न्यूज़ टैंक्स | लखनऊ
रिपोर्ट- रोहित रमवापुरी
लखनऊ.: मर्चेंट नेवी (Merchant Navy) में हो रहे काले कारनामे को हम लगातार तथ्यों के साथ परत दर परत खोल रहे हैं। समुंदर में मचे इस गंदगी को साफ करने के लिए न्यूज़ टैंक्स(News Tanks) की मुहिम का असर भी शुरू हो गया है। विश्व के कई ऐसे देश हैं जहां व्यापारिक जहाजों में अपनी सेवा देने के लिए हमारे युवा जाते हैं। भौतिकता के इस दौड़ में युवा ग्लैमर के चक्कर मे अपने भविष्य से खिलवाड़ कर बैठता है। मर्चेंट नेवी में फैले भ्रष्टाचार में झांके तो समुंदर के छाती पर तैरने वाली बड़ी-बड़ी जहाजों का सपना दिखाकर भारत के युवाओं को ठगा जा रहा है। इस काम मे कुछ ऐसी कंपनियां अपनी पैठ जमा ली हैं जो आये दिन सरकार के आंख में धूल- झोलकर युवाओं को सात समुंदर पार ले जाकर उन्हें तरह-तरह की यातनाएं देती हैं। जहाजरानी मंत्रालय भी अभी इन भ्रष्ट कंपनियों पर पूरी तरह शिकंजा नही कस पाया है। मलेशिया सहित कई ऐसे देश हैं जहां भारतीयों के साथ सौतेला व्यवहार होता है। अफसोस कि बात यह है कि इस घिनौने काम में कुछ भारतीय भी शामिल हैं। न्यूज़ टैंक्स अब हर दिन इनके कारनामे को उजागर करता रहेगा।
- मलेशिया में चार महीने बंधक रहा देहरादून का नाविक
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देव नगरी उत्तराखंड का नाविक चार महीने रहा बंधक
देहरादून से कुछ दूरी पर स्थित गांव का आकाश शर्मा जब मर्चेंट नेवी में काम करने के लिए अपने देश को अलविदा कहा था तो उसे यह नहीं पता था कि पर्वत श्रृंखलाओ में धमाचौकड़ी मचाने वाला अब काल कोठरी में कैद हो जाएगा। जहां हवा और पानी उसे में अपनी नहीं दूसरे की मर्जी से लेनी पड़ेगी। कुछ ऐसी ही दास्तां न्यूज़ टैंक्स को सुनाई आकाश ने।
मेरी जॉब के लिए नागेंद्र सर से बात हुई, प्लेसमेंट के नाम पर मुझसे 1लाख 40 हज़ार रुपये माँगा गया। कर्ज लेकर मैंने इनको (नागेंद्र सर) 1लाख 15 हज़ार रुपये (DMC Ship Management PVT LTD) जाने से पहले दे दिया।
25 हज़ार का इंतज़ाम नही कर पाया। जो की मैंने बोला काम होने पर या जब मेरा काम बन जाये तब मेरे वेतन मे से काट लेना। फिर 25 दिसम्बर को हम देहरादून से जयपुर, चले गए और हवाईजहाज़ से कुआलालामपुर गये और वहा से मिरी (मलेशिया)
मीरी पहुच कर हमें अगले दिन मरीन ऑफिस ले गए और हमारे पासपोर्ट पर sign on का स्टाम्प लगा कर हमें बस से शीबू (पोर्ट) के लिए भेज दिया।
वहा पर हम रात में पहुँचे और हमें लेने के लिए निर्भय सिंह आए।
एक कोठारी में बन्द कर दिया
फिर हमें एक घर पर रखा। फिर वह थोड़े थोड़े दिन के बाद और लड़के आते रहे। और काम सिर्फ एक या दो लोगो का कराया और हमें वही रखे रखा गया बाद मे काम के लिए मेरी लड़ाई होने लगी। मैंने कहा कि आखिर हमे कब जहाज पर ले जाया जाएगा।
मुझ पर लगातार दबाव बनाया की 25000 रु जमा करवाओ तभी काम होगा। फिर मैंने भी जिद की आप मेरा काम कराओ मे तब ही दूंगा।
रोज 70 रोटियां बनानी पड़ती थीं
मुझसे रोज 10- 15 आदमियो का खान सुबह शाम बनवाया जा रहा था। मैं शाकाहारी हूं।ये ही सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा। मैंने कई बार भाग कर स्थानीय पुलिस से शिकायत कि लेकिन मलेशिया की पुलिस कोई सुनवाई नही करती।