प्रयागराज : बच्चों में जन्म के समय पैर टेढ़े-मेढ़े होने पर इलाज के लिए अब परिजनों को कहीं और भटकना नहीं पड़ेगा । जिला अस्पताल में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत ऐसे बच्चो का चिन्हीकरण आंगनबाड़ी केंद्र तथा स्कूल में टीम के द्वारा किया जाता हैं । साथ ही डिलेवरी पॉइंट पर जन्मजात टेढ़े-मेढ़े पैर वाले बच्चों को चिन्हित कर उपचार हेतु सम्बंधित संस्था को जानकारी देकर उपचार शुरू कर दिया जाता है। जिसके बाद उनकी जिंदगी लड़खड़ाएगी नहीं बल्कि दौडे़गी।
गर्भ में ही कुछ बच्चों के पैर टेढ़े मेढ़े हो जाते हैं। बच्चों के जन्म के बाद इस बीमारी को सामान्य बोलचाल में जन्मता दोष और मेडिकल की भाषा में क्लब फुट कहते हैं। बच्चे के जन्म लेने के बाद अंदर की ओर घूमे हुए पैरों के पंजे या फिर चलने में दिक्कत होने पर अक्सर परिजनों को चिंता सताती रहती थी कि उनका बच्चा शायद ही कभी अपने पैरों पर खड़ा हो सकेगा। जनपद में ऐसे कई परिवार हैं, जिनको यह बात सताती रहती है कि उनके बच्चे कभी अपने पैरों पर ठीक से खड़े हो पाएंगे या नहीं। इसके लिए उनका इलाज कराने के लिए दौड़भाग करते थे।
ऐसे परिवारों को राहत देने के लिए नेशनल हेल्थ मिशन के अंतर्गत “राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके”) में सहयोगी संस्था मिराकल क्लब फुट क्लीनिक का संचालन कर रही हैं । आरबीएसके की टीम ऐसे बच्चों से संपर्क कर सहयोगी संस्था मिराकल को बताती हैं ताकि उन बच्चो का उपचार शुरू किया जा सके । यहाँ जीरो से पांच साल तक के बच्चों के लिए यह सुविधा उपलब्ध होती हैं । बच्चे दिव्यांगता का दंश न झेलें इसको लेकर चिकित्सक पूरी तरह से तैयार हैं। सबसे पहले प्लास्टर चढ़ाकर इलाज शुरू किया जाएगा और जरूरत पड़ने पर ऑपरेशन की भी सुविधा दी जाएगी राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम के नोडल अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. बी.एन सिंह ने बताया कि जनपद में ऐसे बच्चे जिनके पैर जन्म से टेढ़े-मेढ़े हैं उनका इलाज किया जा रहा हैं कोरोना काल में कुछ समय के लिए इस सुविधा पर रोक लगी थी लेकिन अब पुनः की भाति ओ.पी.डी काल्विन में शुरू कर दी गयी हैं |
डॉ सुरेश मौर्या आर्थोपेडिक सर्जन काल्विन ने बताया कि ऐसे बच्चे जिनके पन्जे मुड़े हैं उनका एक छोटा सा आपरेशन किया जाता है | टीम के द्वारा काल्विन में ओपीडी के दौरान बच्चो की जाँच की जाती हैं उसके उपरांत बच्चे का आपरेशन कर प्लास्टर किया जाता हैं जिसको हर सात दिन पर बदला जाता ये प्रक्रिया 4-6 बार की जाती हैं और उसके बाद बच्चे के पंजो का बेस बनाकर दिया जाता हैं | ताकि पंजे वापस से न मुड़े |
मिराकल फीट संस्थान के प्रमोद विश्वकर्मा ने बताया कि अभी तक ऐसे बच्चों का इलाज कराने के लिए परिजनों को महंगी रकम खर्च करनी पड़ती थी और बहुत दौड़ लगानी पड़ती थी। लेकिन अब जनपद में ही जन्मजात पैर टेढ़े-मेढ़े वाले बच्चों के परिजनों से संपर्क शुरू किया। इसके बाद जिला अस्पताल कॉल्विन में क्लब फुट क्लीनिक खोलकर ऐसे बच्चो का उपचार शुरू कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि शून्य से चार साल तक के बच्चों के नि:शुल्क विशेष जूता (ब्रेस) मुहैया कराया जाता हैं । उन्होंने बताया कि सत्र 2021-22 में 2 बच्चो का इलाज पूरा खड़ा करने के उद्देश्य से इस क्लीनिक की स्थापना की गई है। सप्ताह में सिर्फ दो दिन यानी हर वृहस्पतिवार एवं शुक्रवार को शून्य से दो वर्ष तथा इससे ऊपर के बच्चों का उपचार किया जाता हैं ।