एनटी न्यूज़ डेस्क / मथुरा / बादल शर्मा
सांसद हेमा मालिनी कान्हा की दीवानी हैं तो कान्हा की नगरी के लोगों की सबसे बड़ी समस्या खारी पानी है। करीब साढ़े चार साल पहले सिने स्टार हेमा मालिनी जब मथुरा आर्इं और घोषणा की कि वह मथुरा से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहती हैं तो लोगों ने उन्हें इस उम्मीद के साथ सिर आखों पर बिठाया कि स्थानीय नेताओं की बजाय शायद हेमा मालिनी उनकी परेशानियों को ज्यादा बेहतर तरीके से समझें। लेकिन हुआ कुछ नहीं।
आजादी के बाद से…
महावन तहसील का गांव इब्राहिमुपर आजादी के बाद से ही 2.5 लाख रुपये के लिए तरस रहा है, अगर यह धनराशि मिल जाये तो गांव की तकदीर ही पलट जायेगी। प्रदेश सरकार की योजना एक तरफ लोगों को आरओ का पानी पिलाने के है तो दूसरी ओर मथुरा के गांवों में आज भी महिलाएं कई किलोमीटर चल कर पीने का पानी ला रही हैं। उनका पूरा दिन पानी का इंतजाम करने में ही निकल जाता है।
कई गांव ऐसे हैं जहां दो से पांच लाख रुपये खर्च कर इस समस्या का समाधान किया जा सकता है। यह भी विडंबना है कि गांवों के विकास के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं लेकिन खारे पानी की समस्या के समाधान के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर सरकार तक कोई गंभीर नहीं है।
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महावन तहसील के गांव इब्राहिमपुर की आबादी करीब 11 सौ है। यहां महिलाएं दो से तीन किलोमीटर चल कर पीने का पानी लाती हैं, महिलाओं का पूरा दिन पानी की व्यवस्था में चला जाता है, दूसरी ओर वह अपने बच्चों पर भी ध्यान नहीं दे पाती हैं जिससे उनकी शिक्षा और परवरिश भी प्रभावित हो रही है।
ग्राम प्रधान का कहना है…
2 से 2.5 लाख रुपये खर्च कर मीठे पानी की पाइप लाइन दूसरे गांव से लाई जा सकती है लेकिन बजट नहीं है। वहीं ग्राम प्रधान अपने पूरे कार्यकाल में कई लाख रुपये के काम कराता है। ये काम कागजों में हो जाते हैं गांव में नजर नहीं आते हैं। ग्रामीण महिलाओं ने बताया कि अब गांव में अपनी बेटी की शादी करने से लोग मना करने लगे हैं, कोई नहीं चाहता कि उसकी बेटी का पूरा दिन सिर पर पानी ढ़ोते निकल जाये। यह समस्या दशकों पुरानी है, लेकिन सरकार के पास गांव को देने के लिए दो लाख रुपये नहीं हैं।
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