7 जनवरी को बहुजन कल्याण महारैली से आरपीआई का शक्ति प्रदर्शन

केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले होंगे मुख्य अतिथि

लखनऊ। 5 जनवरी 2022

रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले)आगामी 7 जनवरी 2022 को बहुजन कल्याण महारैली के माध्यम से लखनऊ में ‘शक्ति प्रदर्शन’ करने जा रही है। बहुजन कल्याण महारैली में पूरे प्रदेश से लाखों की संख्या में लोग आ रहे हैं। महारैली का आयोजन आवास विकास मैदान,वृंदावन योजना, लखनऊ में किया गया है। इस महारैली के माध्यम से रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले) उत्तर प्रदेश में अपनी ताकत का एहसास दिखाएगी।

ये बात रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले) के प्रदेश अध्यक्ष पवन भाई गुप्ता ने बताई।

पवन भाई गुप्ता ने कहा कि 26 सितंबर 2021 को सहारनपुर से शुरू हुई बहुजन कल्याण यात्रा प्रदेश के हर जनपद से होते हुए 22 दिसम्बर को लखनऊ पहुंची।

हर जनपद से आरपीआई को अपार जनसमर्थन प्राप्त हुआ। 22 दिसम्बर को लखनऊ में रोड शो का आयोजन किया गया। जिसमें सैकड़ो की संख्या में लोग शामिल हुए।पवन भाई गुप्ता ने कहा कि बहुजन कल्याण महारैली से आरपीआई प्रदेश में अपनी ताकत एवं बड़ी जनशक्ति दिखायेगी।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में बाबा साहेब को मानने वाला एक बड़ा वर्ग है। जो बसपा की नीतियों से तंग आ चुका है और आरपीआई के साथ जुड़ रहा है। हम उत्तर प्रदेश में मजबूत स्थिति में खड़े। आरपीआई बहुजन समाज को राजनीतिक, सामाजिक रूप से जागरूक करके उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर रही है।

सपा-बसपा ने प्रदेश को पीछे धकेल दिया

पवन भाई गुप्ता ने कहा कि सपा-बसपा के शासनकाल में उत्तर प्रदेश में एक परिवार, एक व्यक्ति की सरकार चलती थी।

सपा-बसपा ने हमेशा दलित, वंचित समाज को धोखा देने का काम किया है। बहुजन समाज पार्टी, दलितों के समर्थन से 4 बार सत्ता में आई और बहन मायावती जी मुख्यमंत्री बनी लेकिन बहुजन समाज का कोई कल्याण नहीं किया।

समाजवादी पार्टी का चरित्र हमेशा से दलित विरोधी रहा है। प्रोन्नति में आरक्षण का बिल फाड़ने वाली सपा ने दलित, पिछड़े वंचित वंचित समाज का कुछ भी भला नहीं क़िया। 2012 में सपा के सत्ता पर आते ही दलित बस्तियों पर हमले तेज हो गए थे। दलितों के उत्पीड़न में सपा-बसपा दोनों एक समान रहे हैं। अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री काल में दलितों का ठेके में आरक्षण ख़त्म किया गया। मिड डे मील में दलित महिला रसोइया के होने के प्रावधानों को शिथिल किया। दलित और पिछड़े महापुरुषों के नाम पर बने पार्क व मेडिकल कालेजों का नाम बदल दिया गया।

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