एनटी न्यूज़डेस्क/श्रवण शर्मा/लखनऊ
कोरोना के कारण आज देश में करोड़ों लोगों के पास खाने के लिए भी कुछ नहीं है। लॉकडाउन में फंसे मजदूरों की स्थिति देखकर हर किसी का दिल रो रहा है। लॉकडाउन के 48 दिन से भी ज़्यादा हो चुके हैं। ऐसे में “विजय श्री फाउंडेशन (प्रसादम सेवा )” संस्था लखनऊ में प्रतिदिन 12000 लोगों को भोजन मुहैया करवा रही है। साथ ही प्रतिदिन 100 लीटर दूध और 3000हज़ार पैकेट मट्ठे की सेवा भी जरूरतमंदों तक पहुँचा रही है। लॉकडाउन में अब तक संस्था लगभग 5 लाख 40 हज़ार लोगों को भोजन करवा चुकी है। जिसने सरकारी आंकड़ों में उत्तरप्रदेश में अब तक सबसे अधिक वृहद स्तर पर सेवा के आयाम स्थापित किए हैं। संस्था की शुरुवात ‘विशाल सिंह’ ने की जिन्हे आज हमारा देश “फूडमैन” के नाम से भी जानता है। वह कहते हैं “मैं उस प्रभु का सेवक हूँ जिसे अज्ञानी लोग मनुष्य कहते हैं और यह ऐसा यज्ञ है जो कब पूर्ण होगा हमें नहीं पता, हमें बस यही मालूम है की नर-सेवा ही नारायण सेवा है।“
अस्पताल में कई दिन भूखे पेट सोना पड़ा, तब जाकर बनें फूडमैन
विशाल तकरीबन 12 साल से अस्पताल में गरीब मरीज और उनके परिजनों को फ्री में खाना खिला रहे हैं। जो की लखनऊ के सरकारी अस्पतालों में इलाज करा रहे लोगों के तीमारदारों के लिए आर्थिक संकट के दौर के मसीहा हैं। विशाल ने न्यूजटैंक से बातचीत में बताया की “जब मैं छोटा था तो पिता का गुरुग्राम के एक अस्पताल में इलाज के दौरान देहांत हो गया और इलाज में घर का सारा पैसा खर्च हो चुका था. अस्पताल में मुझे कई दिन भूखे पेट सोना पड़ा, फिर मैंने कसम खाई कि अस्पताल में किसी तीमारदार को भूखा नहींसोने दूंगा। मेरे इसी संकल्प का उदाहरण है की लखनऊ के तीन बड़े अस्पताल, जिनमें लोहिया अस्पताल और बलरामपुर अस्पताल भी शामिल है, जहां मौजूद सभी मरीज के परिवार को मैं अपनी ओर से बिलकुल निशुल्क भोजन कराता हूँ। प्रतिदिन करीब 900 लोगों तक भोजन पहुंचाकर ही मेरी आत्मा को तृप्ति मिलती है। पहले भी श्री फाउंडेशन (प्रसादम सेवा ) ने कई तरह की आपदाओं में जरूरतमंदों की मदद कर उनकी हर मुश्किल घड़ी में मरहम लगाने का सार्थक प्रयास किया है।“
शहर में चार स्थानों को चिन्हित कर बनाया गया कम्यूनिटी किचन
संस्था द्वारा शहर में चार जगहों को चिन्हित कर वहाँ कम्यूनिटी किचन चलाया जा रहा है। जहां लगभग 500 लोगों तक सुबह-शाम रोज पका भोजन सेवा भाव से पहुंचाया जा रहा है। ठीक इसी तरह 4 छोटे कम्यूनिटी किचन भी बनाए गए हैं। पहला कम्यूनिटी-किचन आशियाना लेबर कॉलोनी व दूसरा त्रिवेणी नगर तीसरा अलीगंज का फतेहपुर गाँव व चौथा कल्याणपुर शामिल हैं। विशाल ने बताया की “हम ऐसी जगहों का चुनाव करते हैं जहां राहगीरों का व गरीबों का आना-जाना संभव हो और आस पास स्लम बस्ती हो या ऐसी जगह हो जहां बड़ी संख्या में जरूरतमन्द मौजूद हों। जिन्हे भोजन की आवश्यकता पड़ने पर संगठन इस तरह के और छोटे कम्यूनिटी किचन बनाने को संकल्पित है। हम जल्द ही शहर के अन्य स्थानों पर भी कम्यूनिटी किचन खोलने के प्रयास में लगे हुए हैं। ईश्वर ने चाहा तो हमारी मेहनत सफल होगी जिससे कोई भी भूखा व्यक्ति कभी भूखा ना सोए और इस मुश्किल समय में लोगों को ज्यादा से ज्यादा राहत दे सकें।“
शोसल डिस्टेन्सिंग का पालन कराते हुए भोजन वितरण किया जा रहा
विशाल ने बताया की “प्रतिदिन कई हज़ार लोगों को भोजन कराना हमारे लिए चुनौती नहीं बल्कि इस महामारी में उनके जीवन की रक्षा करते हुए उनका पेट भरना है। जिसके लिए शोसल डिस्टेन्सिंग बेहद जरूरी है। इसलिए हम इस बात का बेहद ख्याल रखते हैं की कोई भी व्यक्ति शोसल डिस्टेन्सिंग को ना तोड़े, जिसके लिए हमने अपनी संस्था में ऐसे युवाओं को रखा है जो नीयम व कायदे-कानून को सही ढंग से पालन करवा सकें। इसलिए हम इस मुहिम को बेहद सुरक्षा के साथ निभा पा रहे हैं। जिसके लिए हम भोजन वितरण के समय एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति की दूरी कम से कम चार मीटर रखते हैं। ताकि संक्रमण का खतरा ना के बराबर हो। हमें मालूम है की महामारी की इस जंग को हम शोसल-डिस्टेन्सिंग के द्वारा ही पराजित कर सकते हैं जब तक की कोई वैक्सीन दुनिया तैयार ना कर ले।“
