कानपुर। भारत को टी.बी. से मुक्त करने के लिए भारत सरकार ने 2025 का लक्ष्य रखा है। इसके लिए कोरोना काल में भी क्षय रोग से पीड़ितों की खोज और उनके उपचार का कार्य लगातार चलाया जा रह हैं । दस्तक अभियान में भी अन्य बीमारियों के साथ ही क्षय रोगियों की खोज जारी है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. नेपाल सिंह के निर्देशानुसार जनपद में दस्तक अभियान के अन्तर्गत क्षय रोग के लक्षण वाले लोगों की पहचान भी की जा रही है । इसी क्रम में क्षय रोगियों को बेहतर उपचार और सेवाएं देने के उद्देश्य से क्षय( टी.बी.) मरीजों की जियो टैगिंग की जा रही है ।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. ए.पी. मिश्रा ने बताया कि जियो टैगिंग के अन्तर्गत स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी टी.बी. मरीज़ के घर जा कर उनकी लोकेशन निक्षय पोर्टल पर दर्ज कर रहे हैं । इससे स्वास्थ्य विभाग या अन्य संस्थाएं जो टी.बी. मरीज़ों की सेवा में लगी हैं वह मरीज़ तक आसानी से पहुँच पायेंगे । वर्तमान में जिले में लगभग 22 हज़ार क्षय रोग के मरीज़ हैं जिनका उपचार सरकारी और प्राइवेट चिकित्सालयों में चल रहा है। टी.बी. एक गंभीर बीमारी है जिसे जड़ से ख़त्म करने के लिए भारत सरकार राष्ट्रीय स्तर पर मुहिम चला रही है।
आरोग्य साथी एप करेगा क्षय रोगियों की सहायता –
डॉ. मिश्रा ने बताया कि क्षय रोगियों के लिए आरोग्य साथी एप विकसित किया गया है । क्षय रोगी यूज़र आई.डी. के माध्यम से इसका उपयोग कर सकेंगे । इस एप पर क्षय रोग से जुड़ी सभी जानकारी उपलब्ध होंगी । उन्होंने बताया कि टी.बी.मरीज़ के लिए दवा के साथ ही अच्छे पोषण की भी बहुत आवश्यकता होती है तभी रोगी को पूरा लाभ मिलता है। पोषण उपचाराधीनो को निक्षय योजना का लाभ मिल रहा है। इसके अंतर्गत भारत सरकार प्रत्येक उपचाराधीन को उचित पोषण के लिए 500 रूपय प्रतिमाह देती है। यह राशि मरीज़ को तब तक दी जाती है जब तक वह पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते हैं। योजना के सभी लाभार्थियों को इस योजना की धनराशि सीधे उनके बैंक खाते में दी जाती है। आरोग्य साथी एप की सहायता से मरीज़ सहायता राशि की जनकारी भी ले सकेंगे । इसके अलावा डॉट्स प्रोवाइडर्स को और नये मरीज़ को चिन्हित करने वाली आशा कार्यकर्त्ता को भी 500 रुपये प्रति मरीज़ दिए जाते हैं।
डॉ. ए.पी.मिश्रा ने बताया कि टी.बी. के उपचाराधीनों के लिए मास्क का प्रयोग आवश्यक है। जिस किसी को भी खांसी,बुखार या वज़न कम हो रहा हो वह तुरंत नजदीकी प्राथमिक या सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र से संपर्क कर टी.बी. की जाँच अवश्य करवायें। विलम्ब करने पर स्थिति ख़राब हो सकती है और बीमारी गंभीर हो सकती है। जांच व उपचार पूरी तरह से नि:शुल्क है।