न्यूज़ टैंक्स / डेस्क
वाराणसी, भारत की प्राचीन कालीन हस्तकलाओं की परंपरा में उत्तर प्रदेश का योगदान अतुलनीय है। ब्रांड उत्तर प्रदेश को एक नया आयाम देने के लिए वाराणसी के दीन दयाल उपाध्याय हस्तकला संकुल में उत्तर प्रदेश जीआई प्रोडक्ट्स एग्जीबिशन 2021 का आयोजन बड़े उत्साह और उमंग के साथ शुरू हुआ। यह एग्जीबिशन जनवरी 2021 तक चलेगी। इस दौरान उठते प्रदेश के 28 जीआई टैग वाले उत्पाद प्रदर्शित किए जाएंगे। इस एग्जीबिशन में राज्य के विभिन्न उत्पादों के भौतिक और आभासी स्टॉल प्रदर्शित किए जा रहे हैं, जिनका अवलोकन भौतिक और वर्चुअल दोनों ही रूपों में किया जा सकता है। इस प्रदर्शनी का आयोजन यूपी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल, उत्तर प्रदेश सरकार, फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के संयुक्त तत्वाधान में किया जा रहा है।
डिप्टी कमिश्नर इंडस्ट्रीज श्री वीरेंद्र कुमार ने बताया, “यह भौतिक और वर्चुअल प्रदर्शनी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खरीददारों और विक्रेताओं को परस्पर संवाद का बेहद प्रभावी मंच प्रदान कर रहा है। उन्होंने आम जनता से भी अपील की कि जीआई टैग अपने आप मे गुणवत्ता की गारंटी है और इस प्रदर्शनी में एक से एक अनूठे और गुणवत्ता वाले उत्पाद विक्रय के लिए प्रदर्शित किए जा रहे हैं, जिनकी ख़रीददारी आम जनता भी कर सकती है।”
कुमार ने बताया, ” इस प्रदर्शनी में प्रतिभाग करने वाले विक्रेताओं ने जीआई टैग मिलने के कारण कोरोना जैसे संकट काल में अपने उत्पादों की अच्छी बिक्री की है। जो इस बात का द्योतक है कि सरकार ने जिस गम्भीरता के साथ हस्तशिल्पियों के वोकल फ़ॉर लोकल के सिद्धांत पर कार्य करना शुरू किया था, उसके बेहद सुखद परिणाम सामने आ रहे हैं।”
एग्जीबिशन के पहले दिन ‘डिटेल्ड डिस्कशन ऑन ज्योग्राफिकल इंडीकेशन’ नाम से जीआई के महत्व पर विस्तृत चर्चा हुई। इस चर्चा में एग्जीबिशन में आए जीआई प्रोडक्ट्स के उत्पादक शामिल हुए, साथ ही इस परिचर्चा को डिजिटल माध्यम से विश्व के कोने-कोने में बैठे खरीददारों ने भी देखा।
परिचर्चा के पहले सत्र में असिस्टेंट कमिश्नर नितेश धवन ने क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के लिए जीआई के महत्व को बताया। उन्होंने प्रतिभागियों को बताया, ” ज्योग्राफिकल इंडीकेशन संबंधित क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत पर उस क्षेत्र के अधिकार की रक्षा करता है, साथ ही पर्यटन और निर्यात को बढ़ावा देता है और उत्पाद का अंतरराष्ट्रीय ब्रांड मूल्य स्थापित करता है, इससे न केवल स्थानीय रोजगार के अवसर पैदा होते हैं बल्कि देश के सामाजिक आर्थिक विकास में योगदान देता है।”
सत्र में अपने सम्बोधन के दौरान पद्मश्री डॉ रजनीकांत पांडेय ने जीआई सर्टिफिकेशन का इतिहास और इसकी यात्रा के संघर्षों को विस्तार से बताया। उन्होंने सरकारों और औद्योगिक संगठनों से अपील करते हुए कहा, “जीआई प्रोडक्ट्स के बढावा देने, संरक्षित करने और इंटरनेशनल मार्केट का विकास करने के लिए सामूहिक और समग्र प्रयास चाहिए, जिसमें ‘उत्तर प्रदेश जीआई प्रोडक्ट्स एक्सपो 2021″ जैसे और भी आयोजन करने चाहिए।”
सत्र में आए प्रतिभागियों को धन्यवाद देते हुए ज्वाइंट कमिश्नर इंडस्ट्रीज उमेश सिंह ने कहा, ” सरकार उद्यमियों और हस्तशिल्पियों को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। इस एग्जीबिशन ले माध्यम से उद्यमियों और हस्तशिल्प उद्योग से जुड़े लोगों को खरीददारों से सीधा जुड़ने का अवसर मिल रहा है। साथ ही वे इस एग्जीबिशन के दौरान वे विशेषज्ञों और अधिकारियों से अपनी समस्याओं और सुझावों को भी साझा कर सकते हैं ताकि ऐसे प्रयासों का सभी को सीधा लाभ प्राप्त हो सके।”
फिक्की उत्तर प्रदेश स्टेट कॉउन्सिल के हेड अमित गुप्ता ने आयोजन के बारे में बताते हुए कहा, ” पूरे विश्व में कोरोना महामारी के चलते उद्योग धंधों पर गहरा प्रभाव पड़ा। अब स्थिति सामान्य धीरे धीरे सामान्य हो रही है। इसको देखते हुए फिक्की ने पहले ओडीओपी के लिए वर्चुअल एग्जीबिशन का आयोजन किया और अब जीआई प्रोडक्ट्स के कारोबार को बढ़ावा देने के लिए वर्चुअल और फिजिकल दोनों रूपों में प्रदर्शनी का आयोजन किया है। इसमें वाराणसी तथा आसपास के क्षेत्रों के साथ ही प्रदेश भर के जीआई प्रोडक्ट्स के विकास एवं प्रोत्साहन के लिए विचार विमर्श भी किया जाएगा।” इस वर्चुअल और फिजिकल प्रदर्शनी में प्रदेश के 16 जनपद (वाराणसी, भदोही, चंदौली, गाजीपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बुलंदशहर, फरूखाबाद, फिरोजाबाद, गोरखपुर, कानपुर, …