा व्यवस्था व प्रतिरक्षक सामाजिक वातावरण बने कि ऐसे जघन्य अपराध कभी भी किसी बहन-बेटी के साथ घटित ही न हों.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) December 6, 2019
आख़िर क़ानून से भागनेवाले… इंसाफ़ से कितनी दूर भागते.
ख़ुशी है कि इससे किसी को न्याय मिला है लेकिन असली ख़ुशी तब होगी जब ऐसी कारगर निवारक सुरक्षा व्यवस्था व प्रतिरक्षक सामाजिक वातावरण बने कि ऐसे जघन्य अपराध कभी भी किसी बहन-बेटी के साथ घटित ही न हों.
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राकेश उपाध्याय ने फेसबुक पर लिखा-
निर्दोष नागारिकों की हत्या करने वाले आतंकवादी और बलात्कार कर हत्या करने वाले नृशंसवादी आततायी होते हैं , इन्हें मार डालने वाले शासन में ही देश और मानवता सुरक्षित होती है, इसी में सबकी भलाई है, यही न्याय है जिसे देने में न्याय पालिका को सात -सात साल क्यों लगते हैं ? #वाह_तेलंगाना_वा
पत्रकार अमीश राय लिखते हैं
आरोपी भाग रहे थे तो दौड़ा कर पकड़ना था न सर। सीधे गोली ही मार दी? वाह रे तेलंगाना पुलिस। न्याय के लिए हमारे यहां कोर्ट कचहरी है। फैसला ऑन द स्पॉट केवल सिनेमा में सलमान खान करते हैं।
देश का दुर्भाग्य हैं तुम जैसे पुलिस वाले।
पत्रकार आशीष सिंह लिखते हैं
हैदराबाद गैंगरेप के चारों आरोपी मारे गए, भागने की कोशिश कर रहे चारों का पुलिस ने किया एनकाउंटर।
सही हुआ ये है असली इंसाफ़, अब कोई मानव अधिकार का रोना मत रोना, इन कुत्तों के लिए
लखनऊ विशविद्यालय से सम्बद्ध जेएनपीजी कॉलेज के प्रोफेसर ब्रजेश मिश्र लिखते हैं
Thanks Telangana police , love you !
सुधांशु वाजपेई लिखते हैं
आरोपियों के प्रति भयानक क्षोभ और गुस्से के बावजूद हैदराबाद पुलिस के तरीके से असहमत! यही फैसला कोर्ट से होता,स्पीडी ट्रायल कर फाँसी दी जाती तो अच्छा होता।
चूँकि मुझे मालूम है पुलिसिया न्याय में सेंगरों और चिन्मयानंदों को कभी सजा नहीं मिलेगी। बल्कि उनके बजाय उल्टे आरोप लगाकर पीड़िता को ही मार दिया जाएगा।
संविधान को खत्म करने की केंद्र सरकार की पहल राज्यों तक पहुँच गयी है,अब इस देश में हर जनाक्रोश की घटना का उपयोग संविधान को कमजोर करने के लिए होगा।
यह सच कहने के खतरे भी मैं जानता हूँ, फिर भी कहना समय की जरूरत है। आईटीसेल ऐसे सभी लोगों को मुल्लापरस्त-देशद्रोही सारी उपाधियाँ बाँटेंगी चूँकि तेलंगाना सरकार ने बीजेपी को भी जनाक्रोश पर खेलकर संविधान/न्यायालय को खत्म करने का अच्छा मॉडल दे दिया है।
पुलिस इंस्पेक्टर अरुण चतुर्वेदी लिखते हैं
तेलंगाना प्रकरण में क्या सही,क्या गलत, ये तो आपका अन्तर्विवेक जाने। मैं तो सरकार से केवल एक ‘पुलिस बचावआयोग’ भी गठित करने की मांग कर रहा हूं। हम तो आदेशों के गुलाम होते हैं।ईश्वर उस एनकाउंटर टीम को बचाये।
पत्रकार शुभ्रा सुमन लिखती हैं
उस रात पुलिस ने पीड़ित परिवार की मदद नहीं की.. बोला लड़की ‘भाग गई होगी’..
एनकाउंटर करके पुलिस ने वही किया जो करना उसके लिए सबसे आसान है..
हम ‘सेलिब्रेट’ करके वही कर रहे हैं जो हमारे लिए सबसे आसान है..
कानूनी तौर पर इंसाफ़ दिलाना मुश्किल है.. महिलाओं के प्रति बराबरी का नज़रिया पैदा करना मुश्किल है.. संविधान में औरतों को दिए गए हक़ उनतक पहुंचाना मुश्किल है.. रसूखदारों को जेल में डालना मुश्किल है.. सिस्टम से रेपिस्टों को बाहर करना बहुत मुश्किल है..
आपको आसान के फेर में फंसा दिया गया है.. या आप चाहते ही यही हैं !
सपा नेता फखरुल हसन लिखते हैं
#हैदराबाद एनकाउंटर
मैं गांधी जी , अम्बेडकर जी के देश में इस तरह की पुलिस करवाई का विरोध और निंदा करता हूँ , जो उन बलात्कारियों ने एक बेटी के साथ किया वो घिनौना था , निसंदेह जानवरो जैसा काम था लेकिन ।।
देश मे संविधान है पूरी कानूनी प्रक्रिया के बाद ही सज़ा होनी चाहिए , क्या देश मे न्यायपालिका की ज़रूरत नही है जंगल का कानून आंख के बदले आंख का मैं समर्थन नही करता ।।
मैं भारतीय संविधान , न्यायपालिका में विश्वास रखता हूँ और कोई भी व्यक्ति जिसको न्यायपालिका में विश्वास होंगा वो ऐसी घटना का समर्थन नही करेंगा