कौशाम्बी : गर्भवती महिलाओं की उचित देख-रेख को सुनिश्चित करने एवं उन्हें उचित समय पर स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं| इसी क्रम में “प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस ” का आयोजन किया है| जिसके तहत पूरे जनपद में गर्भवती महिलाओं को पंजीकृत कर उन्हें प्रसव पूर्व सेवाएं प्रदान की गयी |
डॉ. विजेता सिंह मेडिकल ऑफिसर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नेवादा उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य केंद्र पर आई गर्भवती महिलाओं की जाँच की गयी जिसमे जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं जिसका हिमोग्लोबिन 7 पॉइंट निकला या फिर किसी और प्रकार का जोखिम जैसे कई बार गर्भपात, शुगर कम न होना ऐसी गर्भवतियों को जिला महिला अस्पताल रिफर किया तथा जिन महिलाओं का बी.पी अधिक था उसे सही खान पान तथा अन्य जानकारी दी गयी | स्वस्थ्य सुरक्षित माँ ही स्वस्थ्य बच्चे को जन्म देती हैं और इसके लिए लोगो को इसकी जानकारी होना बहुत जरुरी हैं| महिलाओं की जाँच कर उचित सलाह देना ताकि समय से गर्भवती महिला अपना और आने बच्चे का पूरा ख्याल रखे | उन्होंने बताया कि अभियान में 120 गर्भवती महिलाओं ने केंद्र पर आकर जाँच करायी | जिसमे आवश्यकतानुसार 15 महिलाओं को आयरन शुक्रोज चढ़ाया गया 7 महिलाओं को रेफर किया गया |
अभियान का मुख्य उद्देश्य गर्भवती महिलाओं के पंजीकरण को बढ़ावा देना, उनकी स्वास्थ्य एवं पोषण की जांच करना, जटिलता से ग्रसित महिलाओं की पहचान कर उन्हें प्राथमिकता पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना और उन्हें संस्थागत प्रसव के लिए प्रेरित करना हैं। गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व जांचों का महत्त्व, प्रसव पूर्व तैयारी, संस्थागत प्रसव, प्रसव पश्चात 48 घन्टे के अन्दर परिवार नियोजन सेवाओं व इन सभी विषयों के फायदों के बारे में जानकारी दी गयी | इसके अलावा जन्म के एक घन्टे के अन्दर स्तनपान, छः माह तक केवल स्तनपान के बारे में भी बताया गया।
प्रदान की गयी सुविधाएँ = हिमोग्लोबिन, शुगर, रक्तचाप (बी.पी.), एच.आई.वी, वजन, पेशाब, फिंगर पल्स ओक्सिमिटर द्वारा पल्स की जाँच, तथा एंटीजेन (कोरोना) जाँच की सुविधा प्रदान की गयी | गर्भवती महिलाओं को टीके, जरुरी दवाएं आयरन, कैलशियम, विटामिन सी, भी वितरित की गयी |
हाई रिस्क प्रेगनेंसी की पहचान —
पूर्व की गर्भावस्था या प्रसव का इतिहास, पहला प्रसव आपरेशन से हुआ हो, प्रसव के दौरान या बाद में अत्यधिक रक्तश्राव हुआ हो, गर्भवती को पहले से कोई बीमारी हो उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, हाइपोथायराइड, टीबी, दिल की बीमारी हो। वर्तमान गर्भावस्था में गंभीर एनीमिया हीमोग्लोबिन 7 ग्राम से कम, रक्तचाप, गर्भावस्था के समय डायबिटीज का पता चलना।
प्रसव पूर्व चार जांच —
प्रथम चरण गर्भधारण के तुरंत बाद या गर्भावस्था के पहले तीन महीने के अंदर।
द्वितीय चरण- गर्भधारण के चौथे या छठे महीने में।
तृतीय चरण- गर्भधारण के सातवें या आठवें महीने में।
चतुर्थ चरण- गर्भधारण के नौवें महीने में।
प्रसवपूर्व जाँच (एएनसी) का महत्व –
एएनसी से गर्भावस्था के समय होने वाली जटिलताओं का पहले ही पता चल जाता है।
गर्भावस्था के दौरान अगर मां को कोई गंभीर बीमारी एचआईवी है तो इससे समय रहते भूर्ण को बीमारी से बचाया जा सकता है।
एनीमिक होने पर ( खून की कमी होने पर)प्रसूता का सही इलाज किया जा सकता हैं।
भूर्ण की स्थिति का पता चल जाता है।