भारत को संयुक्त राष्ट्र महासभा में मालदीव के जरिए बड़ी सफलता मिली है. मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद संयुक्त राष्ट्र महासभा के नए अध्यक्ष चुने गए हैं. 2018 में मालदीव ने उन्हें उम्मीदवार बनाने की घोषणा की थी. भारत के मालदीव के साथ काफी अच्छे रिश्ते हैं. यही वजह है कि जब मालदीव ने शाहिद को उम्मीदवार बनाने का ऐलान किया, तो भारत ने उनका समर्थन किया. संयुक्त राष्ट्र के ढांचे में महासभा अध्यक्ष पद सबसे बड़ा ओहदा माना जाता है. वर्तमान में 193 देश इसके सदस्य हैं.
भारत के विदेश सचिव जब 2020 में मालदीव गए थे, तब उन्होंने शाहिद को समर्थन देने का ऐलान किया था. वोटिंग के दौरान उनके पक्ष में 148, जबकि विरोध में महज 48 वोट पड़े. इस दौरान कोई भी देश गैरहाजिर नहीं रहा. न ही कोई वोट गैरकानूनी पाया गया. विदेश मंत्री जयशंकर ने सोशल मीडिया के जरिए अब्दुल्ला शाहिद को शुभकामनाएं दीं.
अब्दुल्ला शाहिद के पहले तुर्की के वोल्कन बोजकिर इस पद पर थे. पिछले दिनों वे पाकिस्तान गए थे और कश्मीर पर विवादित बयान दिया था. संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता ने इस मसले पर कहा- हम बोजकिर के बयान को मान्यता नहीं देते. उन्होंने भारत के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को लेकर जो कुछ कहा है, हम उसका कड़ा विरोध करते हैं. अब शाहिद के इस पद पर आने के बाद पाकिस्तान का महासभा में पक्ष काफी कमजोर हो जाएगा.
शाहिद 76वीं महासभा की अध्यक्षता करेंगे. उनका कार्यकाल 2021-22 होगा. वो कब से जिम्मेदारी संभालेंगे, इसका ऐलान जल्द किया जाएगा. मालदीव के लिए यह गौरव का पल इसलिए भी है, क्योंकि इस छोटे से देश को पहली बार विश्व मंच पर इतना बड़ा पद हासिल हुआ है.