प्रयागराज, 24 मई 2021 : मोतीलाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय (कॉल्विन) में सोमवार को विश्व स्किज़ोफ्रेनिया डे पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन और संचालन किया गया। यह कार्यक्रम प्रमुख चिकित्सा अधीक्षिका डॉ. सुषमा श्रीवास्तव के नेतृत्व में जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम ने संचालित किया।
विश्व स्किज़ोफ्रेनिया डे हर साल मई 24 को बड़े पैमाने पर लोगों के बीच जागरूकता लाने और इससे संबंधी इलाज को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम, प्रयागराज की टीम ने विश्व स्किज़ोफ्रेनिया डे कॉल्विन अस्पताल के पोस्ट कोविड केयर सेंटर और ओपीडी में मनाया। जिला मानसिक स्वास्थ्य टीम से नैदानिक मनोवैज्ञानिक डॉ. ईशान्या राज, मनोसामाजिक सलाहकार डॉ. जयशंकर पटेल एवं मनोचिकित्सीय नर्सिंग ऑफिसर शैलेश कुमार ने लोगों को इस पर जानकारी दी और उपचार के बारे में बताया।
हर वर्ष विश्व स्किज़ोफ्रेनिया दिवस पर अलग-अलग थीम होता है, इस वर्ष इसका थीम है उत्तम मानसिक स्वास्थ्य की खोज करना। इसके अंतर्गत हम खुद के और परिवार के मानसिक स्वास्थ्य की उत्तम देखरेख के लिए सही उपचार,मिथ्या और गलत धारणाओं को बढ़ावा नादें, मनोचिकित्सीय और मनोवैज्ञानिक परामर्श के लिए आगे बढ़ना और खुद को तथा अपने घर, परिवार और समाज को इस हेतु जागरूक करने का कर्तव्य निभा सकते हैं।”
स्किज़ोफ्रेनिया क्या है?
स्किज़ोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक परेशानी/रोग है। इसमें मस्तिष्क सामान तरीके से कार्य नहीं कर पाता। जिससे व्यक्ति के सोच विचार, मन मिजाज, कार्य के तरीके, समाजीकरण की प्रक्रिया, संवेग आदि में बदलाव आता है। ऐसे व्यक्तियों का वास्तविकता से संबंध टूट जाता है।
प्रारंभिक लक्षण
• अपने सोच विचार द्वारा अपनी अलग दुनिया बना लेना (काल्पनिक) व उसमें ही उलझे रहना
• अकेले रहना
• लोगों के प्रति गलत धारणाएं रखना
• ऐसी चीजें देखना वह सुनना जो और लोग ना देख पाते हो ना सुन पाते हो
• खुद से बात करके हंसना व रोना आदि
प्रमुख कारण
• अनुवांशिक
• मस्तिष्कीय रासायनिक असंतुलन
• मस्तिष्क की संरचना में बदलाव
• तनाव
• कठिन पारिवारिक पृष्ठभूमि
• सर में गंभीर चोट आदि
प्रसार – प्रति 100 में 1 लोगों में पाया जाता है।
उपचार – मनोचिकित्सक दवाइयां तथा नैदानिक मनोवैज्ञानिक द्वारा साकोथेरेपी -समुदायिक स्वास्थ्य कार्यक्रम आदि।
पिछले 10-20 वर्षों में दवाइयों, उपचार और बढ़ती जागरूकता द्वारा अब स्किज़ोफ्रेनिया जैसी गंभीर रोग से ग्रसित होने के बाद भी ऐसे रोगी लक्षणों से उभरते हैं तथा स्वस्थ, खुश व उत्पादक पूर्ण जिंदगी जीते हैं।
इस रोग से संबंधित कई भ्रम है समाज में, हमें इसके बारे में सही व्यक्ति से सही जानकारी लेते हुए अपने आप को जागरूक रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
मुख्य भ्रम और सच्चाई –
भ्रम 1: यह एक स्प्लिट व्यक्तित्व के रोगी होते हैं।
सच यह ग्रीक वर्ड स्प्लिट माइंड से प्रसार हुआ है। पर ऐसे रोगी बहू व्यक्तित्व के हो ऐसा नहीं है हालांकि यह व्यक्तित्व की सोच भावनाओं व प्रत्यक्षण में दोष उत्पन्न कर देता है।
भ्रम 2: स्किज़ोफ्रेनिया के रोगी खतरनाक वह जानलेवा होते हैं।
सच असल में यह खुद के लिए ज्यादा आत्मघाती होते हैं तथा खतरों और जान माल का रिस्क इन में ज्यादा होता है।
भ्रम 3: स्किज़ोफ्रेनिया वंश को ग्रसित करती है।
सच जरूरी नहीं है कि यह एक परिवार के सदस्य को है तो दूसरा भी ग्रसित हो।
भ्रम 4: स्किज़ोफ्रेनिया रोगी कभी ठीक नहीं होते।
सच 30 प्रतिशत रोगी पूरी तरीके से ठीक होते हैं।
20% महत्वपूर्ण सुधार देखा गया है 50% की जिंदगी में रोग के लक्षणों में उतार-चढ़ाव देखा गया है।