यूपी बजट: समावेशी विकास से आत्मनिर्भर बनेगा उत्तर प्रदेश

लखनऊ।  अर्थशास्त्री डाॅं भारती पांडेय के मुताबिक, उत्तर प्रदेश सरकार के 2021-22 का बजट किसान, महिला सशक्तिकरण, युवा, ग्राम्य विकास, शिक्षा, औद्योगिक विकास एवं अवस्थापना सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग पर बल देकर “आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश” के लक्ष्य को साधने का प्रयास किया गया है। प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति अभी भी मापदंडों के अनुरूप नहीं है। परंतु इस बजट में सरकार ने स्वास्थ्य बजट को कमतर स्तर पर रखा। जबकि केन्द्र सरकार का बजट “हेल्थ बजट” ही था।

प्रदेश के किसानों की आय को दोगुना करने पर सरकार ने निश्चित ही अपना ध्यान केंद्रित किया है। आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजना संचालित की जाएगी, इसके लिए सरकार ने 100 करोड़ रुपए बजट में आवंटित किए हैं। किसानों को मुफ्त पानी की सुविधा और रियायती दरों पर किसानों को फसली ऋण उपलब्ध कराए जाने के लिए बजट में समुचित व्यवस्था की गई है। इसी क्रम में कृषि उत्पादन में वृद्धि के लिए पर्याप्त सिंचाई सुविधाओं की उपलब्धता नितांत आवश्यक है।

सरकार ने विभिन्न नहर परियोजनाओं के लिए धनराशि आवंटित की है। भारत गांवों का देश है, प्रदेश के गांवों को विकसित करने और वहां सभी मूलभूत सुविधाएं पहुंचाने के लिए सरकार ने बजट में व्यवस्था की है। जैसे “प्रधानमंत्री ग्रामीण योजना” एवं “मुख्यमंत्री आवास योजना- ग्रामीण” के लिए क्रमशः 7000 करोड़ रुपए एवं 369 करोड़ रुपए प्रस्तावित हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत 33 करोड़ मानव दिवस-रोजगार सृजन के लिए भी धनराशि आवंटित की गई है। “आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश” के लिए प्रदेश के कृषि विकास को बढ़ावा देना ही होगा। इसके लिए सरकार ने कृषि विकास की दर को 5.1 प्रतिशत पर लक्षित किया है।

महिलाओं के सशक्तिकरण एवं स्वावलंबन के लिए प्रदेश सरकार ने उनकी सुरक्षा, शिक्षा, कौशल संवर्धन, रोजगार एवं स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए बजट में धनराशि प्रस्तावित है। जिसमें मुख्य रुप से मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना के लिए 1200 करोड़ रुपए एवं महिला सामर्थ्य योजना के लिए 200 करोड़ रुपए आवंटित किये गयहैं। अवस्थापना विकास की दृष्टि से पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे, बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस तथा गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण हेतु बजट में पर्याप्त धनराशि आवंटित की गई है। जिससे प्रदेश में औद्योगिक विकास को निश्चित रूप से रफ्तार मिलेगी।

उत्तर प्रदेश सरीखे राज्य में और अधिक रोजगार के अवसर सृजित किए जाने के लिए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को विकसित किया जाना जरूरी है। सरकार ने ओडी-ओपी योजना के लिए 2021- 22 के बजट में 250 करोड़ रुपए प्रस्तावित किए हैं।

राजकोषीय समेकन की दृष्टि से करोना कालखंड में भी प्रदेश सरकार राजकोषीय घाटे को 4.17% पर रखने में सफल रही है। प्रदेश के राजस्व खाते पर 23 हजार 20 करोड़ रुपए अवशेष की स्थिति है। कुल मिलाकर प्रदेश का यह बजट चुनावी तो बिल्कुल नहीं पर समावेशी है और प्रदेश को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने वाला है। (डॉ. भारती पान्डेय, बजट मामलों की विशेषज्ञ व अध्यक्षअर्थशास्त्र विभागजे.एन. पी. जी. कॉलेज ,लखनऊ)

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