• अपोलोमेडिक्स लखनऊ बना सफलतापूर्वक लिवर ट्रांसप्लांट करने वाला क्षेत्र का पहला प्राइवेट अस्पताल
• गंभीर हालत में पहुंच चुके टांडा निवासी 54 वर्षीय मरीज का हुआ सफलतापूर्वक लिवर ट्रांसप्लांट, मरीज तथा डोनर स्वस्थ स्थिति में डिस्चार्ज
लखनऊ: राजधानी स्थित अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल लखनऊ लिवर ट्रांसप्लांट करने वाला राज्य का (एनसीआर रीजन छोड़कर) पहला प्राइवेट अस्पताल बन गया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ ने अपोलोमेडिक्स लिवर ट्रांसप्लांट प्रोग्राम का शुभारम्भ किया। इस कार्यक्रम के शुरू होने से अब प्रत्यारोपण के मरीजों को कुशल डॉक्टरों की टीम व अल्ट्रा मॉडर्न टेक्नोलॉजी के साथ लिवर व किडनी, प्रत्यारोपण की सुविधा लखनऊ में ही उपलब्ध हो जाएगी। इसके साथ ही आने वाले समय में प्रदेशवासियों को कॉर्निया, हार्ट (ह्रदय), लंग (फेफड़े), बोन मैरो आदि प्रत्यारोपण की सुविधा भी लखनऊ में ही उपलब्ध हो जाएगी जिसके लिए अभी उन्हें दूसरे राज्यों की यात्रा करनी पड़ती है।
इस अत्याधुनिक स्वास्थ्य सेवा का शुभारंभ करते हुए मुख्य अतिथि और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल को शुभकामनायें देते हुए कहा “अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल लखनऊ द्वारा सफल लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी किये जाने पर मैं अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल की टीम को हार्दिक धन्यवाद देता हूँ। उत्तर प्रदेश में चिकित्सा व स्वाथ्य की दिशा में यह एक सराहनीय कदम है, इससे अब राज्य के लोगों को लिवर ट्रांसप्लांट जैसी जटिल सर्जरी का लाभ अपने प्रदेश में ही मिल जाएगा। प्रदेश सरकार उत्तर प्रदेश में सरकारी और निजी स्वास्थ्य संस्थानों की सहायता से प्रदेशवासियों को बेहतर व उन्नत चिकित्सा सेवा देने की दिशा में निरंतर अग्रसर है। हम आशा करते हैं की आने वाले समय में उत्तर प्रदेश का ट्रांसप्लांट प्रोग्राम पूरे भारत में सर्वोपरि होगा।
प्रधानमंत्री ने हाल ही में एक सभा के दौरान भारत को चिकित्सा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने हेतु सरकारी व निजी स्वास्थ्य संस्थानों को पी पी पी मॉडल के आधार पर कार्य करने का मन्त्र दिया है। अपोलो हॉस्पिटल लखनऊ द्वारा किया गया ये प्रयास इसी दिशा की ओर अग्रसर है
डॉ मयंक सोमानी (एमडी व सीईओ अपोलोमेडिक्स अस्पताल), ने सर्जरी में शामिल पूरी टीम को बधाई दी और कहा, “अपोलो लिवर ट्रांसप्लांट प्रोग्राम भारत का सबसे बड़ा और सबसे व्यापक लिवर प्रत्यारोपण कार्यक्रम है। लिवर ट्रांसप्लांट की शुरुआत के साथ, अपोलोमेडिक्स अस्पताल लखनऊ अब लास्ट स्टेज में पहुंच चुके लिवर व किडनी, रोगियों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रत्यारोपण सेवाएं प्रदान कर सकेगा। इसके साथ ही हम प्रदेशवासियों को आने वाले समय में कॉर्निया, हार्ट (ह्रदय), लंग (फेफड़े), बोन मैरो जैसी जटिल प्रत्यारोपण सर्जरी की सेवाएं भी लखनऊ में ही उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य कर रहे हैं जिसके लिए अभी उन्हें दूसरे राज्यों की यात्रा करनी पड़ती है।
