न्यूज़ टैंक्स | लखनऊ
नई दिल्ली: कोरोना महामारी के दौरान इंडियन रेलवे ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। भारतीय रेलवे के चितरंजन लोकोमोटिव वर्कशॉप ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में अभी तक करीब 150 रेल इंजनों का उत्पादन पूरा कर लिया है। अप्रैल-मई में पूरी तरह से लॉकडाउन होने और जुलाई, अगस्त तथा सितंबर में आंशिक लॉकडाउन के बावजूद इनका उत्पादन किया गया है। वर्कशॉप से 8 सितंबर को 100वां इंजन बन कर निकला था।
Accelerating Production to become AatmaNirbhaar :
Electric Loco Assembly & Ancillary Unit (ELAAU)/Dankuni, a unit of Chittaranjan Locomotive Works produced 150th locomotive. GM/CLW flagged off the 150th locomotive to the Service of the Nation.#AatmaNirbharBharat pic.twitter.com/KhynG4BeSS
— Ministry of Railways (@RailMinIndia) September 14, 2020
फैक्ट्री ने 70 साल पूरे किए
भारतीय रेलेव के चितरंजन रेल इंजन फैक्ट्री ने 70 साल पूरे कर लिए हैं। इस फैक्ट्री ने स्टीम इंजन से शुरूआत करते हुए डीजल और इलेक्ट्रिक इंजन को मिलाकर कुल 10,000 से ज्यादा रेलवे इंजन बनाने का काम पूरा किया जा चुका है। ये रेल फैक्ट्री 1948 से लगातार इंजन बना रही है।
वर्ष 2019-20 में कुल 431 इंजन का निर्माण
रेल इंजन फैक्ट्री ने वर्ष 2019-20 में कुल 431 इंजन का निर्माण कर CLW ने वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया है। चितरंजन लोकोमोटिव में डब्लूएपी 7 इंजन भी बनाजा जा रहा है और ये इंजन हेड ऑन जनरेशन तकनीक पर चलता है। इस इंजन से बिजली की खपत भी कम होती है। यह इंजन का प्रयोग राजधानी और शाताब्दी जैसे हाई स्पीड गाडियों में किया जा रहा है।
हाल ही में चितरंजन लोकोमोटिव वर्कशॉप में 200 किलोमीटर प्रति घंटा तक की स्पीड से चलने की क्षमता वाले इंजन डब्लूएपी 5 भी बनाया गया है। इस इंजन की सहायता से पुश एंड पुल तकनीकी की मदद से भी ट्रेनों को चलाया जा रहा है। इस फैक्ट्री में 6000 एचपी से लेकर 9000 एचपी तक के इंजन को बनाया गया है। इस इंजन के जरिए माल गाड़ियों को चलाया जाता है।