हिंदी दिवस : राष्ट्र एवं संवाद/ कवि गोष्ठी एवं परिचर्चा का हुआ आयोजन

लखनऊ : हिंदी दिवस के अवसर पर हिंदी की महत्ता को उजागर करते हुए भारतीय भाषा, संस्कृति एवं कला प्रकोष्ठ, एवं अंतरराष्ट्रीय छात्र सहायता प्रकोष्ठ, डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय लखनऊ के तत्वाधान में “हिन्दी: राष्ट्र एवं संवाद” विषयक कवि गोष्ठी एवं परिचर्चा का आयोजन किया गया।


इस परिचर्चा और गोष्ठी के मुख्य अतिथि लखनऊ विश्वविद्यालय के विधांत हिंदू महाविद्यालय के अध्यापक डॉक्टर बृजेश कुमार श्रीवास्तव रहे। कार्यक्रम में लोहिया विधि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुबीर भटनागर ने अपने वृतांत में सर्व प्रथम सभी प्रतिभागियों को हिन्दी दिवस की बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए प्रोफ़ेसर भटनागर ने प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत की बातों को उजागर किया और कहा कि हिंदी हमारे लिए संवाद की भाषा है। राष्ट्र निर्माण में हिन्दी दिवस के महत्व को समझते हुए इसे बलवती करने के प्रयास करने का आवाहन किया ।

भाषा प्रकोष्ठ की अध्यक्षा डॉ अलका सिंह के कुशल नेतृत्व में इस कार्यक्रम का सफल आयोजन हुआ और डॉक्टर सिंह ने अपनी कविता “नव पावस की महक लिए, खेतों की हरियाली हिंदी”के माध्यम से संदेश देते हुए इसका शुभारंभ किया। मंच संचालन कर रहे विश्व विद्यालय के छात्र भारत भूषण ने भारतेंदु हरिश्चंद्र की पंक्तियों के साथ माननीय मुख्य अतिथि महोदय का परिचय कराया और समय-समय पर अटल बिहारी बाजपेई और प्रेमचंद जी की पंक्तियों से कार्यक्रम की कड़ी को जोड़े रखा। प्रतिभागी छात्रों में लोहिया विश्वविद्यालय के तृतीय वर्ष के छात्र अनिरुद्ध ने “सत्ता और कलम” नामक अपनी कविता से सबको अपना कायल बना लिया। वहीं तृतीय वर्ष की छात्रा सृष्टि ने “मेरे सपनों का भारत” नामक कविता से सबके मन को मोह लिया।

कार्यक्रम में भाग लेने वाले अन्य प्रतिभागियों में द्वितीय वर्ष के अनुराग ने हिंदी भाषा के महत्व को उजागर करते हुए अपनी कविता “हिंदी कहां है”, की प्रस्तुति दी, तो वही द्वितीय वर्ष के छात्र मोहित ने “हिंदी अपना” नामक शीर्षक कविता का पाठ किया। द्वितीय वर्ष की छात्रा नंदिनी ने “एक आवाज थी जो मैंने सुनी” नामक कविता से कार्यक्रम की कड़ी को जोड़े रखा। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रहे प्रोफेसर बृजेश कुमार श्रीवास्तव कार्यक्रम में आकर्षण का केंद्र रहे। उन्होंने अपने वक्तव्य में महत्त्वपूर्ण जानकारियां दी जो इस कार्यक्रम की सफलता के स्तंभ रहे। हिन्दी के लिए उनका अवदान सर्वविदित है। उनके भाषण में शिक्षा के लिए व्यापक दृष्टिकोण झलका, जो सभी के लिए प्रेरणा और सोच का भी बायस बनता है। प्रोफेसर श्रीवास्तव ने उपनिषद तथा हमारे ग्रंथों में राष्ट्र की चर्चा परिचर्चा पर अपना पक्ष रखा और संवाद में प्रतिपक्ष के होने और ना होने पर अपना महत्वपूर्ण विचार दिया। उन्होंने लोहिया विधि विश्वविद्यालय के कुलपति से आग्रह किया की हिंदी साहित्य को अपने पुस्तकालय में जगह दें जहां छात्र निराला, दिनकर और भारतेंदु हरिश्चंद्र जैसे लेखकों से रूबरू हो। समन्वयक की भूमिका में तृतीय वर्ष के छात्र तेज प्रताप ने उत्तम प्रदर्शन किया और इस बात का खास ख्याल रखा गया कि कोई तकनीकी खराबी इस चर्चा परिचर्चा में बाधक ना बन सके। कार्यक्रम में विश्व विद्यालय परिवार से डॉ अमनदीप सिंह, डॉ प्रसेनजीत कुंडू समेत देश के अन्य राज्यों से शिक्षकों,छात्र, छात्राओं ने प्रतिभाग किया।

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