किसान मुद्दों को सुलझाने के लिए गठित कमेटी पर सवाल क्यों उठ रहे हैं ?

एनटी न्यूज डेस्क

मोदी सरकार की ओर से लाये गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के मुद्दों को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से एक कमेटी का गठन किया गया है, जिस पर सवालिया निशान उठ रहे हैं। किसान संगठनों के साथ कांग्रेस ने इसका सख्त विरोध किया है। कांग्रेस का कहना है कि कमेटी में शामिल चार सदस्य कृषि कानून के समर्थक रहे हैं, ऐसे में किसानों को कैसे न्याय मिल पायेगा।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित कमेटी में चार लोग भूपिंदर सिंह मान, प्रमोद कुमार जोशी, अशोक गुलाटी और अनिल घनवंत शामिल हैं। इस कमेटी को 2 महीने के भीतर सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपनी है। ये कमेटी कृषि कानूनों पर किसानों की शिकायतों और सरकार का नजरिया जानेगी और उसके आधार पर अपनी सिफारिशें देगी लेकिन इस बीच गठितकमेटी पर ही सवाल उठ रहे हैं।

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित कमेटी के सभी सदस्य कृषि कानूनों के रहे हैं। अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने ही इन कानून को लाए जाने की सिफारिश की थी। देश का किसान इस फैसले से निराश है।

 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि ‘क्या कृषि-विरोधी क़ानूनों का लिखित समर्थन करने वाले व्यक्तियों से न्याय की उम्मीद की जा सकती है? ये संघर्ष किसान-मज़दूर विरोधी क़ानूनों के ख़त्म होने तक जारी रहेगा। जय जवान, जय किसान!’

 

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो चिंता जाहिर की उसका हम स्वागत करते हैं लेकिन गठित कमेटी में जिन चार सदस्यों को शामिल किया गया है, वह चौंकाने वाला है। ये चारों सदस्य पहले ही काले कानून के पक्ष में अपना मत दे चुके हैं। ‘ये चारों तो मोदी जी के साथ खड़े हैं, ये क्या न्याय करेंगे।

कांग्रेस नेता जयवीर शेरगिल ने कहा कि कमेटी में 4 सदस्यों में तीन पहले से ही क़ानून वापसी के खिलाफ हैं। सुप्रीम कोर्ट का जो निर्णय है,वह आधा गिलास भरा आधा गिलास खाली है। भरा इस नजरिए से कि बीजेपी के किसान विरोधी और तानाशाही रवैया पर करारा तमाचा है, आधा खाली इसलिए क्योंकि 4 सदस्यीय कमेटी में से तीन ने कानून वापसी के खिलाफ पहले से ही मन बनाया हुआ है और संदर्भ में वह अखबार में लेख लिख चुके हैं।

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