1200 निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों को कच्चा राशन भी दिया गया
झुग्गी झोपड़ी इलाके में लोग कई दिनों से काम पर नहीं जा रहे। ये लोग दिहाड़ी मजदूर हैं जो रोज़ कमाते और रोज़ राशन खरीद कर खाते हैं। लॉकडाउन के समय इन लोगों को सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है। इसलिए कोई दिव्यांग,विधवा,दिहाड़ी-मजदूर या प्रवासी लॉक-डाउन में भूखा ना रहे उसके लिए हम राशन-किट लेकर ऐसे घरों में खुद पहुँच रहे हैं जिन जरूरतमन्दों को इसकी असलियत में जरूरत है। विजय श्री फाउंडेशन (प्रसादम सेवा ) के माध्यम से अब तक 1200 सौ से ज़्यादा निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों को कच्चा राशन उपलब्ध कराया जा चुका है। संगठन द्वारा जारी हेल्प लाइन नंबर पर टीम 24 घंटे राहत सेवा हेतु सक्रिय है, यह राहत आपदा टीम जरूरत पड़ने पर रात के 12:00 बजे भी झुग्गियों में कार की लाइट जलाकर लोगों तक राहत पहुंचाने का कार्य कर रही है।
ईश्वर सबको इतना देता है की वह मानवता के लिए कुछ कर सके
विशाल ने कहा की “ईश्वर सबको इतना देता है की वह मानवता के लिए कुछ कर सके। श्रीमद भागवत गीता में कहा ही गया है कि, मानवता की सेवा अर्थात ‘नर सेवा ही नारायण सेवा’ है। मेरा यह छोटा सा प्रयास समंदर में भले एक बूंद के बराबर हो लेकिन अपनी क्षमता के अनुसार देश के हर सक्षम नागरिक को मुसीबत की इस घड़ी में आगे आना होगा तभी हम कोरोना से जंग जीत पाएंगे। “ऐसे वक्त में जब देश कोरोना संकट से जूझ रहा है वहीं भारतियों ने अपना दिल खोल दिया है। जिसकी जितनी क्षमता है वह इस मुसीबत की घड़ी में जरूरतमंदों की मदद के लिए हांथ बढ़ा रहे हैं। विजय श्री फाउंडेशन (प्रसादम सेवा ) का हर सदस्य कोरोना योद्धा बनकर इस संकट की घड़ी में देश के हर जरूरतमंद के साथ खड़ा हैं।
प्रशासन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हमारी जनसेवा रहेगी जारी
महामारी की इस विषम परिस्थिति में विजय श्री फाउंडेशन (प्रसादम सेवा ) संगठन के माध्यम से जिला प्रशासन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सेवा को आगे बढ़ाया जा रहा है। राहत एवं आपदा विभाग, जिला अधिकारी कार्यालय, पुलिस आयुक्त कार्यालय लखनऊ एवं नगर निगम कार्यालयों में संस्था द्वारा सेवाएं दी जा रही हैं। इन सभी विभागों के पूर्ण सहयोग से ही यह कार्य हमारे लिए इतना आसान हुआ है। जिस तरह हमारे साथ प्रशासन का हर अधिकारी कर्मचारी सहयोग कर रहा है वह तारीफ के काबिल है। कहीं ना कहीं इस सेवा की सफलता के पीछे विजय श्री फाउंडेशन (प्रसादम सेवा ) संगठन के साथ प्रशासन का बहुत बड़ा योगदान और सार्थक प्रयास शामिल है। तभी हम इस विपदा की घड़ी में जब-जब तक सेवा पहुंचा पा रहे हैं।
कई संपन्न व्यक्ति अपनी-अपनी तिजोरी पर ही कुंडली मारे बैठे हैं
एक तरफ जहां एक व्यक्ति के इस प्रयास से रोज कई हज़ार लोगों का पेट भर रहा वहीं अगर बड़े-बड़े सभी उद्योगपति, राजनेता चाहें तो देश को इस आर्थिक परेशानी से सहज ही उबार सकते हैं। इस विषय पर विशाल जी ने कहा की “ऐसे लोगों को खुद नहीं मालूम यह उनका दुर्भाग्य है कि वे अपनी तिजोरी पर कुंडली मारे बैठे हैं, भूखे लोगों को खाना तक मुहैया कराना उन्हें नागवार गुजर रहा है। मुझे नही मालूम वो इस नश्वर संसार से क्या ले कर जाएंगे लेकिन उन्हे जीवन के अंतिम क्षण यह अहसाव पछतावे का जरूर रहेगा की सक्षम होने के बाद भी उन्होने मानवता के लिए कुछ नहीं किया। ऐसे लोगों को ईश्वर भी माफ नहीं करता जो माया के जाल में इस कदर उलझा हुआ हो की अपने जीवन का उद्देश्य ही भूल गया हो। मैं यह नहीं कहता की अपना सब लुटा तो लेकिन दान–पुण्य यश-अपयश खाली नहीं जाता। इसका फल हमारी पीढ़ियों में संस्कार मानवता की ऐसी फसल बो देता है जो उसे प्रगति के मार्ग पर सकारात्मक ऊर्जा के साथ हमेशा सफलता की ओर अग्रसर करता रहता है।”