मथुरा : धूमधाम से निकली वैष्णव कुंभ की आखिरी पेशवाई

एनटी न्यूज़ / मथुरा / बादल शर्मा

धूमधाम से निकली वैष्णव कुंभ की आखिरी पेशवाई
समूचे वृंदावन नगर में पुष्प वर्षा से हुआ स्वागत

मथुरा / कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक की आखिरी शाही पेशवाई गुरुवार को धूमधाम से निकाली गई। सवारी में तीनों अनि और 18 अखाड़ों के श्रीमहंतों के अलावा बड़ी संख्या में महंत एवं महामण्डलेश्वर शाही अंदाज में शामिल हुए। भक्तों ने शाही सवारी का स्वागत पुष्प वर्षा और गुलाल बरसा कर किया। वहीं इस शाही पेशवाई में लाखों भक्तों ने भी शाही पेशवाई के साथ नगर की पंचकोसीय परिक्रमा लगाई। 12 साल के अन्तराल में लगने वाले वैष्णव कुंभ की आखिरी सवारी इस बार नगर की पंचकोसीय परिक्रमा में धूमधाम से निकाली गई।

फोटो परिचय-कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक की आखिरी शाही पेशवाई में चलते साधु संत।

फोटो परिचय-कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक की आखिरी शाही पेशवाई में चलते साधु संत।

कुंभ क्षेत्र से प्रातरू नो बजे गाजे-बाजे के साथ शुरु हुई शाही सवारी के आगे अनि अखाड़ों के साथ खालसाओं के वीर ध्वज निशान संत लेकर चल रहे थे। निशानों के पीछे श्रीपंच निर्माणी, श्रीपंच निर्मोही और श्रीपंच दिगंबर अनि अखाड़ों के श्रीमहंत चल रहे थे। चांदी के लाठों को लिए उनके भक्त एवं शिष्य चल रहे थे। चांदी और सजे-धजे छत्रों के साथ चल रहे श्रीमहंतों के पीछे खालसाओं के महंत एवं महामण्डलेश्वर शाही अंदाज में चल रहे थे। सवारी में श्रीमहंत धर्मदास महाराज, श्रीमहंत कृष्ण दास एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के ब्रज प्रदेश के अध्यक्ष महंत हरिशंकर दास नागा के अलाव महंत सुन्दर दास, महंत लाड़िलीशरण दास, महंत फूलडोल बिहारी दास, महंत सुतीक्ष्ण दास, महंत सच्चिदानन्द दास आदि महंत शामिल हुए। सवारी के मध्य नागा साधु तलवार, बनैटी, लठों से करतब दिखा रहे थे।

– जिसे देखने के लिए भक्तों का जमावड़ा लग गया। नगर की पंचकोसीय परिेक्रमा में जगह-जगह भक्तों ने अपने घरों की छतों और कुंजों से पुष्प वर्षा कर शाही सवारी का स्वागत किया।

– वहीं सवारी के साथ चल रहे लाखों भक्त भक्ति संगीत की धुनों पर नृत्य करते हुए गुलाल उड़ाते हुए चल रहे थे। इस बीच अटल्ला चुंगी चैराहा पर जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल और एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर ने भी श्रीमहंतों का पुष्पा माला पहना कर और गुलाल से उनका स्वागत किया। सवारी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच निकाली गई। सवारी का समापन नगर परिक्रमा के बाद कुंभ क्षेत्र में पहुंचने पर हुआ।

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