न्यूज़ टैंक्स/ अपना यूपी
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र के कुशीनगर ज़िले से गोरखपुर पहुँचने में यूँ तो सवा घंटे का समय लगता है. पाँच बारातों की वजह से बीते पखवाड़े बरसात की उस शाम दिखी झुंडो की जमावड़ा, इधर तक़रीबन 50 हज़ार से ज़्यादा कोरोना पॉज़िटिव मरीज़ों के आँकड़े पर खड़े उत्तर प्रदेश के अलग-अलग अपस्तालों के बिस्तरों से लेकर डॉक्टरों तक की कमी से जूझने की ख़बरें लगतार आ रही हैं. लेकिन ज़मीन पर कोरोना के प्रकोप का साया लोगों के जीवन से ग़ायब सा नज़र आता है.
गोरखपुर, कुशीनगर, महाराजगंज, बस्ती, सिद्धार्थनगर और संत कबीरनगर समेत 6 ज़िलों की पूर्वांचल यात्रा के दौरान ग्रामीण और शहरी अंचल मिलाकर मुझे पाँच प्रतिशत से भी कम लोग मिले, जो सोशल डिसटेंसिंग या मास्क लगाने के प्रति सचेत थे.
कुशीनगर के दुदही ब्लॉक से आगे बढ़ने पर एक बारात में रंग-बिरंगे परिधानों में सजी स्थानीय युवतियों को बिना मास्क सेल्फ़ी लेने के बाद ख़ुशी से नाचते देखकर यह अनुमान लगाना मुश्किल था कि यह क़रीब 12 लाख से ऊपर पॉज़िटिव मामलों के साथ दुनिया में तीसरे सबसे ज़्यादा कोरोना संक्रमित मरीज़ों वाले देश में घट रहा दृश्य है.
कोरोना क्या मारेगा? ‘मरे हुए को ‘
आज कुशीनगर की उस बारात की तस्वीरें अपने फ़ोन में देखते हुए मुझे अचानक पटना के उस युवक की याद आ गई, जो जुलाई की शुरुआत में अपनी शादी के ठीक दो दिन बाद कोरोना संक्रमण की वजह से अपनी जान से हाथ धो बैठा.