प्रयागराज: मै प्रेमाराय आयु 79 वर्ष, मेरे पति एम.एम.राय आयु 83 वर्ष है। हमने 5 मार्च को जनपद स्थित ‘मोती लाल नेहरू मेडिकल कालेज एवं रिसर्च सेंटर’ में जाकर कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड लगवाई थी। इसका दूसरा डोज़ भी हमें 5 अप्रैल को लग चुका है। वैक्सीन को लेकर मैं अपना अनुभव भविष्य के भावी युवाओं से साझा करना चाहूंगी। वैक्सीन को लेकर बीते दिनों अनेकों सफल प्रचार-प्रसार एवं जागरूकता के बीच भी बहुत सी भ्रांतियाँ सोशल मीडिया से लेकर आम व खास लोगों के बीच साझा हुयी है। जिसके कारण कई बार नुक्कड़ नाटक व स्थानीय मीडिया के माध्यम से स्थानीय प्रशासन व स्वास्थ महकमा लोगों को हकीकत से अवगत कराता रहा है।
मैंने वैक्सीन लगवा ली है। इसलिए मैं चाह कर भी अपने इस सकारात्मक अनुभव को साझा करने से नहीं रोक पा रही हूँ। मेरा केवल उन देश विरोधी ताकतों को यह दिखलाना है कि उनके तमाम गलत प्रयासों के बाद भी वह कभी सफल नहीं होंगे। क्योंकि देश से प्रेम करने वाला व महामारी के दौर में जिंदगी और मौत से चिकित्सकों को लोहा लेते हुए देखने वाला कभी कोरोना को अफवाह नही समझेगा और न ही वह वैक्सीन को लेकर कभी आशंकित ही होंगे। वैक्सीन लगवाने के सात से आठ घंटे बाद मुझे बुखार आया लेकिन इसके लिये मै मानसिक रूप से पूरी तरह तैयार थी।
क्योंकि बचपन से लेकर बड़े होने तक मुझे जब भी टीका लगाया गया, बाद मे बुखार अवश्य आया। अतः इस बार भी बुखार का आना मेरे लिए सामान्य सी बात थी। मेरा पुत्र जो बैंगलौर में एक निजी चिकित्सक के तौर पर सेवा दे रहा है उसने भी मुझे बताया कि टीकाकरण के बाद बुखार का आना एक अच्छा लक्षण है। यदि हम अहतियात के साथ रहें तो वैक्सीन हमारी कोरोना से सौ फीसदी सुरक्षा करेगा।
बिना अहतियात के वैक्सीन लगवाकर भी हम कोरोना को नहीं हरा सकते। हालांकि वैक्सीन की दो डोज़ के बाद हमारे शरीर में कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबॉडी तैयार हो जाएगी।मैंने व मेरे पति ने बिना किसी डर व हिचक के वैक्सीन की दोनों डोज़ लगवा ली है। इसके सुखद परिणाम के लिये पूर्णतः आश्वस्त हैं। देश की युवाओं को मैं विशेष रूप से सचेत करना चाहूंगी कि वे वैक्सीन को बिना किसी संदेह के स्वीकर करें। खुद भी जागरूक रहिए व अपने आस-पास के लोगों को भी जागरूक करते रहिए। अब तो हमारी सरकार ने 45 वर्ष के सामान्य लोगों के लिए भी वैक्सीन लगवाने की स्वीकृति दे दी है। उन सभी से मैं यही कहूँगी कि वे अफ़वाहों के लपेटे में न आयें। युवा शक्ति से इस देश को बहुत सी अपेक्षायें व आशायें हैं। अब कोविड-19 की दूसरी लहर सुरसा राक्षसी की भांति मुंह फैलाये हमारे सामने खड़ी है। उसे वैक्सीन के ब्रम्हास्त्र से पराजित कर यह साबित करना होगा कि जीत हमेशा अच्छाई की ही होती है।