न्यूज़ टैंक्स / डेस्क
उत्तर प्रदेश में चीनी मिल मालकिन के नाम से मशहूर बलरामपुर चीनी मिल (बीसीएम) की सफल महिला पद्मश्री मीनाक्षी सरावगी का 76 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनके निधन पर चीनी मिल कर्मचारियों सहित क्षेत्र के लोगों में भी शोक की लहर है। मूलत: पश्चिम बंगाल के कोलकाता निवासी बलरामपुर चीनी मिल के संस्थापक कमल नयन सरावगी की पत्नी मीनाक्षी सरावगी एक सफल महिला उद्यमी थी।
1975 में इन्होंने बलरामपुर चीनी मिल के महानिदेशक का जिम्मा संभाला था। इनके कुशल नेतृत्व में आज इस समूह से दस चीनी मिलें व अन्य कारखाने हैं। मिल मालकिन के नाम से मशहूर मीनाक्षी कर्मचारियों के साथ-साथ ही किसानों की भी हितैषी थी। इनकी किसान सेवा को देखते हुए पद्मश्री व लाइफटाइम एचीवमेंट अवार्ड मिला। अक्टूबर में इनके पति का निधन हो गया था। इनके निधन पर बलरामपुर व तुलसीपुर चीनी मिल परिसर में अधिकारी व कर्मचारियों ने शोकसभा कर श्रद्धांजलि दी। अधिशासी अध्यक्ष प्रवीण गुप्त, जीएम एचआर राजीव अग्रवाल, विनोद मलिक, एसडी पांडेय, श्याम सिंह, एसपी सिंह सहित कर्मचारी व किसानों ने शोक व्यक्त किया। तुलसीपुर में यूनिट हेड योगेश कुमार सिंह, वित्त महाप्रबंधक राजन राय, गन्ना महाप्रबंधक आरपी शाही, प्रशासनिक प्रबंधक आशीष प्रताप सिंह ने शोक जताया।
कई जिलों में फैला है कारवां : बलरामपुर चीनी मिल की स्थापना वर्ष 1932-33 में ब्रिटिश इंडिया कॉरपोरेशन ने किया था। देश आजाद होने के बाद बीआइसी के साथ शेयरहोल्डर के रूप में तमाम लोग सम्मिलित हुए। 14 जुलाई 1975 को बलरामपुर चीनी मिल सरावगी परिवार को हस्तानांतरित किया गया। वर्ष 1975 में स्वर्गीय कमलनयन सरावगी के पिता स्वर्गीय पन्नालाल सरावगी ने बलरामपुर चीनी मिल की कमान संभाली। स्वर्गीय पन्नालाल सरावगी के बाद उनके पुत्र कमलनयन सरावगी व उनकी धर्मपत्नी मीनाक्षी सरावगी ने जिम्मा संभाला। उन्हीं के मेहनत व संयोजन में आज बलरामपुर चीनी मिल का कारवां गोंडा, फैजाबाद, बाराबंकी, अंबेडकरनगर व लखीमपुर खीरी जिले तक फैला हुआ है। पांच मार्च 1944 को औद्योगिक नगरी कानपुर में जन्मीं मीनाक्षी सरावगी के अंतिम सांस लेने के बाद अब चीनी मिल का संपूर्ण जिम्मा उनके बेटे विवेक सरावगी के ऊपर आ गया है।