कुपोषित बच्चे कैसे करेंगे ’कोरोना की तीसरी लहर का मुकाबला’

एनटी न्यूज़ / चौमुहां / विक्रम सैनी / शिव प्रकाश शर्मा

● कुपोषित बच्चे कैसे करेंगे ’कोरोना की तीसरी लहर का मुकाबला’

● आंगनबाडी केन्द्रों से कहीं महीनों तो कहीं सालों से नहीं दिया जा रहा पोषाहार

● शिकायतों का निस्तारण करने में जिम्मेदारों की नहीं है रूचि

मथुरा। कोरोना की तसरी लहर का मुकाबला कुपोषित बच्चे कैसे करेंगे यह लाख टके का सवाल बन गया है। गांव से शहर तक बडी संख्या में बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। सरकारी आंकडो की सच्चाई हकीकत को छूती नहीं है। बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए चलाई जा रहीं सरकारी योजनाएं जरूरतमंदों तक पहुंच नहीं बना पा रही हैं। हालात यह हो गये हैं कि आंगन बाडी केन्द्रों पर कहीं महीनों से तो कहीं सालों से बच्चों को मिलने वाला पोष्टिक सूखा राशन और भोजन वितरित नहीं हो रहा है। शिकायतों के निस्तारण में जिम्मेदारों की कोई रूचि नहीं है।

विकासखंड चैमुहां के गांव गांगरौली में आंगनवाड़ी केंद्र पर बाल विकास योजना के अंतर्गत वितरण किए जाने वाले पोषाहार के लाभ से वंचित लाभार्थियों ने मोर्चा खोला। मंगलवार को सैकड़ों पात्र महिलाओं ने एकत्रित होकर स्वयं सहायता समूह के खिलाफ नारेबाजी कर विरोध प्रदर्शन किया। महिलाओं ने जिलाधिकारी से उन्हें मैं सही कर योजना का लाभ दिलाने और दोषियों को दंडित करने की मांग की है। भारती देवी, सुनीता, रजनी, नीरज देवी, सीमा, मधु, सपना, सुषमा, अनिता, प्रीति, कुशमा, संगीता, पूजा, मधु, लक्ष्मी देवी, ममता सहित सैकड़ों महिलाओं ने आरोप लगाते हुए कहाकि पिछले छह माह से बाल पोषाहार सामग्री का स्वयं सहायता समूह द्वारा वितरण नहीं किया गया है। यह हाल सिर्फ इस आंगनबाडी केन्द्र का नहीं है। जनपदप की तमाम ग्राम पंचायतों में संचालित केन्द्रों की कामोबेश एक जैसी स्थिति है।

बाइट – एडीओ आइएसबी अजयपाल सिंह

ग्रामीण महिलाएं जब स्वयं सहायता समूह के पास पोषाहार लेने पहुंचती है तो उनसे कह दिया जाता है पोषाहार ऊपर से मिल ही नहीं रहा है। इसकी शिकायत बाल विकास परियोजना अधिकारी से की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। तीन से छह वर्ष तक के बच्चों के अलावा गर्भवती व धात्री महिलाओं को इस योजना का लाभ मिलता है। योजना में आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं को भी शामिल किया गया है। जनवरी 2021 से पोषाहार के रूप में गेंहू, चावल, दूध, देसी घी, रिफाइंड, चना दाल, तेल के पैकेट वितरण किए गए। वितरण के लिए आंगनवाड़ी एवं स्वयं सहायता समूह को जिम्मेदारी दी गई। लेकिन लाभार्थियों को इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा है । इस सम्बंध में ने बताया कि बाल विकास विभाग द्वारा पात्रों की सूची के अनुसार स्वयं सहायता समूह को पोषाहार उपलब्ध नहीं कराया गया है कारणवश गांव में सभी पत्रों को पोषाहार नहीं मिल पा रहा है । जिसके चलते स्वयं सहायता समूह को पोषाहार वितरण करने में परेशानी आ रही है ।

बाइट – पीड़ित ग्रामीण

रोटी के पडे हैं लाले, लाल को कहां से खिलाएं पोष्टिक भोजन

कोरोना महामारी से पैदा हुए विपरीत हालातों का सबसे ज्यदा असर छोटे बच्चों पर पड रहा है। जिन घरों में लोग बेरोजगार हुए हैं उनके यहां भेजन के लाले पडे हैं। सरकारी राशन के नाम पर रोटी का जुगाड करने की कवायद सरकार कर रही है लेकिन छोटे बच्चांे को पोष्टिक भोजन मिलना दुरोह हो गया है। ऐसी स्थिति में जहां परिवार में रोटी के लाले पडे हैं। बच्चों में कुपोषण बढ रहा है। बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित हो रहा है।

बाइट – ग्रामीण महिला

जिन पर आरोप वही धमकी दे रहे

किसी भी योजना में अनियमितता की शिकायत करना इतना आसान नहीं रह गया है। शिकायत किसी भी विभाग की हो शिकायतकर्ता को डर पुलिस सताता है। शिकायतकर्ता की शिकायत पर कार्रवाही होगी यह जरूरी नहीं, लेकिन शिकायतकर्ता के खिलाफ होने वाली किसी भी शिकायत पर पुलिस तत्काल कार्रवाही करेगी यह तय है। ग्राम पंचायत से लेकर महानगर के वार्डों में संचालित योजनाओं से कमा रहे लोग उल्टे शिकायतकर्ताओं को फंसाने और लखनउ तक पहुंच होने की धमकी दे रहे हैं।

यह है सरकारी जबाव…

एडीओ आइएसबी अजयपाल सिंह का कहना है कि स्वं सहायता समूह की महिलाओं को लक्ष्य के सापेक्ष राशन चालीस प्रतिषत मिला है, 100 प्रतिषत तक तो बांटना संभव नहीं है। शिकायत करना वाजिब है। विभाग को भी बोला है कि इसमें सुधार हो। समूह की भूमिका पैकेजिंग कर वितरण करने की है। आंगनबाडी को सिर्फ यह तय करना है कि किस को दिलवाना है किसको नहीं दिलवाना है। पैकेजिंग की जो व्यवस्था दी है उसी क्रम मैं देना है। बाल विकास विभाग की योजना है वही संचालित कर रहे थे। कोरोना के दौरान मुख्यमंत्री द्वारा फैसला लिया गया कि यह काम स्वंसहायत समूह से कराया जाये तो इससे महिलाओं की आमदनी बढेगी।

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