क्षय रोग से मुक्त करने में निजी चिकित्सालय भी दिखा रहे दम

प्रयागराज: भारत को टी.बी. मुक्त करने के लिए भारत सरकर ने 2025 का लक्ष्य रखा है। इसके लिए सरकारी तथा गैरसरकारी दोनों ही स्तर पर कार्य किया जा रहा है।इसी क्रम में जिले में सरकारी चिकित्सा संस्थानों के साथ ही प्राइवेट संसथान भी इस अभियान में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। साथ ही क्षय रोग पर जागरूकता के लिए टी.बी. चैंपियन, ट्रीटमेंट सपोर्टर के साथ सामाजिक संस्थाएं भी कार्य कर रही हैं।

सरकारी चिकित्सालयों में सुविधाएँ उपलब्ध हैं

मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. प्रभाकर राय ने बताया कि क्षय रोग एक ऐसी बीमारी है जो बहुत तेज़ी से फ़ैलती है।जितनी जल्दी इस रोग की पहचान होती है उतनी जल्दी मरीज का उपचार शुरू हो जाता है। यदि टी.बी. का उपचार समय से शुरू किया जाये और उपचार पूरा किया जाये तो मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है। टी.बी. को जड़ से ख़त्म करने के लिए हम सभी मिल कर प्रयास कर रहे हैं।टी.बी. मरीजों की जाँच व उपचार के लिए सरकारी चिकित्सालयों में सुविधाएँ उपलब्ध हैं।साथ ही टी.बी. मरीजों की पहचान के लिए प्राइवेट फार्मेसी, लैब्स, क्लिनिक, डायग्नोस्टिक सेंटर्स और चिकित्सलयों से सहयोग किया जा रहा है।

घर के नज़दीक ही उपचार और जाँच

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. ए.के. तिवारी ने बताया कि वर्तमान में 744 प्राइवेट संस्थान निक्षय पोर्टल पर रजिस्टर्ड हैं।टी.बी. मरीजों के उपचार के लिए प्राइवेट चिकित्सक डॉ. अमिताभ घोष, डॉ. आशीष टंडन, डॉ. आशुतोष गुप्ता, डॉ. ओ.पी. गुप्ता, डॉ. गौरव अग्रवाल, डॉ. राम असरे, डॉ. वैभव और डॉ. फारूक सहित लगभग 450 चिकित्सक और नर्सिंग होम्स टी.बी. मरीजों का उपचार कर रहे हैं और दवा दे रहे हैं।डॉ. तिवारी ने बताया कि सरकार की योजना है कि टी.बी. मरीजों को उनके घर के नज़दीक ही उपचार और जाँच मिल सके।इसके लिए सरकारी के साथ ही प्राइवेट चिकित्सकों को अभियान से जोड़ा गया है।इस अभियान के अंतर्गत टी.बी. रोग की पहचान करने वाली प्राइवेट चिकित्सक को प्रोत्साहन स्वरुप पांच सौ रूपए प्रति मरीज़ दिए जाते हैं।इसके बाद जब मरीज़ का उपचार होने पर मरीज़ ठीक हो जाता है तो चिकित्सक को पुनः पांच सौ रूपए दिए जाते है।

8 हजार मरीजों के चिन्हीकरण का लक्ष्य

उन्होंने बताया की मरीज़ चाहे सरकारी चिकत्सालय में उपचार करवाए चाहे प्राइवेट में, यदि उसका पंजीकरण निक्षय पोर्टल पर होता है तो जब तक उसका उपचार चलता है मरीज़ को पांच सौ रूपए हर माह पोषण के लिए उसके बैंक खाते में दिए जाते हैंI जनवरी 2021 में सरकारी चिकित्सलयों से 749 और प्राइवेट चिकित्सालयों से 455 मरीज़ चिन्हित किये गए हैं।पिछले वर्ष 2020 में सरकारी चिकित्सलयों से 7164 और प्राइवेट चिकित्सालयों से 4381 मरीज़ पंजीकृत हुए थें।इस वर्ष सरकारी चिकित्सालयों से 10 हजार और प्राइवेट संस्थानों से 8 हजार मरीजों के चिन्हीकरण का लक्ष्य है।

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