कानपुर। राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम (आई.डी.ए.) जनपद में 12 से 26 जुलाई तक मनाया जाना है। इसी क्रम में शुक्रवार को उर्सला हॉस्पिटल के सभागार में मीडिया कार्यशाला का आयोजन हुआ। फाइलेरिया उन्मूलन अभियान पर आयोजित इस कार्यक्रम में फाइलेरिया रोग उन्मूलन के प्रयास, उपलब्धियों, चुनौतियों व आगामी योजना पर विस्तृत चर्चा की गई ।
सी.एम.ओ. डॉ. नेपाल सिंह ने कहा कि जिले में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से चलाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं। बारह से 26 जुलाई तक आई.डी.ए. कार्यक्रम चलाया जाना है। इसमें चिन्हित क्षेत्रों में सामुदायिक स्तर पर लोगों को फाइलेरिया की दवा खिलाई जाएगी। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया रोग में अक्सर हाथ या पैर में सूजन आ जाती है। यह सूजन इतनी अधिक हो जाती है कि व्यक्ति दिव्यांगता की श्रेणी में आ जाता है। इससे प्रभावित अंग अधिक सूजन के कारण हाथी के पाँव की तरह दिखने लगता है, इसलिए इसे हाथी पांव भी कहते हैं। जनपद में फाइलेरिया के प्रभाव को समझने के लिए विभाग ने 6 से 15 जनवरी तक नाईट ब्लड सर्वे किया था। इसके आधार पर आगे की रणनीति बनाई गई है।
वेक्टर बार्न डिजीज के नोडल व ए.सी.एम.ओ. डॉ. ए.पी. मिश्रा ने बताया कि भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार, कोविड-19 के मानकों को ध्यान में रखते हुए, मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (आईडीए) कार्यक्रम 12 जुलाई से जनपद के सभी10 ब्लॉकों एवं17 शहरी जोन में शुरू किया जायेगा।
जिला मलेरिया अधिकारी ए.के.सिंह ने बताया कि आई.डी.ए. कार्यक्रम में दो वर्ष से छोटे बच्चों, गर्भवती और गंभीर रोग से ग्रसित व्यक्तियों को छोड़ कर सभी को दवा का सेवन अनिवार्य रूप से करना है। इससे हाथी पांव या फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी से बचाव हो सकेगा। आई.डी.ए. कार्यक्रम के लिए सभी ब्लॉक व जिला स्तर पर प्रशिक्षण भी दिया गया है। प्रशिक्षण में सभी ब्लॉक स्तरीय अधीक्षक, बी.सी.पी.एम., डाटा इंट्री ऑपरेटर, ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर, सुपरवाईज़र तथा नगरीय क्षेत्र के सभी प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया है।
कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग को तकनीकी सहयोग प्रदान कर रही संस्था पाथ से डॉ. मानस ने बताया कि जनपद में लक्षित जनसंख्या को माइक्रोप्लान तैयार कर दवा का सेवन ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर के सामने कराये जाने का निर्देश दिया गया है। फाइलेरिया एक ऐसी बीमारी है जिसका असर शरीर पर बहुत देर से दिखता है। किसी व्यक्ति में इस बीमारी के लक्षण दिखने में संक्रमित होने के बाद पांच से दस साल भी लग सकते हैं। इसलिए चिन्हित क्षेत्र में सभी लोगो को दवा का सेवन बहुत ही आवश्यक है इसलिए सभी लोग दवा का सेवन करेंI
कार्यक्रम में मीडिया बंधुओं के साथ डब्ल्यू.एच.ओ. से जोनल कोऑर्डिनेटर डॉ. नित्यानंद ठाकुर, पी.सी.आई. कोऑर्डिनेटर सुनील गुप्ता, पाथ-सी.एच.आर.आई. से सीताराम चौधरी, सी.एच.ए.आई. से डॉ. मानिक रेलन और जिला सुचना अधिकारी रामजी दुबे उपस्थित रहें।