डॉ सोमानी ने लिवर रोगियों के लिए आरम्भ किए गए विशेष लिवर क्लिनिक के बारे में जानकारी देते हुए बताया, “इसके साथ ही हमने लिवर के रोगियों के लिए हर गुरूवार विशेष लिवर क्लिनिक की शुरुआत की है जिसमें हमारे लिवर विभाग के विशेषज्ञ लिवर से सम्बंधित सभी बीमारियों से पीड़ित लोगों को चिकित्सा परामर्श देंगे
डॉ प्रताप सी रेड्डी, फाउंडर-चेयरमैन अपोलो हॉस्पिटल्स ने इस अवसर पर कहा, “यह हम सभी के लिए वास्तव में गर्व का क्षण है कि अपोलो अस्पताल लखनऊ इतने कम समय में एक के बाद एक नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। 1998 में अपोलो हॉस्पिटल ने भारत में 20 माह के शिशु संजय का पहला सफल पीडियाट्रिक लिवर प्रत्यारोपण कर, लिवर प्रत्यारोपण की शुरुआत की थी जिसके बाद से अपोलो हॉस्पिटल प्रत्यारोपण के क्षेत्र में कई कीर्तिमान हासिल कर चुका है। संजय अब स्वयं एक डॉक्टर बन चुका है। अपोलो हॉस्पिटल ने अपने व्यापक प्रत्यारोपण कार्यक्रम की मदद से न केवल भारत, बल्कि 50 से अधिक देशों से आने वाले मरीज़ों का सफल प्रत्यारोपण कर उनके जीवन को एक नयी आशा प्रदान की है। अब तक 3600 से अधिक लिवर प्रत्यारोपण कर चुका अपोलो हॉस्पिटल उत्तर प्रदेश में ठोस अंतर्राष्ट्रीय स्तर की अंग प्रत्यारोपण सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल लखनऊ की लिवर ट्रांसप्लांट टीम ने बताया “टांडा निवासी 54 वर्षीय मरीज बीते 2 वर्षों से लिवर सिरोसिस से पीड़ित था। लिवर सिरोसिस के चलते वह बेहद गम्भीर स्थिति में पहुंच चुका था और उसे खून की उल्टियां शुरू हो चुकीं थीं। सभी जरूरी जांच के उपरांत हमारी टीम ने यह पाया कि मरीज का जीवन बचाने हेतु लिवर ट्रांसप्लांट ही एकमात्र इलाज का विकल्प बचा है। मरीज का बेटा अपने लिवर का एक हिस्सा देने के लिए तैयार हुआ और हमने इस ट्रांसप्लांट सर्जरी को सफलतापूर्वक पूरा किया। इस बेहद जटिल सर्जरी को पूरा करने में 6 सर्जन की टीम को लगभग 15 घण्टे का समय लगा। सर्जरी के बाद दोनों ही स्वस्थ हैं व अस्पताल से डिस्चार्ज हो चुके हैं। ”
टीम में डॉ नीरव गोयल (लिवर ट्रांसप्लांट व एच पी बी सर्जरी) आशीष मिश्रा (लिवर ट्रांसप्लांट व एच पी बी सर्जरी) के साथ साथ डॉ वलीउल्लाह (सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी), डॉ सुहांग वर्मा (हिपैटोलॉजी), डॉ राजीव रंजन (हिपैटोलॉजी), डॉ मनीष (एनेस्थीशिया), डॉ शिशिर (एनेस्थीशिया), डॉ अंशुमान (एनेस्थीशिया) डॉ अजय कुमार (चीफ कंसल्टेंट – क्रिटिकल केयर व डायरेक्टर मेडिकल सर्विसेज) आदि शामिल थे।